Meerut: 'जब तक रहेगा समोसे में आलू...' इस गाने को आप आज भी गुनागुना लेते होंगे लेकिन कुछ ही दिनों में पब्लिक इस गाने को भूल भी सकती है. क्योंकि जब समोसे में आलू ही नहीं होंगे तो इस गाने का क्या काम? जी हां बढ़ते आलू के रेट लगातार यही संकेत दे रहे हैं. पब्लिक पर सिर्फ प्याज की ही मार नहीं पड़ रही है. आलू भी पिछले एक महीने से लोगों को काफी आतंकित किए हुए है. आइए आपको भी बताते हैं कैसे...


अब मार्केट में आलू ने भी बढ़ाए अपने भाव प्याज महाराज क्या कम थे जो आलू देवता ने भी अपनी त्योरी चढ़ा ली हैं। अब क्या करें भाई साहब खरबूजा जो है खरबूजे को ही देखकर तो अपना रंग बदलेगा। यहां शॉकिंग फैक्ट ये है कि अब ये रंग लोगों को हजम नहीं हो रहा है। किसी को भी इस त्योहारी सीजन में भरोसा नहीं था कि आलू भी लोगों की जेब और भावनाओं के साथ खेलेगा। अपना एक ही महीने में दोगुना कर देगा। आज तक आलू ने अपने रेट इस तरह से कभी नहीं बढ़ाए। आइए आपको भी बताते हैं कि आलू के इस तरह के बढऩे के क्या कारण हैं आलू का आतंक
भले ही प्याज अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका हो, लेकिन आलू ने भी पिछले एक महीने में जबरदस्त छलांग लगाई है। मंडी से लेकर सदर मंडी तक और दुकानों से लेकर सड़क तक, आलू ने अपना आतंक जमा लिया है। हर कोई आलू के रेट सुनकर सहम जा रहा है। जिस आलू से लोगों की सदियों पुरानी दोस्ती थी वो लोग भी आलू का नाम सुनकर नाक भौं सिकोडऩे लगे हैं। आखिर ऐसा क्या हो गया कि पब्लिक का आलू का नाम सुनकर अब अपना मुंह बना रहे हैं?


तो ये है वजह लोगों की आलू से नाराजगी का कारण  आलू द्वारा अपना रेट बढ़ाना है। ऐसा नहीं है कि आलू अपने भाव पहली बार बढ़ाए हैं। लेकिन जितने पिछले एक महीने में बढ़े हैं वो लोगों की बर्दाश्त से बाहर हैं। जी हां, इस बार आलू ने पिछले एक माह में अपने रेट दोगुने कर दिए हैं। मंडी से लेकर सदर मार्केट तक कहीं भी लोगों को आलू के रेट बिल्कुल भी हजम नहीं हो रहे हैं। 10 से 12 रुपए किलो बिकने वाला आलू अब मार्केट में 25 से 30 रुपए बिक रहा है। एक महीना पहले

