पिछले साल दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार के चार अभियुक्तों को अदालत ने दोषी पाया है. इन चारों पर सामूहिक बलात्कार हत्या हत्या के प्रयास अप्राकृतिक कृत्य सुबूत मिटाने और डकैती के आरोप थे.


दोषी करार दिए जाने के बाद अब अदालत बुधवार को इन अभियुक्तों को सज़ा सुनाएगी. बुधवार को ही सज़ा पर बहस भी होगी.इस मामले में एक नाबालिग़ दोषी को तीन साल की सज़ा पहले ही सुनाई जा चुकी है. एक अभियुक्त की सुनवाई के दौरान जेल में ही मौत हो चुकी है.अभियुक्तों के वकील ने इस फ़ैसले पर कहा है कि वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. उनका कहना है, ''शिकायतकर्ता ने कहा था कि उसके साथ दो लोगों ने बलात्कार किया था, मगर सत्ता के दबाव में उनके मुवक्किलों को फंसाया गया.''उनका कहना है कि चारों में एक अभियुक्त बस में ही नहीं था जबकि दूसरा दिल्ली से बाहर था और इसका सुबूत अदालत में जमा कराया गया है.16 दिसंबर 2012


यह मामला पिछले साल 16 दिसंबर का है, जब राजधानी दिल्ली में 23 साल की फ़िज़ियोथिरेपी छात्रा और उसके साथी पर चलती बस में हमला किया गया था. युवती से कुछ लोगों ने सामूहिक बलात्कार कर दोनों को सड़क पर फेंक दिया था.पुलिस ने इसके बाद बस ड्राइवर समेत पांच अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया. इसके अलावा एक नाबालिग़ युवक को भी पकड़ा गया, जिस पर सबसे ज़्यादा क्रूरता बरतने के आरोप थे.

युवती को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया, पर उसकी हालत बिगड़ती गई. लोगों के विरोध के बीच उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया.मगर वहां भी उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 29 दिसंबर को गैंगरेप की शिकार इस छात्रा की मौत हो गई थी.फ़ास्ट ट्रैक कोर्टदिल्ली समेत पूरे देश में गैंगरेप के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए और समाज के अलग-अलग तबकों से बलात्कार के ख़िलाफ़ कड़े क़ानून बनाने की मांग उठी थी. (फ़ाइल फ़ोटो)उधर, तीन सितंबर को फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में भी अभियुक्तों के ख़िलाफ़ सुनवाई ख़त्म हो गई. फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में कुल 130 बैठकों में मामले की सुनवाई पूरी हुई और सौ से ज़्यादा गवाहों की गवाहियां दर्ज की गईं.वर्मा कमेटीइस बीच सरकार ने लोगों की पुरज़ोर मांग के बाद बलात्कार के क़ानूनों में बदलाव के लिए देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया. जस्टिस वर्मा कमेटी को देश भर से 80 हज़ार सिफारिशें मिली.कमेटी ने दुनिया भर के उदाहरणों को ध्यान में रखते हुए इस पर गहराई से विचार किया. जस्टिस वर्मा ने 29 दिनों में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

इस रिपोर्ट में बलात्कार के लिए फ़ांसी की सज़ा की मांग को ठुकरा दिया गया था.हालांकि कमेटी ने बलात्कार और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के दायरे और उसके पैमाने को लेकर कड़े क़ानून बनाने की अनुशंसा की.इसके बाद संसद ने बलात्कारियों के लिए मृत्यु दंड सहित कड़ी से कड़ी सज़ा के प्रावधान वाले नया विधेयक पास किया.

Posted By: Satyendra Kumar Singh