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-डेंजर लेवल में रखा गया है प्रयागराज को

-कुंभ के पहले पानी स्नान योग्य बनाना है चैलेंज

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: मान्यता और आस्था ही है जो लाखों-करोड़ों लोगों को संगम की रेती पर खींच लाती है। इस आस्था का मुख्य आधार मां गंगा हैं। आज से ठीक 76 दिन बाद इसी रेत पर एक दुनिया आबाद हो जाएगी। देश-दुनिया से करोड़ों लोग यहां आएंगे, उसी पवित्र गंगा में डुबकी लगाने जिसका जल प्रयागराज में आचमन योग्य भी नहीं रह गया है। यह खुलासा हुआ है कि केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में। इसमें स्पष्ट तौर पर यह बताया गया है कि उत्तराखंड को छोड़ दिया जाए तो यूपी, बिहार, बंगाल में कहीं भी गंगा जल आचमन योग्य नहीं रह गया है।

चार साल से चल रही है सफाई

कुंभ मेला 2019 के भव्य और दिव्य आयोजन को लेकर अरबों रुपए खर्च किया जा रहा है। बड़े पैमाने पर डेवलपमेंट वर्क कराया जा रहा है। लेकिन इस आयोजन का जो मुख्य आधार है, उसकी निर्मलता पर किसी का फोकस नहीं है। वैसे इस पर केन्द्र सरकार ने अपनी चिंता जरूर व्यक्त कर दी थी। नमामी गंगे योजना के तहत गंगा की सफाई का महा अभियान चलाया जा रहा है। इलाहाबाद में गंगा का पानी शुद्ध करने के लिए नालों का प्रवाह इसमें जाने से रोकने के लिए पहल की जा चुकी है। इतने प्रयासों के बाद भी केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड सीपीसीबी की रिपोर्ट ने असलियत को सामने लाकर रख दिया है।

मानक से ज्यादा है बीओडी

बिठूर, कानपुर, शुक्लागंज, गोलाघाट, जाजमऊ, बिरसा, डलमऊ, प्रयागराज, मिर्जापुर, बनारस, बक्सर, पटना, फतुहा, बाढ़, मुंगेर, सुल्तानगंज, कहलगांव, राजमहल व बंगाल में गंगा जल में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) निर्धारित मानकों से बहुत ज्यादा अधिक है। सीपीसीबी के अनुसार कानपुर से आगे गंगा जल में टोटल कॉलीफार्म की मात्रा काफी अधिक है, जो प्रयागराज में और बढ़ गई है।

डेंजर एरिया में है प्रयागराज

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने स्वच्छ गंगा मिशन यानी एनएमसीजी और सीपीसीबी को निर्देश दिया था कि वह प्रत्येक 100 किलोमीटर की दूरी पर बोर्ड लगाकर यह बताएं कि गंगा का पानी पीने और नहाने लायक है या नहीं। सीपीसीबी ने अपनी वेबसाइट पर मैपिंग के साथ ही सूचना जारी किया है। इसमें चिन्हित क्रिटिकल व डेंजर एरिया में प्रयागराज स्पष्ट तौर पर दिख रहा है।

ये है मापदंड

-घुलनशील आक्सीजन की मात्रा एक लीटर जल में 6 मिलीग्राम से अधिक जबकि बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड प्रति लीटर जल में दो मिलीग्राम से कम होनी चाहिए।

-टोटल कॉलीफार्म की संख्या भी प्रति 100 एमएल 5000 से कम तथा पीएच वैल्यू 6.5 से 8.5 के बीच होनी चाहिए

-सीपीसीबी का कहना है कि इस मानदंड पर खरा उतरने के बावजूद पानी परंपरागत तरीके से छानकर और अशुद्धियों को दूर करने पर ही पीने के लिए फिट होगा

स्वच्छ जल का मानक

-एक लीटर पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम से अधिक और बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड 3 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए

-पीएच वैल्यू 6.5 से 8.5 के बीच होनी चाहिए।

वर्जन

अधिकांश जगहों पर गंगा जल आचमन योग्य नहीं होना, गंगा की सफाई के लिए किए गए प्रयासों पर सवाल खड़े करता है। गंगा के हाल में सुधार होने के बजाय स्थिति खराब होती जा रही है। यह दुखद है।

-नरेंद्र गिरी

अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

पूरी गंगा का पानी खराब नहीं है। सिर्फ उन शहरों में पानी की गुणवत्ता खराब है जहां प्रवाह कम है और प्रदूषण काफी अधिक। सीपीसीबी ने जो चेतावनी जारी की है उससे लोगों को जानकारी मिलेगी जिससे उन्हें लाभ मिलेगा।

-मधु चकहा

राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा

Posted By: Inextlive