इस वर्ष अक्षय तृतीया 07 मई 2019 मंगलवार को मनायी जायेगी। तृतीया तिथि मध्यरात्रोपरान्त 02ः16 बजे तक रहेगी। इस दिन मंगलवार को रोहिणी नक्षत्र सायं 04ः26 बजे तक रहेगा। बाद में मृगशिरा आ जाएगा।

वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया की संज्ञा दी गई है, मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी धार्मिक कार्य अक्षय होता है, उनका फल कभी समाप्त नहीं होता। भविष्य पुराण के अनुसार, इस तिथि से युगादि तिथियों का प्रारम्भ हुआ था, इसलिए इसका धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के नर-नारायण और परशुराम जी का अवतरण भी हुआ था। ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।

मुहूर्त ज्योतिष में इस दिन को अबूझ मुहूर्त के रूप में मान्यता प्राप्त है। यदि यह व्रत सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र में आए तो महान फलदायक माना जाता है। इसका फल मृगशिरा में भी अच्छा होता है। इस दिन तिल सहित कुशों के जल से पितृों का जलदान करने से पित्तीश्वरों की अनन्त काल तक तृप्ती होती है। इस दिन प्रातः काल मूंग और चावल की खिचड़ी बिना नमक डाले बनाई जाती है।

इस दिन किसी भी कार्य का नहीं होता क्षय

इस वर्ष अक्षय तृतीया 07 मई 2019, मंगलवार को मनायी जायेगी। तृतीया तिथि मध्यरात्रोपरान्त 02ः16 बजे तक रहेगी। इस दिन मंगलवार को रोहिणी नक्षत्र सायं 04ः26 बजे तक रहेगा। बाद में मृगशिरा आ जाएगा। स्वंय सिद्धि मुहुर्त संज्ञक अक्षय तीज अत्यन्त शुभ फलदायक मानी जाएगी। इस तिथि में होने वाला कोई भी कार्य क्षय नहीं होता, बल्कि प्रत्येक कार्य में सिद्धि मिलती है। यह स्वंय सिद्धि मुहूर्त यदि अपनी राशि के अनुसार शुभ लग्न, चैघड़िया मुहूर्त भी सही मिल जाए तो कई गुना अधिक शुभ फल में वृद्धि होती है।

अक्षय तृतीया के दिन का चैघड़िया मुहूर्त

श्रेष्ठ चैघड़िया मुहूर्त चर, लाभ, अमृत का चैघड़िया:- प्रातः काल 08ः52 से अपरान्हः 01ः52 बजे तक।

शुभ का चैघड़िया:- अपरान्ह 03ः12 से सांय 04ः51 बजे तक।

उपरोक्त श्रेष्ठ चैघड़िया मुहूर्त के साथ श्रेष्ठ लग्न कर्क और सिंह प्रातः 10ः14 बजे से अपराह्न 02ः50 बजे तक सब कार्यों में पूजा करने तथा कराने वालों के लिए एवं खरीदारी के लिए अभिष्ट सिद्धि मानी जाएगी। दिन में भी कर्क लग्न में अभिजीत मुहूर्त लगेगा, जोकि कई दोषों को दूर करने में सहायक होगा। स्वंय सिद्धि मुहूर्त अथवा अबूझ मुहूर्त एवं अवतार तिथि के समागम में पूजन शुभ होता है, कार्य निष्फल नहीं होता। 

अक्षय तृतीया: पूजा विधि

इस दिन लक्ष्मी जी सहित भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पहले भगवान नारायण और लक्ष्मी जी की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर माल्यार्पण करना चाहिए। इस दिन सफेद पुष्पों और वस्त्रों का अत्यधिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सफेद वस्तुओं के द्वारा किया गया पूजन उत्तम फल देने वाला होता है, इसलिए महालक्ष्मी और भगवान विष्णु को सफेद कमल और सफेद गुलाब अर्पित करने चाहिए।

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भगवान की धूप-दीप से आरती उतारकर चन्दन लगाना चाहिए, मिश्री और भीगे चनों का भोग लगाना चाहिए। भगवान को तुलसी दल और नैवेद्य अर्पित कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर श्रद्धानुसार दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन किए गए दान का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

— ज्योतिषाचार्य पं. राजीव शर्मा

Posted By: Kartikeya Tiwari