एमेकॉन 2016 के विशेष सत्र में पेट संबंधी रोगों पर हुई चर्चा

मार्केट में बिकने वाले फूड सप्लीमेंट के नुकसान पर बोले डॉक्टर्स

लीवर फेल्योर, पेट में गांठ समेत अन्य रोगों के कारणों पर डाला प्रकाश

ALLAHABAD: जिम में सेहत बनाने वालों को बाजारू फूड सप्लीमेंट से होशियार हो जाना चाहिए। फटाफट मसल्स बनाने के चक्कर में कहीं अपने लीवर से हाथ न धो बैठें। जी हां, इनमें पाया जाने वाले खतरनाक तत्व लीवर को डैमेज करते हैं। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित एमेकॉन 2016 सेमिनार के विशेष सत्र में रविवार को डॉक्टर्स ने इस मुददे पर बात की। उन्होंने कहा कि युवाओं को डॉक्टर की सलाह पर ही फूड सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए। वरना दिक्कत हो सकती है।

लीवर फेल्योर का बड़ा कारण

नई दिल्ली फोर्टिस एस्कार्ट हॉस्पिटल के डॉ। अजय कुमार ने कहा कि बाजार में बिकने वाले अधिकतर फूड सप्लीमेंट्स में एनाबोलिक स्टेरायड का यूज होता है जो तत्काल मसल्स को स्ट्रांग कर बॉडी को स्फूर्ति प्रदान करता है। लेकिन, यह स्टेरायड लीवर फेल्योर का बड़ा कारण भी है। युवा ऐसे फूड सप्लीमेंट का सेवन कर हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर से पूछकर ही ऐसी चीजों का उपयोग करना चाहिए। यह स्टेरायड दुनिया के कई देशों में बैन लेकिन इंडिया में फूड सप्लीमेंट्स के रूप में इसे बेचा जा रहा है। यहां तक कि स्पो‌र्ट्स एक्टिविटीज में इसे सरकार ने बैन कर रखा है और इसे लेने वाले खिलाड़ी डोपिंग में पकड़े जाते हैं।

कारगर है एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड

हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्टोएंट्रोलॉजी से आए डॉ। संदीप लखटकिया ने एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड पर बात की। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में पेन के बराबर साइज के उपकरण से पेट के रोगों की करीब से जांच की जाती है। यह ओपीडी प्रोसीजर है और इसमें पेट में गांठ, जख्म समेत अन्य रोगों जांच के साथ सर्जरी भी करना आसान होता है। इसमें मरीज का पेट चीरना नहीं पड़ता है, जिससे वह जल्द घर जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तकनीक में कैंसर जैसे रोग का जल्द पता लग जाता है। जिससे पूर्ण इलाज संभव होता है। यह तकनीक बहुत अधिक महंगी नही है।

पेट के हर रोग पर हुई चर्चा

गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली के डॉ। अनिल अरोड़ा ने हेपेटाइटिस सी पर व्याख्यान दिया। अपोलो हॉस्पिटल के डॉ। एसी आनंद ने मलेरिया से लीवर फेल्योर पर प्रकाश डाला। डॉ। गोड़दास चौधरी ने शराब के लीवर पर होने वाले दुष्प्रभाव पर बात की। कानपुर से आए डॉ। अरुण खंडूरी ने कब्ज के निवारण पर चर्चा की। उन्होने कहा कि कब्ज में मल के साथ खून आए तो यह चिंताजनक स्थिति होती है। एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ। समीर मोहिंद्रा ने पेट की गांठों के प्रभाव और जांच पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गांठों के साथ बुखार, वजन घटना, पेट दर्द आदि होने पर जांच कराना जरूरी होता है। इस मौके पर डॉ। वीके दीक्षित, एसके आचार्या, प्रो। आशु श्रीवास्तव, डॉ। अजय चौधरी, डॉ। मनीषा चौधरी, प्रो। एसपी मिश्रा आदि उपस्थित रहे। एएमए सचिव डॉ। त्रिभुवन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। अध्यक्ष डॉ। आलोक मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया।

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अधिक न खाएं खून पतला करने की दवा

नई दिल्ली फोर्टिस एस्कार्ट हॉस्पिटल के डॉ। अजय कुमार ने हार्ट के पेशेंट्स के खून पतला करने वाली दवाओं के अधिक उपयोग पर आपत्ति जाहिर की। उन्होंने कहा कि ऐसी दवाओं के साइड इफेक्ट से पेट में अल्सर और ब्लीडिंग की समस्या होती है। ऐसे में हार्ट के डॉक्टर्स को खून पतला करने वाली दवाएं उतनी ही देनी चाहिए, जितनी जरूरत हो। मरीज को एसिडिटी कम करने वाली दवाएं देने से इन दवाओं के साइड इफेक्ट कम हो जाते हैं।

Posted By: Inextlive