संसद का शीतकालीन सत्र एक नया इतिहास बना सकता है. शायद यह पहला सत्र होगा जब महज आठ-दस दिन के अंतराल में भाषा पर संयम बरतने की लगातार अपील हुई और इसी अंतराल में तीन सदस्य अब तक माफी भी मांग चुके हैं क्‍योंकि इन दिनों सांसदों की जुबान पर कोई कंट्रोल नहीं हो रहा है. बिना सोचे समझे अनाप शनाप बयान बाजी करना और उसके बाद माफी मांगना इन्‍हें ज्‍यादा रास आ रहा है.


खेद के बाद चल सकी संसदनाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले भाजपा के लोकसभा सदस्य साक्षी महाराज द्वारा दो बार खेद जताने के बाद ही कलको संसद सामान्य हो पाई. उससे पहले विपक्षी सदस्यों ने गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया, तो खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी 'मोदी सरकार हाय-हाय' के नारे लगाए. सरकार की ओर से हालांकि यह स्पष्ट किया गया कि गांधी के हत्यारे को सम्मान देने की बात भी नहीं हो सकती है, लेकिन इस बीच स्पीकर के निर्देश पर साक्षी महाराज को दो बार अपना बयान वापस लेते हुए खेद जताना पड़ा.विरोध में सोनिया भी थीं शामिल
विवाद ने उसी वक्त तूल पकड़ लिया था, जब दो दिन पहले साक्षी महाराज ने कहा था कि गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या जरूर की थी, लेकिन वह देशद्रोही नहीं देशभक्त थे. कल लोकसभा में एकजुट विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी. 'हे राम हे राम गांधी के हत्यारे को दिया सम्मान', मोदी सरकार हाय-हाय जैसे नारों में कांग्रेस, तृणमूल, सपा और राजद के सदस्यों के साथ साथ सोनिया भी शामिल दिखीं. गौरतलब है कि कल विपक्ष ने महाराष्ट्र के एक संगठन की ओर से गोडसे के सम्मान में शौर्य दिवस मनाने का विरोध किया था. जिससे विरोध के स्वर मुखर हुए थे.मोदी के निर्देश को तवज्जो नहींमोदी के निर्देश के बावजूद कुछ सदस्य बदजुबानी से बाज नहीं आ रहे हैं. हालांकि साक्षी ने नेतृत्व से फटकार के बाद सुधार करते हुए कहा कि वह भूलवश ऐसा बोल गए थे. पर आग ठंडी नहीं हुई. इससे पहले केंद्रीय राज्य मंत्री निरंजन ज्योति और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी को भी अपनी बदजुबानी के लिए माफी मांगनी पड़ी थी. इसके अलावा प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में बयान देकर अपेक्षा की थी कि सभी सदस्य अपनी भाषा का ख्याल रखें. राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी की ओर से मर्यादित आचरण की अपील की गई थी.

Hindi News from India News Desk

Posted By: Satyendra Kumar Singh