- 20 जुलाई को सूडा की लिस्ट में शामिल है है संस्था का नाम

- एक साल पहले से बैन है मां विन्ध्यवासिनी बालिका गृह

- टेंडर की प्रक्रिया पर उठने लगे सवाल, कैसे किया संदिग्ध संस्था को सेलेक्ट

GORAKHPUR: देवरिया के बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण की मुख्य आरोपी गिरिजा त्रिपाठी की हनक कभी भी कम नहीं हुई। रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल भर पहले से बैन रहने के बाद भी उसे 20 जुलाई 2018 को करोड़ों के टेंडर के लिए अर्ह घोषित कर दिया गया। यह टेंडर 2018 से 2020 के लिए जारी किया गया है। वित्तीय अनियमितता सहित तमाम तरह के आरोप लगने के बावजूद करोड़ों के टेंडर के लिए योग्य घोषित किया जाना लोगों के गले नहीं उतर रहा है। सूडा की ओर से चयनित संस्थाओं की जारी सूची में 155वें स्थान पर मां विंध्यवासिनी महिला प्रतिष्ठान व समाज सेवा संस्थान का भी नाम है।

249 में से 172 संस्थाओं का चयन

दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत 'कौशल प्रशिक्षण प्रदाता' के इम्पैनल्मेंट के लिए 22 जनवरी 2018 को निविदा हुई। सरकार की राज्य शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित इस योजना के लिए 249 संस्थाओं ने आवेदन किया था। इनमे से 172 संस्थाओं का चयन किया गया था। इसमें शामिल देवरिया की बालिका संरक्षण गृह में बच्चियों के साथ जबरन यौन करने का आरोप है। गिरिजा त्रिपाठी की संस्था को चयनित करने में केवल नियमों की अनदेखी ही नहीं की गई है, बल्कि उसकी संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं।

जांच में भी मिल गया ग्रीन सिग्नल

आम तौर पर टेंडर के लिए आवेदन करने वाली संस्था और उसके पदाधिकारियों की बकायदा जांच की जाती है। किसी तरह की आपत्ति पाए जाने पर आवेदन को निरस्त कर दिया जाता है। संस्था को देवरिया के प्रोबेशन अधिकारी ने बैन कर दिया था, सीबाआई की जांच चल रही थी और उसके खिलाफ अलग-अलग लोगों ने पचास अधिक शिकायती पत्र के जरिए जांच कराने के लिए मांग की गई थी। इतना ही नहीं स्थानीय विधायक ने भी संस्था की गतिविधियों को संदिग्ध बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन इन सब से परे जाकर जिम्मेदारों ने इस संस्था को योग्य घोषित कर दिया।

किस आधार पर 77 आवेदन खारिज

कौशल प्रशिक्षण प्रदाता के रूप में इंपैनल्ड होने के लिए आवेदन करने वाली 249 संस्थाओं में से 77 को खारिज कर दिया गया था। चयन के लिए आवेदन करने वाली संस्थाओं को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल के तहत 70 अंक प्राप्त करने होते थे। वहीं जिम्मेदारों के पास सवालों की झड़ी लगी है कि बेहद गंभीर आरोपों के बैन और सीबीआई जांच का सामना करने वाली संस्था को जांच में कैसे योग्य पाया गया और 77 संस्थाओं के आवेदन को किस आधार पर खारिज किया गया।

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डूडा पीओ मिली भगत का आरोप

यूपी अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम के पूर्व निदेशक व समाजवादी पार्टी के नेता जफर अमीन 'डक्कू' ने ठेका मिलने के लिए डूडा के जिम्मेदारों को इसमें शामिल बताया। देवरिया के बाल गृह से मासूम बच्चियों को यौन शोषण के लिए लखनऊ तक ले जाया जाता था। पत्रकारों से वार्ता करते हुए उन्होंने कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की। डक्कू ने गोरखपुर डूडा पीओ तेज प्रताप पर गिरिजा त्रिपाठी से मिली भगत का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि डूडा पीओ की पैरवी पर ही सूडा से मां विंध्यवासिनी संस्था को करोड़ों का टेंडर दिया है। हालांकि डूडा पीओ तेज प्रताप आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है।

Posted By: Inextlive