करप्शन के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन को सारे देश के युवाओं का समर्थन मिला. 5 अप्रेल को जंतर मंतर पर पहली बार जब अन्ना अनशन पर बैठे तो किसी को यह उम्मीद न थी कि जन लोकपाल को लेकर शुरू हुआ आंदोलन इतना आगे जाएगा.


अन्ना  का मंतरवर्ल्ड कप क्रिकेट में इंडिया की जीत के ठीक बाद नई दिल्लीक में जंतर मंतर पर अन्नां हजारे का अनशन शुरू हुआ. पहले तो सरकार अडी ही लकिन आंदोलन को बढता देख सिविल सोसाइटी और मंत्रियों की समिति बनाने सहमत हुई. जिसे लोकपाल बिल के मसौदे पर विचार करना था. इसके बाद 9 अप्रेल को अन्ना हजारे ने 98 घंटे बाद अपना अनशन तोडा. उन्होंने पार्लियामेंट में बिल न लाए जाने पर फिर आंदोलन की चेतावनी दी. 16 अगस्त से अन्ना हजारे ने मजबूत लोकपाल बिल की मांग को लेकर रामलीला मैदान में अनशन की बात कही. उस दिन अनशन से ठीक 4 घंटे पहले उन्हें  अरेस्टल कर िलया गया. दबाव बढता देख उन्हें  रिहा करने की घोषणा की गई. अन्ना हजारे ने बिना शर्त अनशन की अनुमति न मिलने तक तिहाड जेल से बाहर निकलने से इनकार कर दिया.
इसके बाद वह 15 दिनों के लिए अनशन की अनुमति मिलने पर 20 अगस्त  को बाहर आए. सोशल मीडिया पर उनके आंदोलन को जोरदार समर्थन मिला. इतना ही नहीं इंडिया गेट पर हजारों लोगों ने अन्ना के समर्थन में मार्च किया. देश के अलग अलग शहरों में अन्ना  के समर्थन में लोग अनशन पर बैठ गए. 28 अगस्त् को अन्ना  हजारे ने 288 घंटे बाद अपना अनशन तोडा. जब सरकार संसद के शीतकालीन सेशन में मजबूत लोकपाल बिल लाने पर सहमत हो गई.MMRDA27 दिसंबर को मुंबई के MMRDA ( मरदा ) मैदान में अन्ना बैठे. मजबूत लोकपाल की मांग को लेकर तीन दिनों का अनशन कर रहे अन्ना हजारे के समर्थन में बुधवार को लगातार दूसरे दिन बहुत कम तादाद में लोग जुटे और अंत में स्वास्थ्य कारणों से अन्ना ने अनशन वापस ले लिया और रालेगांव निकल पड़े.

Posted By: Kushal Mishra