-इविवि में नियमों के अनुसार चुनाव के दो सप्ताह में चुनावी खर्च देने का नियम

-5000 रुपए की सीमा, चुनाव में खूब दिखी धनबल और बाहुबल की धमक

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव 05 अक्टूबर को कराए गए थे। इस चुनाव में धन और बाहुबल का वैभव सड़क से लेकर कैम्पस तक देखने को मिला था। तब धनबल और बाहुबल का ऐसा जोर था। जिसने जिला प्रशासन, पुलिस और विवि प्रशासन की नाक में दम कर दिया था। हाल ये था कि चुनाव से पूर्व, नामांकन के दिन और मतदान दिवस पर सड़के पोस्टर, बैनर और पैम्फलेट से पट गई थीं। इविवि छात्रसंघ चुनाव में पैसा पानी की तरह बहा। इससे चुनाव आचार संहिता तार-तार होती रही। वहीं छात्रसंघ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का दबंग अंदाज चुनाव बाद भी देखने को मिला। चुनावी प्राविधान के विपरीत किसी भी प्रत्याशी ने चुनावी खर्च का ब्यौरा विवि प्रशासन को नहीं सौंपा है।

माफिया गैंग का भी लगा पैसा

गौरतलब है कि इविवि छात्रसंघ चुनाव सत्र 2018-19 में कुल 55 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया। इनमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, संयुक्त सचिव, सांस्कृतिक मंत्री समेत संकाय प्रतिनिधियों के लिए चुनाव करवाया गया। चुनाव में कई ऐसे प्रत्याशी भी शामिल हुए। जिन्हें जिताने के लिए माफिया गैंग ने भी धन और ताकत का इस्तेमाल किया। चुनाव में दबंग प्रवृत्ति के अभिषेक सिंह माइकल, अच्युतानंद शुक्ला और अभिषेक सिंह सोनू जैसे क्रिमिनल माइंडेड पूर्व छात्रनेताओं का दबदबा साफ दिखा। तीनो खुद भी चुनाव के दौरान कैम्पेनिंग को लेकर काफी सक्रिय दिखे।

चुनाव के बीच घोषित हुए इनामिया

चुनाव में बढ़ती रंजिश और घटनाओं पर नियंत्रण के लिए एसएसपी नितिन तिवारी को खुद कमान संभाली। प्रशासन ने चुनाव में काफी सक्रिय नजर आ रहे तीनो दबंग पूर्व छात्रनेताओं पर शिकंजा कसा और इन्हें 25-25 हजार रुपए का इनामिया घोषित कर दिया। इसके बाद ये गायब हो गए। चुनावी सरगर्मी में अपराध और पैसे का गठजोड़ कैसा रहा होगा? यह केवल इससे ही समझा जा सकता है। धनबल के बेस पर चुनाव लड़ने वाले एक प्रत्याशी को महत्वपूर्ण पद पर जीत भी हासिल हुई। उधर, अब चुनाव के बाद नियमों के अनुसार चुनावी खर्च का ब्यौरा देने की बात आई तो कोई भी आगे नहीं आया।

जिससे कोई भी कर सके जांच

विवि प्रशासन के सोर्सेस का कहना है कि एक भी प्रत्याशी ने अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा नहीं सौंपा है। जबकि इविवि छात्रसंघ विनियम में प्राविधान है कि चुनाव खत्म होने के दो सप्ताह के भीतर सभी प्रत्याशी अपने खर्च का ब्यौरा स्वत: प्रमाणित प्रतिलिपि पर उपलब्ध कराएंगे। विवि इस खर्च को उचित माध्यमों द्वारा प्रकाशित करवाएगा। इससे छात्रसंघ का कोई भी सदस्य उक्त खर्च की स्वतंत्र रूप से जांच कर सके। बता दें कि चुनाव में खर्च की अधिकतम सीमा 5000 रुपए निर्धारित है।

ये था प्राविधान

- किसी भी प्रत्याशी का चुनाव नियमों की अवहेलना अथवा सीमा से अधिक खर्च की स्थिति में निरस्त कर दिया जाएगा।

- चुनाव में छपे पोस्टर, पैम्फलेट अथवा किसी भी प्रचार हेतु छपी सामग्री के उपयोग की अनुमति नहीं थी।

- प्रत्येक राजनीतिक दलों से धनराशि प्राप्ति को छात्रसंघ में रोकने के लिए प्रत्याशियों पर यह विशेष रोक लगाई गई थी कि वे छात्र समुदाय से प्राप्त ऐच्छिक धनराशि के अतिरिक्त किसी अन्य स्त्रोत से धन प्राप्त नहीं करेगा।

- मतदान केन्द्र से 100 मीटर की दूरी तक चुनाव प्रचार प्रतिबन्धित था।

- मतदान के 24 घंटे पूर्व आमसभा करना वर्जित था।

- प्रत्याशी केवल हाथ से निर्मित प्रचार सामग्री का ही उपयोग कर सकते थे।

- विवि परिसर के अंदर और बाहर जुलूस निकालने पर भी रोक थी।

चुनावी खर्च का ब्यौरा सौंपने के लिए किसी ने मुझसे डायरेक्ट कांटैक्ट नहीं किया है। बीच में सरकारी अवकाश भी पड़ गया। सोमवार से कार्यालय खुलने के बाद ही मैं कुछ स्पष्ट बता सकता हूं।

प्रो। आरके उपाध्याय, रिटर्निग ऑफिसर 2018 इलेक्शन

Posted By: Inextlive