Allahabad : : सालों बाद एक-दूसरे से मिले तो चेहरा ऐसे खिल उठा जैसे उनकी सालों की मुरादें पूरी हो गई हो. कुछ पल के लिए तो उन्हें ऐसा लगा जैसे पढ़ाई पूरी किए अभी कुछ ही साल बीते हों. ये बात और है कि डिपार्टमेंट छोड़े उन्हें कई साल बीत चुके हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के जेके इंस्टीट्यूट में ऑर्गनाइज एल्युमिनाई मीट में शामिल होने पहुंचे एल्युमिनाईज को देखकर कुछ ऐसा ही लगा. वो पुरानी यादें ताजी करने पहुंचे थे. इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स ने कल्चरल इवेंट में धमाकेदार प्रजेंटेशन देकर उनका एंटरटेनमेंट भी किया.

After 20 years

अरिहंत टेक्नोपैक प्राइवेट लिमिटेड के सीओओ बीएन पाण्डेय की पूरे 20 साल बाद अपने फ्रेंड्स के उस ग्रुप से मुलाकात हुई जिसके साथ उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ में जमकर मस्ती की थी। 1988 बैच के स्टूडेंट बीएन पाण्डेय ने जब पुरानी यादों को ताजा कर दोस्तों के साथ ठहाके लगाए तो उन्हें कुछ पल के लिए यह फील होने लगा जैसे आज भी वे यहां के स्टूडेंट हैं। उनके फ्रेंड आरपी सिंह व विजय शंकर त्रिपाठी ने एक-दूसरे के साथ पुरानी यादें शेयर कीं. 

College पहुंचकर बन गए students

वैसे तो कोई बड़ी कंपनी में सीओओ है तो कोई मैनेजिंग डायरेक्टर। कुछ का अपना बड़ा बिजनेस है तो कई देश के नामीगिरामी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रोफेसर हैं। लेकिन एल्युमिनाई मीट में शामिल होने के बाद पुरानी यादें उनपर इस कदर हावी हुई कि वे पहले जैसे स्टूडेंट बन गए। इंस्टीट्यूट की सीढिय़ों पर ग्रुप फोटो कराना, कल्चरल प्रोग्राम में अपनी परफॉर्मेंस देने के लिए खुद से प्रपोजल रखने व मस्ती करने जैसी एक्टिविटीज देखकर ऐसा लगा जैसे वे यहां सालों बाद भी खुद को एक स्टूडेंट जैसा ही फील रहे हैं। प्रो। राजीव त्रिपाठी व प्रो। एमएम गोरे सहित अन्य एल्युमिनी ने प्रोग्राम को जमकर एंज्वाय किया।

मनाया silver jubilee

जेके इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड साइंसेज में सैटरडे को ऑर्गनाइज एल्युमिनाई मीट में 1988 बैच के एल्युमिनीज का सिल्वर जुबली सेलिब्रेशन भी हुआ। उन एल्युमिनीज को सम्मानित किया गया, जो 1988 बैच के स्टूडेंट रहे। इससे पहले 1965 बैच के स्टूडेंट रहे जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने बतौर चीफ गेस्ट स्टूडेंट्स की इंजीनियरिंग कोर्स का मेन परपज बताया। उन्होंंने कहा कि स्टूडेंट्स का टारगेट सिलेबस का रट्टा लगाना नहीं बल्कि उसके अप्लीकेशन को समझना उसे अप्लाई करने के तरीकों पर प्रैक्टिकल करना होना चाहिए।  

सालों बाद बिछड़े कई दोस्तों से मुलाकात हुई। खुश होना लाजिमी है। यहां हमने पढ़ाई के साथ तफरी भी खूब की। एग्जाम टाइम में भी हम बहुत अधिक सीरियस नहीं होते थे।

बीएन पाण्डेय

वैसे तो मैं यहां एमएनएनआईटी में ही फैकल्टी मेंबर हूं। इस नाते इंस्टीट्यूट में आना-जाना हो जाता है। लेकिन आज दोस्तों से मिला तो वे पुराने दिन याद आ गए जब हम यहां खूब मस्ती किया करते थे।

विजय शंकर 

नोयडा में अपना खुद का बिजनेस है। यहां से पढ़ाई करने के बाद बिजनेस में ही उलझकर रह गया। यहां के लिए इंविटेशन मिला तो सोचा दोस्तों से मिलने का इससे अच्छा मौका फिर कभी मिले न मिले। यहां आकर फिर से दिल जवां हो उठा।

आरपी सिंह

Posted By: Inextlive