Allahabad: अलॉर्मिंग सचुएशन तो लास्ट इयर ही थी. एक सीट पर दो कैंडीडेट का रेशियों भी नहीं आया था. इंट्रेंस टेस्ट का रिजल्ट आने के बाद कैंडीडेट्स से मिले रिस्पांस ने यूपीएसईई आयोजकों की धड़कन बढ़ा दी थी. जैसे-तैसे डायरेक्ट एडमिशन की परमिशन देकर काम चला लिया गया. लेकिन इस साल का रिस्पांस तो इतना खराब है कि ऑफिसर्स के साथ ही टेक्निकल कॉलेजेज के संचालकों तक की धड़कनें बढ़ गई हैं. खुलकर भले ही वे कुछ न बोलें लेकिन अनऑफिशियली तो इंस्टीट्यूट रन कराने वाले भी बोलने लगे हैं कि क्वालिटी मेंटेन नहीं करेंगे तो एक न एक दिन यह रिस्पांस तो आना ही था. थर्सडे को लास्ट डेट समाप्त होने के बाद सीटों के अगेंस्ट रिस्पांस करीब-करीब फिफ्टी परसेंट के आसपास ही था. इसे देखते हुए डेट चार दिनों के लिए एक्सटेंड करने का फैसला लिया गया है. देखते हैं इसका रिस्पांस क्या आता है.

बड़ी संख्या में खाली रह जाएंगी सीटें 

यूपीएसईई के लिए फॉर्म डिस्ट्रीब्यूशन पोस्ट ऑफिसेज से किया जा रहा है। पूर्व घोषित शिड्यूल के मुताबिक फॉर्म फाइलिंग की लास्ट डेट 21 मार्च थी। सूत्रों के मुताबिक पोस्ट ऑफिसेज में जितने फॉर्म भेजे गए थे, उसके आधे ही बिके हैं। लास्ट इयर की तुलना में इस बार फॉर्म डिस्ट्रीब्यूशन की रफ्तार बेहद स्लो थी। डाकघरों में अभी लगभग आधे फॉर्म रखे हुए हैं। इस रिस्पांस में तो इंट्रेंस टेस्ट कराने का भी कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि फॉर्म भरने वाले सभी कैंडीडेट्स को एडमिशन का मौका दे दिया जाय तो भी आधी से ज्यादा सीटें खाली रह जाएंगी। इस स्थिति में कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशंस जो खासकर पिछले एक दो सालों में खुले हैं की धड़कनें बढ़ गई है। उन्हें ये डर सताने लगा है कि कहीं ऐसा न हो कि उनके कॉलेज में होने वाले एडमिशन की संख्या लास्ट इयर से भी कम हो जाए।

Counter पर पसरा है सन्नाटा

जीबीटीयू के फॉर्म स्टेट के ज्यादातर सिटी में हेड पोस्ट ऑफिस से कैंडिडेट को अवेलेबल कराए जा रहे हैं। हालांकि लास्ट डेट एक्सटेंड किए जाने की इंफॉर्मेशन वेडनसडे को ही जारी कर दी गई थी इसके बाद भी सिटी के हेड पोस्ट ऑफिस के उन काउंटर्स पर थर्सडे को सन्नाटे का आलम ही नजर आया। पोस्ट ऑफिस से जुड़े ऑफिसर्स भी इस रिस्पांस से भौचक्के हैं। सोर्सेज की मानें तो यूनिवर्सिटी की ओर से पोस्ट ऑफिस को कुल 9450 फॉर्म मिले थे। इनमें अभी 3634 फॉर्म को बिकना बाकी है। इसके अलावा लगभग 200 फॉर्म अलग-अलग खामियों के कारण रिजेक्ट कर दिए गए हैं। अन्य दूसरे सिटी की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। इसके अलावा कैंडिडेट्स की ओर से किए गए फॉर्म का ऑनलाइन सबमिशन भी बहुत संतोषजनक नहीं बताया जा रहा है।

मजबूरी में लिया गया फैसला

अफिलिएटेड कॉलेजों में सीट खाली रह जाने का डर एंटे्रंस एग्जाम कराने वाली यूनिवर्सिटी जीबीटीयू (गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी) को भी है। यही कारण है कि यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने फॉर्म सबमिट करने की डेट बढ़ा दी है। एंट्रेंस एग्जाम में अधिक से अधिक कैंडिडेट शामिल हो सकें, इसके लिए जीबीटीयू ने फॉर्म लेने व सबमिट करने की लास्ट डेट 21 से बढ़ाकर 25 मार्च कर दी है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने इसके लिए बकायदा नोटिस भी जारी कर दिया है।

Last year भी खराब थी स्थिति

वैसे तो यूपीएसईई में शामिल होने वाले कैंडिडेट्स की संख्या लास्ट इयर भी बहुत अच्छी नहीं थी। लेकिन, इतने फॉर्म तो भरे ही गए थे जो सीटों से ज्यादा थे। इस बार कैंडिडेट्स के कम रुझान को देखते हुए लगता है कि स्थिति और खराब होगी। ऑफिसर्स के मुताबिक लास्ट इयर एंट्रेंस एग्जाम में शामिल होने के लिए लगभग दो लाख कैंडिडेट्स ने फॉर्म सबमिट किया था। जबकि लगभग सवा लाख सीटों पर एडमिशन के लिए एलिजिबल कैंडिडेट्स की संख्या इससे भी कम थी. 

अब की स्थिति है और खराब

अब तक डिस्ट्रीब्यूट हुए फॉर्म की संख्या को देखते हुए इस बार की स्थिति और खराब दिख रही है। पोस्टल डिपार्टमेंट के सोर्सेज की मानें तो अब भी तक सभी डाकघरों में लगभग सवा लाख फॉर्म भेजे गए हैं। लेकिन, इनमें से डिस्ट्रीब्यूट किए गए फॉर्म की संख्या केवल 60 से 65 हजार तक ही पहुंची है।

कॉलेजों के साथ सीटों की संख्या तो बढ़ गई लेकिन ज्यादातर में बेहतर फैकल्टी मेंबर व बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। हर साल स्टूडेंट्स के प्लेसमेंट का रेशियो कम होता जा रहा है। यही कारण है कि स्टूडेंट इन कॉलेजों में इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं। यूनिवर्सिटी को कॉलेजों पर विशेष ध्यान देना होगा। मानक पूरा न करने वाले कॉलेजों की मान्यता रद्द करनी होगी, तभी सुधार संभव है।

एससी रोहतगी, एक्स डायरेक्टर आईईआरटी

 

 

जब यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन कॉलेजों को अपना नहीं समझेंगे, स्थिति इसी तरह हर साल नाजुक होती जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफिसर्स को कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए भी इनिशिएटिव लेना होगा। कैम्पस सेलेक्शन जैसे मुद्दे पर जरूरी कदम उठाने होंगे। सेशन रेगुलर व टाइम से शुरू करना होगा। स्टूडेंट्स के प्लेसमेंट में आ रही कमी इसका मेन कारण है।

केके तिवारी, सेक्रेटरी एसआईईटी 


Posted By: Inextlive