आधी से अधिक आबादी युवा है. ऐसे में देश के विकास की जिम्मेदारी भी युवाओं के कंधे पर है. यूथ का पॉलिटिक्स में रुझान और हर फील्ड में उनका अहम योगदान इस मायने में काफी अहम है. इन सबके बीच अगर आगामी चुनाव को लेकर बात करें तो यूथ के लिए कॅरियर ही फ‌र्स्ट च्वॉइस है. वजह, बढ़ती उम्र के बीच नौकरी के घटते चांसेज से यूथ के चेहरे पर शिकन ला दी है. वह खुद को एम्पॉवर्ड और सिक्योर नहीं महसूस कर रहे. रविवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के मिलेनियल्स स्पीक में युवाओं ने इस पर खुलकर अपनी बात रखी.

करप्शन का दानव बढ़ रहा

चर्चा करप्शन पर लगाम लगाने की बात के साथ शुरू हुई. इस पर अपनी बात रखते हुए दीपक यादव, नीरज सिंह, गौरव मिश्रा और अफजल अली सिद्दीकी ने कहा कि भ्रष्टाचार पर आज तक लगाम नहीं लग सकी है. ग्राउंड लेवल पर भ्रष्टाचार आज भी हावी है. हालांकि यह भी बहुत बड़ा सच है कि करप्शन इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाला. कोई भी सरकार करप्शन को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकती. यह तभी खत्म होगा, जब लोग खुद ये संकल्प लेंगे कि वे मिलकर करप्शन खत्म करेंगे, तभी करप्शन खत्म होगा.

भर्तियों में न लगे अड़ंगा

स्टूडेंट्स मेहनत करके एग्जाम देने जाते हैं. एग्जाम देने के बाद रिजल्ट और नौकरी के इंतजार में बैठे युवाओं को नौकरी नहीं मिलती है. बल्कि कुछ दिनों बाद भर्ती कैंसिल होने का फरमान आ जाता है. पांच-पांच, दस-दस साल से कई भर्तियां अटकी हुई हैं. किसी पर कोर्ट में केस चल रहा है तो कहीं डेट पर डेट मिलती चली जा रही है. वहीं इन डेट्स के बीच नौकरी की चाह में युवाओं की उम्र खिसकती चली जा रही है, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है.

पास हों सेंटर्स, ट्रैवलिंग हो फ्री

इस चर्चा के दौरान युवाओं ने कहा कि गवर्नमेंट विभागों में नियुक्ति के लिए जो भी एग्जाम हों, उसमें शामिल अभ्यर्थियों के लिए ट्रैवलिंग फ्री करनी चाहिए. साथ ही सेंटर भी बहुत दूर नहीं करना चाहिए. भर्तियां फंसनी नहीं चाहिए. इससे युवाओं का मनोबल गिर रहा है. टाइम खराब हो रहा है. पारदर्शिता पर सवाल उठ रहा है. नौकरी जीरो है. युवाओं ने यह भी कहा कि अगर सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है तो सरकार को चाहिए कि वह बिजनेस वगैरह के लिए ठोस आधार उपलब्ध कराए. ताकि युवाओं के पास कॅरियर का कोई न कोई विकल्प रहे.

कड़क मुद्दा

अब वक्त पूरी तरह से बदल चुका है. पहले राजनीतिक दल हिंदू-मुस्लिम में लड़ाई कराकर, लोगों में मतभेद पैदा करके, डिवाइड कराकर वोट ले लेते थे. लेकिन अब यूथ की राय बदल चुकी है. अब इंडिया-पाकिस्तान के बीच युद्ध का मुद्दा उठाकर, राम मंदिर निर्माण की आवाज बुलंद करके, साम्प्रदायिक मुद्दा उठाकर किसी पार्टी की सरकार नहीं बनने वाली है. वजह, यूथ के साथ ही वोटरों ने अब अपना मुद्दा तैयार करना और उसी आधार पर जनप्रतिनिधि व राजनीतिक दलों को चुनना शुरू कर दिया है.

-अफजल अली सिद्दिकी

मेरी बात

एयर स्ट्राइक का 2019 के चुनाव पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये किसी सरकार की उपलब्धि नहीं, बल्कि हमारे देश के जवानों का शौर्य है. लेकिन ये भी हकीकत है कि देश के जवानों की शौर्यता को वर्तमान सरकार ने दिखाने का मौका दिया. जवानों को छूट दी, जिसकी वजह से एयर स्ट्राइक हुई और देश का सीना चौड़ा हुआ. देश के जवानों ने बताया कि भारत डटकर मुकाबला करने के साथ ही अच्छे तरीके से जवाब देना जानता है.

