Varanasi: गंगा आंदोलन का हश्र भी कुछ कुछ अन्ना हजारे के आंदोलन जैसा हो गया. गंगा में अविरल धार के लिए 168 दिनों से तप कर रहे गंगा तपस्वियों को उम्मीद थी कि वे प्रधानमंत्री का पत्र लेकर आएंगे. वो आये तो जरूर लेकिन पीएम की नहीं खुद की अपनी लिखी पाती लेकर पहुंच गये तपस्वियों का अन्न-जल त्याग तपस्या खत्म कराने. हम बात कर रहे हैं डिप्लोमेसी स्पेशलिस्ट श्री प्रकाश जायसवाल की. बेचारे संत राजनीति जाने न कूटनीति. वे भारत सरकार के राजचिन्ह वाला पत्र देख मान गये. शायद उन्हें समझ में ही नहीं आया कि केंद्र सरकार ने आश्वासन की घुट्टी पिला कर उनकी तपस्या भंग कर दी है. गंगा आंदोलन से जुड़े कई लोग अब खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं लेकिन वे बोल नहीं पा रहे हैं. शुक्रवार को श्री विद्या मठ से लेकर कबीरचौरा हॉस्पिटल तक क्या कुछ हुआ आखिर उस पत्र में क्या लिखा था या संतों को अपनी कुर्बानी का क्या प्रतिफल मिला जानना हो तो पढि़ए ये पूरी रिपोर्ट ...


संतों को केंद्रीय शासन का आश्वासनगंगा की अविरलता के लिए अन्न- जल त्याग कर 168 दिनों से संघर्ष कर रहे संतों को दिल्ली सरकार के आश्वासन की घुट्टी से अपना अनशन तोड़ देना पड़ा। प्रधानमंत्री के दूत बन कर आये कोयला मंत्री से मिले आश्वासन के बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया। केन्द्र सरकार ने गंगा की अविरलता में बाधक बन रहे बांधों की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन कर मामले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है.पीएम के दूत बन कर आये कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल और जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गंगा के लिए तप कर रहे संतों को ग्लूकोज पिलाकर उनकी तपस्या समाप्त कराई। बंद कमरे में की बातचीत


कोयला मंत्री दिन में 11 बजे पीएम का संदेश लेकर श्रीविद्या मठ पहुंचे। वहां उन्होंने बंद कमरे में शंकराचार्यजी से करीब 30 मिनट तक बातचीत की और उन्हें प्रधानमंत्री के संदेश वाला अपना पत्र सौंपा। इस पत्र में प्रधानमंत्री द्वारा संतों की तपस्या को गंभीरता से लेते हुए गंगा के मामले में एक इंटर मिनस्ट्रियल कमेटी के गठन की जानकारी दी गई है। योजना आयोग के मेंबर बीके चतुर्वेदी की चेयरमैनशिप में गठित कमेटी तीन महीने के अंदर गंगा की अविरलता में बाधक बन रहे बांधों की समीक्षा रिपोर्ट पीएम ऑफिस में पेश करेगी। श्री जायसवाल ने शंकराचार्य जी से गंगा की अविरलता के लिए अन्न-जल त्याग कर उपवास कर रहे संतों की तपस्या को भी समाप्त कराने की अपील की। पीएम के आश्वासन पर शंकराचार्य जी ने संतों की तपस्या को विराम देने की हामी भरी और खुद मंडलीय हॉस्पिटल में जाकर तपस्या तुड़वाने का आग्रह स्वीकार किया.  गूंजा हर हर गंगेश्री विद्यामठ में तकरीबन एक घंटे व्यतीत करने के बाद कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल मंडलीय हॉस्पिटल पहुंचे। उनके थोड़ी देर बाद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और सैकड़ों की संख्या में गंगाभक्त भी हॉस्पिटल पहुंचे। हॉस्पिटल में शंकराचार्य जी के साथ कोयला मंत्री ने साध्वी पूर्णाम्बा, साध्वी शारदाम्बा, गंगा प्रेमी भिक्षु, ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद, स्वामी योगेश्वरानंद को ग्लूकोज पिलाकर अनशन समाप्त कराया। उनके साथ गंगा सेवा अभियानम के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, गंगा मुक्ति महासंग्राम के संयोजक कल्कि पीठाधीश्वर स्वामी प्रमोद कृष्णम भी थे। हॉस्पिटल के तपस्वी वॉर्ड में लोगों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। जैसे ही संतों ने ग्लूकोज ग्रहण किया हर हर गंगे के उद्घोष से तपस्वी वॉर्ड गूंज उठा। ग्लूकोज पीते ही बिगड़ गई तबीयत

