-30-40 परसेंट कम हो गया इलेक्ट्रिक व्यापार, महंगे हो गए होम अप्लायंसेस

-बिजनेस के साथ बिजनेसमैन भी हैं जीएसटी की चपेट में

ALLAHABAD: जीएसटी ने इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक मार्केट को भी शॉक दिया है। इलाहाबाद में इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक का मार्केट काफी बेहतर है। हर रोज का टर्न ओवर 10 करोड़ रुपए के करीब है। लेकिन पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी लागू होने के बाद साल भर के अंदर इलाहाबाद में इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक सामानों के एनुअल सेल में 30 से 40 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद बिजनेस कम बल्कि बिजनेस करने वाला बिजनेसमैन अधिक प्रभावित हुआ है।

28 परसेंट तक पहुंच गया टैक्स

जीएसटी में टैक्स स्लैब बढ़ाते हुए 12 से 28 परसेंट तक टैक्स लगाया गया है। यदि कोई कस्टमर एक लाख रुपए का सामान खरीदता है, तो 28 हजार रुपए केवल टैक्स का होता है, जो बिल में सीधे तौर पर दिखाई देता है।

काफी बढ़ गया है बुक वर्क

इलेक्ट्रिक उपकरण के व्यापार से जुड़े दुकानदारों का कहना है कि जीएसटी से पहले वैट में विभिन्न उपकरणों पर 13.25 प्रतिशत टैक्स लगता था। इसे सरकार ने 5, 12, 28 प्रतिशत के तीन स्लैब में बांट दिया है। इससे एक ग्राहक को तीन सामान खरीदना है तो उसे अलग-अलग तीन बिल बनाकर देना पड़ता है। इसकी वजह से बुक वर्क काफी बढ़ गया है। शहर में इलेक्ट्रिक उपकरणों की बात करें तो बिजली के प्लग, पंखे, प्रेस, बिजली के तार आदि सामान अलग-अलग राज्यों से आते हैं। कुछ सामान राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों से आता है। दिल्ली से आने वाले इलेक्ट्रिक उपकरणों का लेखा-जोखा नहीं रहता था, जिसे यूं ही खपा दिया जाता था।

इलेक्ट्रानिक ट्रेड ई-वे बिल बढ़ाए सरकार

केंद्र सरकार ने टीवी, फ्रीज को 28 परसेंट टैक्स के दायरे में लाने के साथ ही 50 हजार रुपए से अधिक के मूल्य के सामान पर ई-वे बिल कम्पलसरी कर दिया है। वहीं कोई भी अच्छी फ्रिज, एलईडी टीवी और एसी की कीमत 50 हजार रुपए से कम नहीं बनती है। ऐसे में सरकार को इलेक्ट्रानिक ट्रेड ई-वे बिल की सीमा 50 हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए करनी चाहिए।

कॉलिंग

जीएसटी लागू होने और टैक्स स्लैब बढ़ने के बाद भी इलेक्ट्रिक सामानों के रेट पर वैट की अपेक्षा अधिकतम चार से पांच प्रतिशत ही रेट बढ़ा है। लेकिन सबसे अधिक दिक्कत हम व्यापारियों को हो रही है। काम नहीं हो पा रहा है।

-प्रमय मित्तल

जेपी इलेक्ट्रानिक्स

साउथ मलाका

आयरन और मिक्सी ये दोनों ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिसे गरीब-अमीर दोनों यूज करते हैं। इसे 28 परसेंट टैक्स स्लैब में डाला गया है। इस वजह से होम अप्लायंसेस महंगे हो गए हैं। अमीर पर नहीं असर तो गरीब कस्टमर पर पड़ रहा है।

-बाल कृष्ण अग्रवाल

पूर्व अध्यक्ष

इलाहाबाद इलेक्ट्रिक संघ

इलेक्ट्रिक उपकरण खरीद में एक जैसा स्लैब होना चाहिए। टैक्स स्लैब बढ़ने से सामान का रेट बढ़ गया है। होम अप्लायंसेस आइटम महंगा हो गया है। वहीं जीएसटी में रिटर्न के साथ ही पेनाल्टी के बोझ से व्यापार करने में दिक्कत हो रही है।

राजेश अग्रवाल

मेगा इलेक्ट्रानिक

एमजी रोड

टीवी और फ्रिज आज हर घर की जरूरत की वस्तु बन गए हैं। इस पर 28 प्रतिशत टैक्स सस्ते और छोटे मॉडल पर सरकार को टैक्स की दर कम करनी चाहिए।

-वीरेंद्र कुमार

केके सेल्स

सिविल लाइंस

फैक्ट फाइल

28 परसेंट टैक्स

टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, इलेक्ट्रिक हीटर, इलेक्ट्रिक फैक्स मशीन, लैंप, लाइट फिटिंग्स, आयरन, मिक्सी, इंसुलेटेड वायर

12 परसेंट टैक्स

मोबाइल, एलईडी लाइट

18 प्रतिशत टैक्स

इलेक्ट्रिक मोटर, जेनरेटर, ऑप्टिकल फाइबर

Posted By: Inextlive