इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद की मुकदमे की कार्यवाही

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत ट्रायल के दौरान ही सम्मन जारी किया जा सकता है. आपराधिक मुकदमे का फैसला हो जाने के बाद कोर्ट इस धारा के तहत मिली शक्ति का उपयोग करके सम्मन मुकदमा नये सिरे से शुरू करने के लिए नहीं कर सकता. कोर्ट ने याची ओम प्रकाश के खिलाफ मऊ में चल रही आपराधिक कार्यवाही व जारी सम्मन को रद कर दिया है.

पीडि़ता के बयान में विरोधाभाष

यह आदेश जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने ओमप्रकाश की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याची अधिवक्ता दयाशंकर मिश्र का कहना था कि एक आपराधिक केस में आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया और फैसले के बाद धारा 319 में याची को सम्मन जारी किया है. कोर्ट ने कहा कि जैनू व ओम प्रकाश एक ही व्यक्ति है जबकि विवेचनाधिकारी ने याची की अपराध में लिप्तता के सबूत न होने के कारण बाहर कर दिया था. पीडि़ता ने जैनू को भी अन्य के साथ आरोपी कहा है. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार पीडि़ता नाबालिग लड़की का अपहरण कर सामूहिक दुराचार किया गया और वाराणसी में बेच दिया गया. लड़की के बयान पर आरोपियों के खिलाफ केस चला. दुबारा व पहले बयान में विरोधाभाष है. कोर्ट ने दो आरोपियों को बरी कर दिया. मामले में चार लोगों पर दुराचार व अपहरण का केस दर्ज कराया गया था. कोर्ट कहा कि जैनू ही ओम प्रकाश है. मडुवाडीह की निशा के साथ याची को भी सम्मान जारी किया गया था.

कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर सवाल

याची अधिवक्ता ने कोर्ट की अधिकारिता पर सवाल उठाये और कहा कि मुकदमे में फैसले के बाद कोर्ट को धारा 319 के तहत कार्यवाही शुरू करने का अधिकार नही है इस धारा में कोर्ट को विशेष अधिकार वास्तविक अपराधी बचने न पाये इसलिए दिया गया है. इस शक्ति का इस्तेमाल दौरान मुकदमा ही किया जा सकता है. कोर्ट ने नये सिरे से शुरू की गयी अपराधिक मुकदमे की कार्यवाही रद कर दी है.

Posted By: Vijay Pandey