परमार्थ निकेतन शिविर में आयोजित किया गया 'शी' ग्लोबल समिट

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PRAYAGRAJ: नारी शक्ति को जागृत करने और उनके अधिकारों को लेकर कुंभ मेला प्रयागराज में सोमवार को पहली बार विश्व के विभिन्न धमरें के अनेक धर्मगुरुओं, राजनेताओं और तकनीक विशेषज्ञों की मौजूदगी में 'शी' ग्लोबल समिट का आयोजन किया गया। जिसमें बाल विवाह, लिंग आधारित असमानता, मासिक धर्म, महिला सशिक्तकरण, महिला उत्थान के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस व परमार्थ निकेतन की ओर से सोमवार को सेक्टर 18 अरैल स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में ग्लोबल समिट का आयोजन किया गया।

कुंभ से पूरे विश्व में जाएगा संदेश

ग्लोबल समिट की शुरुआत लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन ने की। उन्होंने कहा कि यह शक्ति कुम्भ का मंच नहीं बल्कि व्यासपीठ है। जिन्होंने पूरा जीवन समाज के लिये समर्पित किया ऐसी महान विभूतियाें का महासंगम परमार्थ निकेतन शिविर में हुआ है। जो चाहते हैं कि भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का कल्याण हो। आज उस शक्ति को जगाने का कार्य इस समिट के माध्यम से हो रहा है यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।

नारी सशक्तिकरण है जरूरी

केन्द्रीय राज्य मंत्री सत्यपाल ने कहा कि समाज और देश के अन्दर जितनी भी अपराध रूपी बीमारियां हैं, इन सब के समाधान का एक ही अमृत कलश है और वह है नारियों का सशक्तिकरण। जिस दिन नारियों का सशक्तिकरण होगा उस दिन इस देश की सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

खुद पर गर्व करें महिलाएं

प्रदेश की पर्यटन मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि मनुष्य को सभी जीवनदायिनी चीजें मां के स्वरूप से ही मिली हैं। संसार की सारी शक्तियों की संचालक नारी शक्ति ही है। इसलिए महिलाओं को गर्व होना चाहिये कि वे महिला हैं।

पूरा विश्व तोड़े चुप्पी

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम आज उन मुद्दों पर चर्चा व मंथन कर रहे हैं, जिसकी वजह से आज पूरा विश्व परेशान है। कुंभ के जरिये भारत ही नहीं, पूरे विश्व को संदेश दिया जाएगा। 2001 के कुंभ में ग्रीन और क्लीन कुम्भ का संदेश दिया गया था। 2019 के कुंभ में हम सभी बाल विवाह, मासिक धर्म, महिला सशिक्तकरण जैसे मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़कर एकजुट होकर नये विश्व के निर्माण का संकल्प ले रहे हैं।

बच्चों की शादी करना मानवता के खिलाफ

जीवा की अंतरराष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि बच्चों की शादी करना मानवता के खिलाफ अपराध है। इसमें शारीरिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है। युवाओं को शिक्षा के साथ संस्कारों की भी नितांत आवश्यकता है।

स्वयं का सम्मान करना सीखें महिलाएं

गुरू मां आनन्दमूर्ति ने महिलाओं का आह्वान किया कि महिलाएं स्वयं का सम्मान करना सीखें। विद्या, ज्ञान, तपस्या का अधिकार सभी का है। बेस्त्रिया और हर्जिगोविना के पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हरिस सिलाच्दिविक ने कहा कि यह संगम संस्कृतियों के आदान-प्रदान का संगम है। हमें अपनी तकनीक का उपयोग सही दिशा में करना चाहिये तभी हम दुनिया में परिवर्तन ला सकते हैं।

बच्चों को श्रेष्ठ बनाने की है जरूरत

बिन्नी सरीन ने कहा कि हम सभी जागरूकता का संकल्प करें हमें अपने समुदाय में अपने बच्चों को श्रेष्ठ नेता बनाने की जरूरत है। मां करुणामयी अम्मा ने कहा की भारतीय महिलायें आध्यात्मिक महिलाएं हैं, जिस प्रकार हम एक पौधे के सुरक्षित विकास के लिये प्रयत्‍‌न करते हैं, उसी तरह हमें अपने बच्चों को नैतिक मूल्यों के साथ विकसित करना होगा। मेयर प्रयागराज अभिलाषा गुप्ता नंदी, गंगा नन्दिनी, स्वामिनी आदित्यनन्दा सरस्वती, डॉ। रंजना विमल आदि मौजूद रहीं।

Posted By: Inextlive