-कुंभ मेले में नेशनल एकेडमी ऑफ बर्न इंडिया की ओर से आयोजित हुआ वार्षिक सम्मेलन

PRAYAGRAJ: क्या आपको मालूम है कि देश में हर साल 70 लाख लोग आग की चपेट में आ जाते हैं। इनमें से सात लाख लोगों को एडमिट करने की जरूरत होती है। इनमें से 2.5 लाख अपंग हो जाते हैं और 1.4 लाख की मृत्यु हो जाती है। यह बात कुंभ मेले के सेक्टर एक में केजीएमयू प्लास्टिक सर्जरी विभाग की ओर से नेशनल एकेडमी आफ बर्न इंडिया के 27वें वार्षिक सम्मेलन में कही गई। रविवार को तकरीबन सौ डॉक्टर्स ने वॉक किया। इसका फ्लैग ऑफ केजीएमयू के कुलपति प्रो। एमएलबी भट्ट ने किया।

बांटे गए अनुभव

इस दौरान प्रोटोकॉल डॉ। एसपी बजाज ने अपने व्याख्यान में अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि विदेशी प्रोटोकाल को त्यागकर भारतीय प्रोटोकॉल अपनाकर बर्न यूनिट की स्थापना की जाए। इस पैनल के तहत पद्मश्री डॉ। मथांगी रामाकृष्णन ने जलने के उपरांत बनने वाले विशिष्ट प्रकार की विकृति के बारे में बताया। इसके साथ इंदौर से आई डॉ। शोभा चमनियां ने बर्न यूनिट पर अपने अस्पताल का अनुभव साझा किया। इसी क्रम में लुधियाना से डॉ। संजीव के उप्पल, दिल्ली से डॉ। शलभ कुमार, गुवाहाटी से डॉ। सीमा रेखा देवी ने अपने अनुभवों के बारे में बताया।

ताकि भविष्य में मिले लाभ

सेमिनार में डॉक्टर्स ने जलने से होने वाली मृत्यु पर रोक लगाने के विषय पर चर्चा की। बताया गया कि अधिकांश मामलों में जलने पर रोगी की मौत हो जाती है। यह भी बात सामने आई कि नेशनल एकेडमी ऑफ बर्न इंडिया की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि दाह के मामलों में विदेशी की जगह भारतीय प्रोटोकॉल अपनाया जाए। सम्मेलन के समापन पर संबोधन आयोजित सचिव डॉ। विजय कुमार ने सभी को धन्यवाद दिया।

Posted By: Inextlive