इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने साल 2017 में बढ़ाई थी फीस, जमकर हुआ था विरोध

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ALLAHABAD: भले ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने पीसीबी हास्टल में हत्या के बाद सभी छात्रावासों में सघन चेकिंग अभियान चलाकर अपनी पीठ ठोंक ली हो. लेकिन, कुछ सवाल ऐसे हैं. जिनसे यूनिवर्सिटी का पीछा कभी नहीं छूट सकता. इसमें सबसे बड़ा सवाल हास्टल की फीस को लेकर है. इसे लेकर छात्रसंघ की ओर से भी लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं.

जुलाई में सेशन, दिसंबर तक एलाटमेंट

विवि में शैक्षिक सत्र 2018-19 की शुरुआत जुलाई में हुई थी. लेकिन हॉस्टल आवंटन का इंतजार नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं को पूरे साल बेसब्री से रहा. विद्यार्थियों का सवाल है कि जब फीस पूरी ली जाती है तो छात्रावास पूरे एक सत्र के लिए क्यों नहीं दिया जाता? छात्रों का कहना है कि नवम्बर-दिसंबर में एंड सेमेस्टर परीक्षा और मार्च से मई तक वार्षिक परीक्षा व सेमेस्टर परीक्षा करवाई जाती है. हॉस्टल देरी में मिला तो तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं मिल सका. इसका जिम्मेदार कौन है?

15 हजार रुपए तक लेते हैं

इविवि के हास्टल में अधिकतम फीस 15 हजार रुपए तक है.

साल 2017 में इविवि प्रशासन ने फीस तकरीबन दो गुना कर दी थी.

उस समय इसका काफी विरोध भी हुआ था.

वर्तमान शैक्षिक सत्र में मुट्ठीभर नव प्रवेशियों को ही हास्टल आवंटन हो सका.

क्योंकि उस समय आवंटन में देरी के चलते एक सत्र में तीन से चार माह के लिए ही सीट आवंटित हो पा रही थी.

नियम यह भी है कि वार्षिक परीक्षाओं की समाप्ति के साथ ही छात्र कमरे खाली कर देंगे.

ये है छात्रावासों की क्षमता

ताराचन्द- 306

शताब्दी ब्वायज- 130

डायमंड जुबिली- 136

एएन झा- 166

जीएन झा- 174

पीसीबी- 206

एसएसएल- 243

डॉ. एसआरके- 270

प्रियदर्शनी- 486

महादेवी वर्मा- 100

कल्पना चावला- 124

शताब्दी ग‌र्ल्स- 202

हाल ऑफ रेजिडेंस- 260

सरोजनी नायडू- 229

हिन्दू हास्टल- 368

मुस्लिम बोर्डिग- 208

एसडी जैन- 92

केपीयूसी- 168

हालैंड हाल- 232

इंटरनेशनल हास्टल- 61

सभी नव प्रवेशियों को हास्टल मिलने का सपना अभी भी सपना ही है. देरी में हास्टल आवंटन के चलते कमरे भी खाली रह गए हैं. आम छात्र पूरे सत्र की फीस देगा तो चंद महिनो के लिए हास्टल क्यों लेगा? विवि ने हास्टल में अभियान चलाकर केवल आम छात्रों को परेशान किया.

अखिलेश यादव, उपाध्यक्ष छात्रसंघ

हास्टल में यह कहकर फीस बढ़ाई गई थी कि विवि खुद की मेस चलवाएगा. टेंडर भी निकाला गया और मेन्यू भी बनाया गया. हास्टल्स में आज भी प्राईवेट मेस ही चल रही है. जिनकी हालत काफी दयनीय है.

शिवम सिंह, महामंत्री छात्रसंघ

Posted By: Vijay Pandey