कोयला मंत्री और जगद्गुरु शंकराचार्य के आने की पूर्व सूचना के चलते सभी संतों को तपस्वी वॉर्ड में लाया गया था। छोटे से कमरे में भारी भीड़ जमा थी। साध्वी पूर्णाम्बा और साध्वी शारदाम्बा व्हीलचेयर पर थीं। देवी पूर्णाम्बा ने जैसे ही ग्लूकोज ग्रहण किया उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। खांसी के साथ जीभ और शरीर में ऐंठन होने लगी है। डॉक्टर्स उन्हें तुरंत वहां से उठाकर एसी वॉर्ड में ले गये। थोड़ी देर में ट्रीटमेंट के बाद उनकी स्थिति में सुधार दिखा। डॉक्टर्स का कहना था कि तपस्वी वॉर्ड में अत्यधिक भीड़ और गर्मी के चलते उनकी तबीयत खराब हुई थी। जांच के बाद संत होंगे डिस्चार्ज मंडलीय हॉस्पिटल में एडमिट संतों की तपस्या ग्लूकोज ग्रहण करने के बाद समाप्त हो गई। लेकिन उन्हें डिस्चार्ज शनिवार को किया जायेगा। एसआईसी डॉ। डीबी सिंह ने बताया कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उनसे संतों को एक दिन और हॉस्पिटल में रखने को कहा है। एसआईसी ने बताया कि इस एक दिन हम संतों को खिलाने-पिलाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। अगर उन्हें खाने-पीने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई तो उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दी जायेगी। तीन महीने के लिए मामला ठंडा

केन्द्र सरकार ने संतों की किसी भी मांग को सीधे स्वीकार या अस्वीकार न करते हुए मामले को तीन महीने के लिए जांच कमेटी के पाले में डाल दिया है। इन तीन महीनों में कमेटी के निर्णय पर ही गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बनाये जा रहे 39 बांधों का भविष्य तय होगा। हालांकि संतों का कहना है कि अगर सरकार ने गंगा की अविरलता में बाधक बन रहे प्रस्तावित, निर्माणाधीन और निर्मित बांधों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो वे 25 नवंबर से दिल्ली के रामलीला मैदान में गंगा मुक्ति महासंग्राम की अलख जगायेंगे।तपस्या जारी रहेगी : अविमुक्तेश्वरानंद
संतों की अन्न-जल तपस्या पर भले ही विराम लग गया हो लेकिन गंगा की अविरलता के लिए यह तपस्या का पूर्ण विराम नहीं है। गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पत्रकारों से यह बात कही। उन्होंने कहा कि तपस्या जारी रहेगी लेकिन उसका स्वरूप थोड़ा सरल होगा। अब तपस्या 24 घंटे की होगी। एक तपस्वी के हटते ही दूसरा तपस्वी तप पीठ की कमान संभाल लेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के पत्र की जगह कोयला मंत्री द्वारा अपने लेटर पैड पर पीएम के दिय गये संदेश वाला पत्र जगद्गुरु को दिये जाने पर अपनी शंका व्यक्त करते हुए कहा कि जब शंकराचार्य महाराज ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था तो जवाब भी प्रधानमंत्री को ही देना चाहिए था। इसके बावजूद प्रधानमंत्री के संदेश को सकारात्मक रूप से देखते हुए गंगा सेवा अभियानम् ने गंगा तपस्या अभियान को अंतरिम रूप से विराम दिया है। तपस्या तब तक जारी रहेगी जब तक गंगा की अविरलता पूर्ण रूप से सुनिश्चित नहीं हो जाती.  भरोसा टूटा तो फिर से होगा आंदोलन : शंकराचार्य संतों की तपस्या समाप्त कराने के बाद पत्रकारों से बातचीत में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती सरकार की मंशा से पूर्ण से सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के संदेश ने उन्हें पूर्ण संतुष्टी नहीं दी है। लेकिन उन्होंने गंगा की अविरलता, निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए संतों से तीन माह का समय मांगा है इसीलिए हमने उन्हें समय दिया है। लेकिन अगर सरकार अपना भरोसा तोड़ती है और यदि गंगा की अविरलता के लिए कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है तो देश का संत समाज एक बार फिर से आंदोलन शुरू करने को बाध्य होगा। शंकराचार्य जी ने बताया कि हमने संतों की भावना से प्रधानमंत्री को अवगत करा दिया है। गंगा के मसले पर उन्हें सकारात्मक निर्णय लेना ही होगा। गंगा का पैसा खा गईं राज्य सरकारें: श्री प्रकाश प्रधानमंत्री का दूत बन कर आये कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्वारा गंगा एक्शन प्लैन के नाम पर दिये गये अरबों रुपयों को राज्य सरकारों पर खा जाने का आरोप लगाया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर पैसे का सही तरीके से इस्तेमाल होता तो आज गंगा की यह दशा नहीं होती। राज्य सरकारों ने पैसे का सही इस्तेमाल नहीं किया और प्लैन का अधिकतर पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। राज्य सरकारों ने पैसे के सदुपयोग पर ध्यान नहीं दिया। भ्रष्टाचार के मामले की जांच केन्द्र सरकार द्वारा कराये जाने के प्रश्न पर कोयला मंत्री कोई सटीक जवाब नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ पैसा देने की है उसे सही तरीके से खर्च करने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकारों की है।

Posted By: Inextlive