अमरमणि ने की शिवपाल सिंह यादव से बात

- समर्थकों के साये में चल रही है अमरमणि की सियासत

- रेजीडेंट डॉक्टर्स के छुट्टी देने पर शिफ्ट हो सकेंगे अमरमणि

- उत्तराखण्ड जेल आईजी ने अमरमणि को बुलाया हरिद्वार, सिटी में गर्म हुई राजनीति

GORAKHPUR: मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में एडमिट अमरमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड शिफ्ट किए जाने का परवाना ट्यूज्डे को गोरखपुर पहुंचा। खबर मिलते ही सिटी की राजनीति गर्मा गई और मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट वार्ड में भीड़ जुटनी शुरू हो गई। वेंस्डे को मेडिकल कॉलेज के प्राइवेट रूम नंबर भ् और क्ब् का नजारा लेने आई नेक्स्ट टीम पहुंची। रोज की अपेक्षा प्राइवेट वार्ड में भीड़भाड़ कुछ ज्यादा नजर आ रही थी। अमरमणि से मिलकर हालचाल लेने के लिए वेंस्डे को समर्थकों का तांता लगा रहा। अमरमणि के खास समर्थकों की पैनी निगाहें हर आने-जाने वाले घूर रही थी। प्राइवेट वार्ड के सामने कैंपस में सात-आठ की संख्या में लग्जरी व्हीकल नजर आए। करीब क्भ् बाइक भी बेतरतीब ढंग से खड़ी मिलीं। किसी अंजान व्यक्ति के सीढि़यों पर चढ़ते ही सवालों का दौर शुरू हो जाता था ताकि कोई अंजान व्यक्ति नेताजी तक न पहुंच सके। दिन में ज्यादातर समय अमरमणि रुम नंबर क्ब् में बैठते हैं। ऐसे में कोई आठवें, नवें कमरे तक पहुंच भी गया तो रुम नंबर क्ब् तक पहुंचना मुश्किल है। उनसे मिलने जुलने वाले परिचितों, समर्थकों की आवभगत का पूरा इंतजाम किया गया है। हर आने-जाने वाले को मिठाई खिलाकर पानी पिलाना, फिर चाय पिलाने की औपचारिकता बखूबी पूरी की जा रही है।

हैलो, अमरमणि बोल रहा हूं

मेडिकल कॉलेज में बैठकर सियासत चलाने वाले अमरमणि ने वेंस्डे को खूब काम किया। समर्थकों की समस्याओं के निदान में तत्परता दिखाई। एक समर्थक के अनुरोध पर उन्होंने सपा के जिलाध्यक्ष डॉ। मोहसिन खान से बात की तो कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल सिंह यादव को भी फोन लगाया। शिवपाल मैनपुरी में मौजूद प्रचार के लिए गए हैं, लेकिन समय निकालकर उन्होंने अमरमणि से बात की। इस दौरान मंडल से आए कई लोगों ने नेताजी को अपनी प्रॉब्लम बताई जिनके समाधान के लिए अमरमणि ने आश्वासन दिया। रुम नंबर क्ब् में ज्यादातर टाइम बैठने वाले अमरमणि के पास समर्थकों की भीड़ जमा होने पर तितर-बितर करने का अच्छा बहाना भी है। उनके अगल बगल के कमरों में पूर्व सपा जिलाध्यक्ष गोपाल यादव, मारकंडेय शाही, डा। राजाराम यादव भी एडमिट हैं। ऐसे में यदि कोई वहां पहुंचकर जनता दरबार देखना चाहे तो समर्थक इधर-उधर चले जाते हैं।

कब, कब क्या हुआ?

ख्ब् अक्टूबर ख्007 को देहरादून की स्पेशल कोर्ट ने अमरमणि, मधुमणि और दो अन्य को उम्रकैद ही सजा सुनाई।

ख्म् अक्टूबर ख्007 को देहरादून से हरिद्वार जेल भेजे गए अमरमणि

0ब् दिसंबर ख्008 को हरिद्वार की जेल से गोरखपुर ट्रांसफर होकर आई मधुमणि, एनआई एक्ट के मामले में हरिद्वार जेल से गोरखपुर लाया गया।

ख्9 अगस्त ख्009 को मानसिक रोग विभाग में मधुमणि का चेकअप कराया गया।

फ्0 सितंबर ख्009 से ख्भ् नवंबर ख्009 तक मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहीं

0क् दिसंबर ख्009 से ख्भ् नवंबर ख्0क्0 तक लखनऊ मेडिकल कॉलेज के मानसिक चिकित्सा विभाग में कराया गया एडमिट

0ब् जनवरी से क्फ् जनवरी ख्0क्0 तक मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में रही भर्ती

क्ख् मार्च ख्0क्ख् को अमरमणि को भी गोरखपुर जेल में किया शिफ्ट

ख्7 फरवरी ख्0क्फ् को बीमार होने पर मेडिकल कॉलेज में एडमिट हुए अमरमणि

क्फ् मार्च ख्0क्फ् को अमरमणि की पत्‍‌नी मधुमणि को भी मेडिकल कॉलेज में कराया गया एडमिट

मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की

अमरमणि की कहानी भी अजीब है। जेल में बीमार होने के बाद लोगों को हॉस्पिटल ठीक होने के लिए भेजा जाता है। लेकिन अमरमणि का ज्यों-ज्यों उपचार चला, उनकी बीमारी बढ़ती चली गई। डॉक्टरों की जांच में कभी दिल की बीमारी तो कभी डिप्रेशन अमरमणि के पीछे लगा रहा। आराम मिलने के बावजूद स्लिप डिस्क और सर्वाइकल की शिकायतें सामने आई। उधर मधुमणि को कई बार लखनऊ और बीआरडी के मानसिक रोग विभाग में दिखाया जा चुका है।

अब किस बहाने से आएंगे सरकार

महराजगंज, गोरखपुर सहित आसपास के जिलों में अमरमणि के विरुद्ध चल रहे मुकदमों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। महराजगंज में चेक बाउंस के मामले में अमरमणि को मुकदमों की तारीख की वजह से गोरखपुर शिफ्ट किया गया, लेकिन वहां सुनवाई पूरी होने के बाद अब ऐसा कोई बहाना नहीं बचा जिससे अमरमणि गोरखपुर आने का दावा कर सकें।

हुकूमत का मामला, खुद को बचा रहे अफसर

अमरमणि को उत्तराखंड शिफ्ट किए जाने को लेकर अफसर और कर्मचारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हो रहे। लोग एक दूसरे पर मामला टाल रहे हैं। अमरमणि और मुधमणि को शिफ्ट किए जाने के संबंध में रेजिडेंट डॉक्टर्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। एसआईसी डॉ। एके श्रीवास्तव ने अमरमणि के संबंध में किसी तरह की जानकारी से इंकार किया। प्रिसिंपल केपी कुशवाहा ने कहा कि अमरमणि को डिस्चार्ज किए जाने के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली है। यहां बता दें कि मेडिकल कॉलेज के दौरे पर आए सीएम अखिलेश सिंह यादव ने अमरमणि से मिलकर उनका हालचाल लिया था। हुकूमत से जुड़ा मामला होने की वजह से यहां के अफसर हर मामले में कन्नी काट जाते हैं। मेडिकल कॉलेज में रहने के दौरान अमरमणि ने पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में शिफ्ट किए जाने की डिमांड भी की थी।

अमरमणि और मधुमणि को डिस्चार्ज कराकर उनको कस्टडी में लिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

एसके शर्मा, सीनियर सुपरिटेंडेट

Posted By: Inextlive