आई नेक्स्ट से बातचीत में छलका पद्म भूषण पं। छन्नूलाल मिश्र का दर्द

ठुमरी को बचाने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी को दिया था एकेडमी का प्रस्ताव

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ALLAHABAD: भारतीय शास्त्रीय संगीत में संगीत सम्राट पद्म भूषण पं। छन्नूलाल मिश्र का नाम लोगों के जेहन में बसा है। यही नहीं उनका नाम तब और ज्यादा चर्चित हो गया जब लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय वे नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावक बने। अब उन्हें इस बात का सबसे ज्यादा दर्द है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद काशी में ठुमरी, दादरा व ख्याल जैसी विधा के लिए विश्वस्तरीय एकेडमी के प्रस्ताव पर अब तक केंद्र ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया है।

समारोह में शामिल होने आए

एक समारोह में शामिल होने के लिए इलाहाबाद पहुंचे पं। मिश्र ने कहा कि अब तो लगता है कि एकेडमी बनवाने का सपना अधूरा ही रह जाएगा क्योंकि एकेडेमी बनने में कम से कम पांच वर्ष लगेंगे और केन्द्र में सरकार बनने के दो साल बाद भी अब तक जमीन ही नहीं तलाश की जा सकी है। इतना कहकर उन्होंने अपनी एक शायरी 'इलाही कोई तमन्ना नहीं जमाने में, मैंने सारी उम्र गुजारी है गाने में' सुनाई।

खुद के ट्रस्ट से बचाई परंपरा

पं। मिश्र चैरिटेबुल ट्रस्ट के जरिए सम्राट ठुमरी, दादरा, चैती, ख्याल, कजरी, सावनी जैसी शास्त्रीय संगीत की विधाओं को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive