अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री एवं पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ने प्रेस कांफ्रेंस में दी जानकारी

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में डोनेशन के करोड़ों रुपए को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री एवं इविवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने इविवि में मुख्य पदों पर आसीन तीन लोगों पर गबन का आरोप लगाया है। इनमें से एक वह हैं, जिन्हें अलग से पद सृजित करके नियुक्ति प्रदान की गई थी। अब वह इस पद पर नहीं हैं। करोड़ों रुपए के हेरफेर मामले की जानकारी रोहित मिश्रा ने प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों को दी। हालांकि, कुलसचिव प्रो। एनके शुक्ला ने सभी आरोपों को निराधार और बेबुनियाद बताया है।

पुरा छात्र ने दिया था पैसा

रोहित मिश्रा ने बताया कि इविवि के पुरा छात्र फ्लोरिडा अमेरिका निवासी रंजीत टोपा ने विवि को अपनी संपत्ति दान दी थी। वहां कोर्ट के आदेश पर यूनिवर्सिटी को 15 करोड़ 60 लाख रुपए दान में मिले। इसमें से कोर्ट फीस काटने के बाद यूनिवर्सिटी को करीब 15 करोड़ 36 लाख रुपए मिलना था। यूनिवर्सिटी ने लगभग 11 करोड़ 46 लाख रुपए (अनुमानित कीमत डालर से भारतीय मुद्रा में बताई गई) ही मिलना स्वीकार किया है।

साढ़े तीन करोड़ का दें हिसाब

रोहित ने लगभग 03 करोड़ 85 लाख रुपए से ज्यादा गायब होने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि दान की धनराशि प्राप्त करने के लिए निजी ईमेल का इस्तेमाल किया गया। जबकि प्रत्येक अधिकारी के पास पद के अनुसार अधिकृत ईमेल आईडी है। दस्तावेजी प्रमाण होने के बावजूद बीच से गायब हुआ पैसा बंदरबांट की ओर इशारा करता है। इसके तार अमेरिकन अधिकारी से भी जुड़े हैं। नवम्बर 2017 में आई प्रो। गौतम देशी राजू की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया था कि विवि अपना अंतिम बजट इस्टीमेट बनाता है तो सिर्फ यूजीसी द्वारा दिए पैसे का उल्लेख करता है। जबकि दान, ब्याज और अन्य स्त्रोतों से प्राप्त धन का कोई हिसाब नहीं देता।

विवि का कोई एफसीआरए खाता नहीं है जो विदेश से दान लेने के लिए प्रथम शर्त है। यदि यह खाता होता तो एक-एक रुपए का हिसाब होता। वर्ष 2017 से लेकर अब तक रंजीत टोपा सोशल साइंस कॉम्पलेक्स की नींव तक नहीं रखी गई।

रोहित मिश्रा, राष्ट्रीय मंत्री, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

साइंस फैकेल्टी के सामने पीएनबी की शाखा में पैसे का भुगतान हुआ था। किसी को कोई संदेह हो तो वह जांच करा ले। हमने वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया है। जितना दान में दिया गया, उतना ही दस्तावेजों पर भी लिखा गया है। बाकी बातें झूठी हैं।

प्रो। एनके शुक्ला, कुलसचिव, इविवि

Posted By: Inextlive