इलाहाबाद यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष व संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रहे प्रोफेसर आरके शास्त्री ने सवाल उठाया...

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव की जगह पर कार्य परिषद द्वारा छात्र परिषद का मॉडल लागू हो चुका है। अब यहां पर शिक्षक संघ और कर्मचारी संघ पर भी सवाल उठ गया है। सवाल उठाने वाले शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष व संस्कृत विभाग के अध्यक्ष रह चुके प्रो। आरके शास्त्री ने यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को कठघरे में खड़ा किया है। प्रो। शास्त्री ने सोशल मीडिया पर फेसबुक के जरिए अपनी बातों को रखा है। प्रो। शास्त्री ने कहा कि अध्यापक संघ और कर्मचारी संघ के रहते केवल छात्रसंघ का प्रतिबंधित होना विवि प्रशासन द्वारा अपनी अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार को छिपाने का कुत्सित प्रयास है।

खूब हुआ कमेंट और शेयर
प्रो। शास्त्री के फेसबुक पर अध्यापक व कर्मचारी संघ को लेकर बातें लिखते ही कमेंट्स और शेयर का तांता लग गया। कई छात्रों ने छात्रसंघ की तरह ही अध्यापक व कर्मचारी संघ को भी बैन किए जाने की मांग की और प्रो। शास्त्री की पोस्ट को शेयर किया।

पूर्व पदाधिकारियों ने भी उठाया सवाल
यूनिवर्सिटी के हित में अध्यापक संघ की भूमिका को लेकर पूर्व अध्यक्ष रोहित कुमार मिश्रा ने कहा कि कई वर्षो से शिक्षक हितों की दुहाई देने के नाम पर सिर्फ राजनीति की जा रही है। छात्रसंघ की बहाली की लड़ाई लड़ी जाएगी लेकिन दोनों संघ को प्रतिबंधित करने के लिए भी आंदोलन किया जाएगा। पूर्व अध्यक्ष श्याम कृष्ण पांडेय की मानें तो अध्यापन से इतर शिक्षक प्रशासनिक पदों पर बैठने के लिए ज्यादा कार्य करते हैं। इसलिए इसको भी समाप्त किया जाना चाहिए।

वर्जन

यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ उपयोगी है या नहीं, इस पर बहस हो सकती है लेकिन अध्यापक संघ और कर्मचारी संघ को लेकर फैसला किया जाना चाहिए। विवि प्रशासन को इस पर भी तत्परता दिखाकर आगे बढ़ना चाहिए।

-प्रो। आरके शास्त्री, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग

Posted By: Inextlive