गौरव मिश्रा

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

किसी कानून को बनाना ही नहीं, बल्कि उस पर अडिग रहना भी गवर्नमेंट का काम है. आरटीआई जैसे हथियार तो बना दिए गए, लेकिन खुद ही डिपार्टमेंट के लोग उसका मखौल उड़ाते हैं. पब्लिक की सुविधा और पारदर्शिता के लिए आरटीआई को बड़ा हथियार माना जाता है. लेकिन कई बार इस हथियार की धार ही गायब कर दी जाती है. आज भी गवर्नमेंट ऑफिस में जाने कितनी आरटीआई पड़ी होगी, जिनका जवाब देना तक मुनासिब नहीं समझा जाता है.

कॉलिंग

सवा सौ करोड़ युवाओं को नौकरी सरकार नहीं दे सकती है. स्टार्टअप वर्किंग में है, लेकिन बहुत से स्टार्ट अप बंद भी हुए हैं. रोजगार के माध्यम कम होने के बजाय बढ़े, सरकार कुछ ऐसा करे.

गौरव मिश्रा

सरकार चुनने में वोटर अब ज्यादा सेंसिबल हो गया है. अब भेड़चाल वाले न तो वोटर हैं और न ही पहले जैसा मिजाज. अब वोट देने से पहले वोटरों ने ये तुलना करना शुरू कर दिया है कि कौन सा नेता देश का, क्षेत्र का विकास कर सकता है.

बबलू यादव

युवाओं को अब भाषण नहीं चाहिए, एक्शन, रिएक्शन और नौकरी चाहिए. जिससे वो समाज में सम्मान के साथ जी सके. पढ़ाई-लिखाई करने के बाद अगर यूथ को पकौड़ी की दुकान लगानी पड़े तो फिर पढ़ाई करना व्यर्थ है.

दीपक गुप्ता

आजादी के बाद से लेकर आज तक करप्शन इस देश का सबसे बड़ा मुद्दा और डेवलपमेंट में बाधक रहा है. लेकिन आज भी ये बाधा दूर नहीं हो सकी है. करप्शन कल भी हावी था और आज भी हावी है.

रामकृष्ण यादव

हमारे देश में बेरोजगारों की फौज कितनी है, यह जानने के लिए कोई सर्वे कराने की नहीं बल्कि बस नौकरी के लिए एक भर्ती निकालने की जरूरत है. एक-एक सीट पर दस से 20 हजार तो कहीं 30-30 हजार आवेदक खड़े हो जाते हैं.

शिवम मिश्रा

चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादों के साथ सक्रिय हो जाते हैं. पब्लिक के बीच घूमने लगते हैं. लेकिन अब ये हमें समझना पड़ेगा कि वोट किसको देना है. झूठा वादा करने वाले को या फिर काम करके दिखाने वाले नेता को?

दीपक यादव

सरकार जो भी बनाएगा, वो हमारे और आपके बीच का ही व्यक्ति होगा. इसलिए पहले जरूरी है कि हम अपने अंदर की कमियां उनको दूर करें. इसके बाद दूसरों में कमियां निकालें. लोग जब खुद सुधरेंगे तो फिर नेताओं को भी सुधरना पड़ेगा.

देवांश सिंह

रोजगार और नौकरी के लिए किसी भी गवर्नमेंट का माइंडसेट क्लीयर होगा, तभी बेहतर डेवलपमेंट हो सकेगा. लेकिन हकीकत यह है कि गवर्नमेंट चलाने वालों का माइंडसेट जातिवाद, धर्मवाद व अन्य मुद्दों पर अटका हुआ है.

निर्भय यादव

जीएसटी और नोटबंदी जैसा फैसला अगर दुबारा लिया जाता है तो उसका फायदा पूरे देश को होगा. वैट का भी विरोध हुआ था, लेकिन बाद में व्यापारियों ने उसे अपनाया.

अंकित तिवारी

फॉरेन इनवेस्टमेंट में इंडिया नंबर वन पर आया है, जिससे लोग प्रभावित हुए हैं. प्रभाव का असर दिखेगा. व‌र्ल्ड लेवल पर जो भी चीजें और बदलाव हो रहे हैं, उसका असर तो हो साथ ही एक आम आदमी को प्रभावित करने वाली योजनाओं में सुधार होना चाहिए.

नीरज सिंह

सबसे बड़ा मुद्दा है बेरोजगारी, अब तक की सरकारों ने रोजगार पर कुछ खास नहीं किया. जो भी सरकार आए, वह रोजगार जेनरेशन पर फोकस करे.

अतुल यादव

पॉलिटिशियंस युवाओं को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. राजनीति में भी एज डिसाइड होनी चाहिए. ज्यादा एज वालों को राजनीति से संन्यास लेना चाहिए. ताकि युवाओं को मौका मिले.

सौरभ गौड़

Posted By: Vijay Pandey