फंसी कुर्सी, निष्कासन की भी लटकी तलवार, कैंपस में 15 मई तक प्रवेश बैन

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के महामंत्री शिवम सिंह का विश्वविद्यालय से नामांकन निरस्त कर दिया गया है. उन पर यह कार्रवाई इविवि छात्र अनुशासन संहिता और इविवि छात्रसंघ चुनाव संहिता विनियम 2012 का उल्लंघन किए जाने के कारण की गई है. ताराबगंज रोड रगरागंज बाजार गोंडा निवासी विजय पाल सिंह के पुत्र शिवम सिंह विवि में एमए प्रथम वर्ष राजनीतिशास्त्र के छात्र हैं. चीफ प्रॉक्टर प्रो. आरएस दुबे की ओर से भेजे गए कारण बताओ और निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनका विवि की स्नातक परीक्षाओं के दौरान 15 मई तक कैम्पस में प्रवेश बैन किया जाता है. इसके अलावा शिवम को डॉ. ताराचन्द छात्रावास में अवैध कब्जेदार होने के कारण छात्रावास के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है.

चुनावी पात्रता शून्य करने की संस्तुति

शिवम से कहा गया है कि वे 31 मार्च तक लिखित रुप से पंजीकृत डाक द्वारा बताएं कि क्यों न उन्हें निष्कासित किया जाए और छात्रसंघ चुनाव में अपात्र होने के कारण चुनावी पात्रता शून्य करने की संस्तुति इविवि कार्य परिषद अध्यक्ष एवं छात्रसंघ के संरक्षक कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू से की जाए. चीफ प्रॉक्टर ने नोटिस में शिवम के खिलाफ सिलसिलेवार ढंग से आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा है कि उन्होंने मंगलवार को चीफ प्रॉक्टर कार्यालय में अपने अनुयायियों संग आकर अनुशासनहीनता एवं आपराधिक कृत्य किया.

तथ्यों को छुपाकर लड़ा चुनाव

चीफ प्रॉक्टर ने बताया है कि इससे पूर्व भी शिवम को 18 अप्रैल 2017 को पंजीकृत डाक से कारण बताओ नोटिस प्रेषित की गई थी. उसका परीक्षा संबंधी अनुशासनहीनता में दंडित किए जाने तथा चेतावनी देकर छोड़ने का अभिलेख कुलानुशासक कार्यालय में उपलब्ध है. परीक्षा नियंत्रक के 29 अगस्त 2017 के पत्र के अनुसार उक्त दंड मे शिवम ने 100 रुपए अर्थदंड जमा किया था. इसके बाद उसका परीक्षाफल घोषित किया गया. इस दंड के रहते भी शिवम ने तथ्यों को छुपाकर छात्रसंघ चुनाव 2018 में नामांकन किया.

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शिवम द्वारा छात्रावास अधीक्षक को 10 कमरों की सूची प्रेषित की गई थी. इन कमरों को किसी छात्र को आवंटित न करने का दबाव बनाया था. जिसे न मानने पर उसने अधीक्षक पर 15 हजार रुपए नकद फीस लेने का आरोप लगा दिया. शिवम के समस्त कृत्य इस बात के साक्षी हैं कि वह छात्र होने की मर्यादा भंग करने का अभ्यस्त हो चुका है.

प्रो. आरएस दुबे, चीफ प्रॉक्टर एयू

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अगर मेरा नामांकन दोषपूर्ण था तो जब मैंने चुनाव लड़ा, उस समय स्क्रीनिंग कमेटी ने इस बात को क्यों नहीं जांचा? जबकि प्रॉक्टर खुद कह रहे हैं कि उनके पास रिकार्ड 2017 से है. यह राष्ट्रवाद की आवाज उठाने वाले एबीवीपी के एक और पदाधिकारी को कुचलने की कोशिश है. पूर्व में शिक्षकों ने भाजपा के खिलाफ अभियान चलाने की बात कही थी. उसकी अगुवाई प्रॉक्टर ने बतौर आटा अध्यक्ष की थी.

शिवम सिंह, महामंत्री एयू

Posted By: Vijay Pandey