- राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने यूनिवर्सिटी को जारी किया नोटिस

- दलितों को आरक्षण न देने पर किया जवाब-तलब, जवाब न मिलने पर कार्रवाई की चेतावनी

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रुष्टयहृह्रङ्ख : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को आरक्षण न मिलने पर बुधवार को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने एएमयू को नोटिस जारी किया है। रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर आयोग ने पूछा है कि यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है? आयोग ने नोटिस का जवाब न मिलने पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी है। अध्यक्ष बृजलाल ने कहा कि डॉ। भीमराव आम्बेडकर ने संविधान सभा में घोषित किया कि एएमयू को बीएचयू की ही तरह संविधान की सातवीं अनुसूची में रखा गया है, जिसका साफ मतलब है कि उस पर संघीय कानून लागू होगा। इतना ही नहीं, उस वक्त के सीनियर मुस्लिम नेताओं का भी मानना था कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करना उचित नहीं।

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सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है स्थिति साफ

बृजलाल ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ किया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट वर्ष 1967 में स्पष्ट किया था कि एएमयू को न तो मुस्लिम समुदाय द्वारा स्थापित किया गया और न ही इसका संचालन मुस्लिमों द्वारा किया गया। यूनिवर्सिटी द्वारा वर्ष 1989 में मुस्लिम छात्रों को 50 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक बताया था। उन्होंने कहा कि जब इतनी बार स्पष्ट हो गया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है और इस पर संघीय कानून लागू होता है, तो फिर वहां पर दलितों को आरक्षण न मिलना असंवैधानिक है।

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जवाब न मिलने पर करेंगे केस

आयोग द्वारा एएमयू के रजिस्ट्रार को भेजे नोटिस में एएमयू को कहा गया है कि वह स्थिति साफ करे कि अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। यूनिवर्सिटी को जवाब देने के लिये 8 अगस्त की तारीख मुकर्रर की गई है। उन्होंने कहा कि तय मियाद में अगर यूनिवर्सिटी जवाब नहीं देगा तो उसे सम्मन भेजने के साथ ही मुकदमा किया जाएगा।

Posted By: Inextlive