एक महीना पहले नवीन मंडी में पहाड़ी आलू की कीमत 30 रुपए किलो थी जो अब 40 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं जो सदर मंडी में यही आलू 40 रुपए था अब 60 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं सिटी की अन्य दुकानों में भी पहाड़ी आलू की की कीमत 65 रुपए किलो के आसपास है। चिपसोना आलू भी सदर मंडी में एक महीने पहले 15 रुपए किलो था जिसकी कीमत 30 रुपए किलो के आसपास पहुंच चुकी है। वहीं सिटी की डिफ्रेंट जगहों पर 35 से 40 रुपए किलो में बेची जा रही है। जबकि मंडी में चिपसोना आलू का 50 किलो का कट्टा 700-800 रुपए का था। जो अब 1200 से 1300 रुपए में बिक रहा है। सादे आलू ने भी अपने रेट को दोगुने कर दिए हैं। एक महीने पहले सादे आलू की कीमत नवीन मंडी में 10 रुपए किलों के आसपास थे, जो 15 से 20 रुपए किलो के बीच में है। वहीं सदर मंडी में इस आलू की कीमत एक महीने पहले 15 रुपए भी जो अब 25 रुपए किलो के आसपास पहुंच चुके हैं। नया आलू से 50 से शुरू वहीं मार्केट में अब नया आलू भी आ चुका है। जिसकी शुरूआत नवीन मंडी में 40 रुपए से शुरू हुआ है। वहीं सदर मंडी में नया आलू 50 रुपए किलो में बिक रहा है। लोगों को उम्मीद थी कि नया आलू आने के बाद कुछ राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। सदर मंडी के सब्जी व्यापारी भारत सोनकर की मानें तो मौजूदा समय में नया आलू भी मार्केट में आ चुका है। अभी नए आलू आने का दौर शुरू हुआ है। धीरे-धीरे और भी आलू मार्केट में आएगा। उम्मीद है आलू के रेट जल्द ही नीचे आएंगे। दिसंबर-जनवरी में थमेगी रफ्तार
जानकारों की मानें तो अभी नवंबर और दिसंबर मिड आलू के रेट में कोई फर्क आने के आसार नहीं है। जब दिसंबर के लास्ट वीक और जनवरी की शुरूआत में नया आलू आएगा तब ही आलू के रेट में कोई फर्क दिखाई देगा। हो सकता है आलू दोबारा से अपनी औकात पर आते हुए 10 रुपए किलो के आसपास आ जाए। लेकिन अभी कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। आखिर क्यों बढ़े रेटसदर मंडी में थोक आलू विक्रेता संजय की मानें तो मुजफ्फरनगर अक्टूबर नवंबर की शुरुआत में नए आलू की ओपनिंग करता है। जिसके बाद हल्द्वानी, पंजाब और मेरठ का नंबर आता है। मुजफ्फरनगर में इस बार एक दो महीनों तक दंगों का असर दिख ने के कारण आलू की बुआई काफी लेट हुई। पुराना आलू खत्म होता गया और कोल्ड स्टोरेज आलू  के भी रेट बढ़ गए। मेन वजह आलू के रेट बढऩे का यही है। मौजूदा समय में नए आलू के रेट में भी कोई खास कमी नहीं है। जब तक मुजफ्फरनगर और मेरठ का आलू नहीं आएगा तब तक रेट गिरने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। ये भी कारण
वहीं नवीन मंडी के आलू के थोक विक्रेता की मानें तो आलू के रेट बढऩे का एक रीजन पंजाब में इस बार भारी बारिश होने के कारण जमीन में दबे हुए पहली फसल बीज जल गए थे। जिसके बाद किसानों को दोबारा से बीज बोने पड़े। जिसकी वजह से मंडियों में आलू आने में काफी देरी हुई। लोगों को कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने पड़े। माल न आने पर कोल्ड स्टोरेज के आलू भी काफी महंगे हो गए। आलू का रेट स्टेबल होने में अभी भी एक महीने का समय और लग सकता है।  90 दिनों में हो जाता है आलू सरदार वल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ। अशोक कुमार की मानें तो आलू की बुआई से पैदावर तक 90 दिन लग जाते हैं। जिसके बाद इन्हें मार्केट में लाने की तैयारी की जाती है।प्याज से चार गुना यूज साकेत निवासी सुनीता की मानें तो आलू आज हर सब्जी में सपोर्टिंग के तौर पर यूज होता है। खासकर फेस्टिव सीजन में लोग आलू को ही ज्यादा पसंद करते हैं। नॉर्मल डेज में भी आलू की खपत भी ज्यादा है। प्याज से कंपेयर करें तो आलू की खपत  घरों में प्याज से चार गुना ज्यादा है। बिगड़ा बजटप्याज के साथ-साथ आलू के रेट बढऩे से घरों का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। जो लोग आलू पांच किलो लेकर आते थे उन्होंने आलू महंगा होने से क्वांटीटी कम कर दी है। सदर निवासी गौरव गोयल की मानें तो पिछले एक महीने में आलू के रेट इतने बढ़े कि पूरे महीने का बजट बिगड़ गया है। पहले एक महीने पहले तक मैं एक साथ पांच आलू लाकर रख देता था। अब दो या तीन किलो ही लेकर आ रहा हूं। तो ऐसा नहीं हैवहीं एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ। अशोक कुमार की माने तो आलू के रेट बढऩे का कारण मुजफ्फरनगर दंगे को नहीं माने रहे हैं। उनका कहना है कि जब मुजफ्फरनगर में दंगे हो रहे थे, तब वहां आलू की बुआई का टाइम ही नहीं था। वैसे भी देश के कुल आलू का बहुत ही कम प्रतिशत आलू की पैदावार मुजफ्फरनगर में होती है। तो आलू महंगे हो का मेन रीजन इसे कैसे मान सकते हैं?

Posted By: Inextlive