प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार समिति ईएसी-पीएम के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एआई के कारण भारत में नौकरियों पर संकट नहीं आएगा। देबरॉय का यह बयान कुछ विशेषज्ञों के एक बयान के संदर्भ में था। इस बयान में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कइयों ने एआई के प्रयोग से कुशल और अकुशल श्रमिकों की नौकरियां जाने को लेकर अपना डर व्‍यक्‍त किया था।


कुछ पद खत्म होने से नौकरियां खत्म नहीं होतींनई दिल्ली (प्रेट्र)। ब्रूकिंग इंडिया सेमिनार में 'मैन्युफैक्चरिंग जॉब्स : इंप्लीकेशंस फॉर प्रोडक्टिविट एंड इनइक्वेलिटी' विषय पर बोलते हुए देबरॉय ने कहा कि हमेशा कुछ पद खत्म होते रहते हैं, इसका मतलब यह नहीं होता कि नौकरियां खत्म हो जाएंगी। एआई को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, खासकर भारत में। हम मानव विकास और उसके स्किल डेवलपमेंट को लेकर प्रतिबद्ध हैं।राजन ने कहा था एआई रोजगार के लिए चिंता


पिछले महीने राजन ने कहा था कि मशीन लर्निंग, एआई और रोबोटिक्स नौकरियां खत्म करके बदलाव लाने जा रही हैं। इनमें मिठाई की दुकानों में अकुशल श्रमिकों से लेकर मेडिसिन में अति कुशल कामगार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगले 10 से 15 सालों में इस संकट से बचने के लिए इंसान को क्या करना होगा। उन्होंने कहा कि वे काम जिनमें अति समझबूझ और रचनात्मकता की जरूरत होगी, वो काम जिनमें हमदर्दी की आवश्यकता पड़ेगी और वैसे काम जहां इंसान की जरूरत होगी ये ऐसे कुछ रास्ते हैं जो हमारा बचाव कर सकेंगे।सरकारी स्किल डेवलपमेंट से नहीं मिलेगा रोजगार

भारत में रोजगार का हवाला देते हुए देबरॉय ने कहा कि भारत में श्रमिकों के साथ अपेक्षाकृत ज्यादा मौके हैं। 2035 तक तो देश में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं आने जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 सालों में जीडीपी में स्थिरता है। 2018 के अंत तक और 2019 की शुरुआत में रोजगार आंकड़ों में और सुधार होगा। इसी कार्यक्रम में योजना आयोग के पूर्व चेयरमैन मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि पश्चिम ने भारत के घरेलू विकास पर बहस का मुद्दा ही बदल दिया। असमानता बनाया विकास इसका ही एक उदाहरण है। दरअसल सरकार जिस स्किल डेवलपमेंट को ढोल पीट रही है, वास्तव में उससे कोई रोजगार नहीं मिलने वाला। हमें सिंगापुर, थाईलैंड और इंडोनेशिया से सीखने की जरूरत है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh