प्लीज इग्नोर दिस ड्रैगन
- तीन दिन बाद है मकर संक्रांति का पर्व, बाजार में चाइनीज मांझे की बढ़ी डिमांड
- मांझे से आये दिन हो रही घटनाओं के बावजूद इसका बॉयकॉट नहीं कर रहे लोग - बैन के बावजूद मांझे की ब्रिकी है जारीVARANASI : घरों की छतों से लेकर शहर की सड़कों व गलियों तक ड्रैगन का कहर जारी है। यह हर ओर लोगों का गला और हाथ रेतने का काम कर रहा है और बहा रहा है लोगों का खून। लेकिन हम हैं कि इस खूनी ड्रैगन का यूज बंद करने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। यह विडंबना है कि मकर संक्राति के नजदीक होने के चलते मार्केट में इसकी डिमांड में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है। हम यहां बात कर रहे हैं लोगों की जान संग खिलवाड़ करने वाले चाइनीज मांझे की। आये दिन यह चाइनीज मांझा लोगों को जख्मी कर रहा है और इसका यूज जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। इसके बावजूद पतंगबाज इस डेंजरस मांझे का यूज बंद नहीं कर रहे हैं। इसलिए प्लीज इस खतरनाक मांझे का यूज बंद कर इसे बॉयकॉट करें ताकि इस संक्रान्ति आपके या किसी और की खुशियों को इस मांझे की बुरी नजर न लगे।
लगातार कर रहा है नुकसानचाइनीज मांझे से आये दिन हो रहे हादसों के चलते इसे पिछले दिनों एडमिनिस्ट्रेशन ने बैन किया था लेकिन सख्ती न होने के कारण इस डेंजरस मांझे की ब्रिकी जारी है। जिसके कारण लोग इसका धड़ल्ले से यूज कर रहे हैं। हाल ही में सारनाथ में चाइनीज मांझा की चपेट में आकर एक युवक की नाक कट गई थी जबकि पंचक्रोशी में चाइनीज मांझा से एक दस साल की बच्ची का हाथ भी कट गया। वहीं चाइनीज मांझा से कई बेजुबान पक्षियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी।
हमें करना होगा रिजेक्ट - चाइनीज मांझे से होने वाले हादसों पर लगाम लगाने के लिए हमें करना होगा इसका बॉयकॉट - ऐसा करने से ही इसका यूज हो सकेगा बंद - इससे लोगों को मिलेगी बड़ी राहत - चाइनीज मांझा इस सीजन में तीन दर्जन से ज्यादा लोगों को कर चुका है इंजर्ड - कई पक्षी इसकी चपेट में आकर गवां चुके हैं जान - अक्टूबर में सिगरा के रमेन्द्र व लंका के संदीप आ चुके हैं इसकी चपेट में - जबकि नवंबर में राह चलते चाइनीज मांझे की चपेट में आने से लंका के अजय व दशाश्वमेध के शिवप्रकाश हुए थे चोटिल काफी रिस्की है ये- चाइनीज मांझा इंडिया के मांझे से कई गुना मजबूत होता है। जो जल्दी टूटता नहीं है। इस मांझे से पतंग उड़ाते समय उंगलियों का कटना तय है।
- चाइनीज मांझे में धार बहुत अधिक होती है जिसके चलते यह व्यक्ति को बहुत आसानी से घायल कर देता है। - इस मांझे को रंगने में होने वाला रंग भी डेंजरस केमिकल होता है। - मजबूत होने के चलते यह पैरों में फंस कर टूटने की बजाय इंसान को गिरा तक सकता है।