हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया

prayagrja@inext.co.in

मृत्यु से पहले विवाहिता के दो बयान दर्ज किये गये. दोनों में विरोधाभाष था. इसी संदेह के आधार पर लोअर कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पाने वाली सास को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सजा रद करते हुए जेल में बंद महिला को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है. आरोपित महिला 11 साल से जेल में बंद है.

काम नहीं आया परिस्थितिजन्य साक्ष्य

लोअर कोर्ट का आदेश खारिज

यह आदेश जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर और राजबीर सिंह की खंडपीठ ने विद्या देवी की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए दिया है. अपील पर अधिवक्ता कृपाकांत पांडेय ने बहस की. इनका कहना था कि राल गांव में अपने घर में 15 अगस्त 2007 को खाना बनाते समय बहू मीना बुरी तरह से झुलस गयी. 96 फीसदी जली हालत में उसके दो बयान पुलिस ने कोर्ट में पेश किये. एक में सास पर जलाने तथा दूसरे में पूरे परिवार द्वारा मिलकर जला दिया जाना बताया गया. अभियोजन द्वारा पेश परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी सिद्ध नही हुए. पति मुकेश व ससुर हरि सिंह को सत्र न्यायालय ने ही बरी कर दिया था. कोर्ट ने मृत्युकालिक दो बयानों में विरोधाभाष व अन्य साक्ष्य न होने के कारण आरोपी को सुनायी गयी सजा सही नही माना और कहा कि सत्र न्यायालय ने सजा देने में कानूनी गलती की है. कोर्ट ने हत्या के आरोप में सुनायी गयी आजीवन कारावास की सजा को रद कर दिया है.

Posted By: Vijay Pandey