-शहर में आवारा कुत्तों के आतंक से लोग सहमे, डेली काटने से लोग हो रहे जख्मी

-शहर में कुत्तों की नसबंदी के लिए एग्रीमेंट तैयार पर नहीं मिली स्वीकृति

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VARANASI

Case-1

लंका एरिया के सुंदरपुर में 22 सितम्बर को कुत्ता काटने से आधा दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। इनका उपचार मंडलीय और निजी हॉस्पिटल्स में कराया गया.

Case-2

वाराणसी-आजमगढ़ रोड पर स्थित शिवनगर कॉलोनी में पिछले महीने कुत्ते ने तीन लोगों को काट लिया। यहां कुत्तों के आतंक की वजह से रात में जाना मुश्किल हो रहा है।

ये दोनों केस यह बताने के लिए काफी हैं कि शहर और आसपास एरिया में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इनके आतंक से लोग सहमे हैं, लेकिन नगर निगम इन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। शहर के तमाम ऐसे मोहल्ले हैं, जहां कुत्तों के डर से रात में रास्ता चलना दूभर हो रहा है। ऐसी स्थिति इसलिए आई है क्योंकि शहर में पिछले छह महीने से एनीमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) प्लान के तहत कुत्तों की नसबंदी (बंध्याकरण) का काम पूरी तरह से बंद है। इसके लिए एग्रीमेंट बनकर तैयार है, लेकिन इसे अब तक मंजूरी नहीं मिल पाई है। ऐसे में पब्लिक की प्रॉब्लम लगातार बढ़ती जा रही है।

क्या है 'एबीसी' प्लान?

दरअसल, एनीमल बर्थ कंट्रोल प्लान का मकसद शहर में कुत्तों की संख्या कम करना है। इसके लिए नगर निगम का पशु अस्पताल या फिर चयनित संस्थाएं कुत्तों को पकड़कर उन्हें तीन दिन रखती हैं। फिर उनकी नसबंदी करती हैं। नसबंदी के बाद कुत्तों के कान पर मोहर लगाकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। इधर बीच, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक नसबंदी के बाद कुत्तों को उसी जगह पर छोड़ना होता है, जहां से उन्हें उठाया जाता है।

दो संस्थाअों को मिला था जिम्मा

नगर निगम ने कुत्तों की नसबंदी का जिम्मा गैर सरकारी संस्था आश्रय और होप को सौंपा है। आश्रय का सेंटर हरहुआ और होप का पड़ाव पर है, जहां नसबंदी की जाती थी। अप्रैल से इनका एग्रीमेंट खत्म हो गया है। इसके बाद से नसबंदी का काम बंद है। दरअसल, संस्थाओं को फिर से काम देने के लिए एग्रीमेंट बनकर तैयार है, लेकिन मामला अटका हुआ है। इससे कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

हाईलाइटर

- कुत्तों को पकड़कर एनजीओ अपने सेंटर्स पर तीन दिन रखते हैं।

- मेल व फीमेल कुत्तों की नसबंदी होने से संख्या में कमी आती है।

- नसबंदी करने से डॉगी की आक्रामकता काफी कम हो जाती है।

- नसबंदी के बाद कुत्तों को एंटी रैबीज वैक्सीन (एअारवी) भी लगता है।

एक नजर

03

डॉक्टर्स व ट्रेंड कर्मचारी पशु अस्पताल में हैं तैनात

40 से 50

कुत्ता काटने के मरीज डेली पहुंचते हैं सरकारी हॉस्पिटल्स में

290

रुपये आता है एक कुत्ते की नसबंदी पर खर्च

462

रुपये इस बार नए एग्रीमेंट में देने का है प्रस्ताव

10 से 12

साल होती है कुत्तों की लाइफ

शहर की दोनों निजी संस्थाओं को कुत्तों की नसबंदी करने का जिम्मा देने के लिए एग्रीमेंट बनाकर भेज दिया है। इसकी स्वीकृति मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।

डॉ। मो। असलम, पशु चिकित्साधिकारी , नगर निगम

Posted By: Inextlive