राजाओं व नवाबों के दुर्लभ असलहे 60 साल से मालखानों में हैं कैद


Lucknow: कोई हमलावर अचानक सामने आ गया, इसी बीच सामने वाले शख्स ने अपनी छतरी खोली। छतरी खुलते ही उससे फायर हुआ और हमलावर मौके पर ढेर, फिल्मों में यह सीन तो आपने कई बार देखा होगा लेकिन इस तरह के असलहे कल्पना नहीं बल्कि 60 साल पहले तक प्रदेश की विभिन्न रियासतों के राजा, नवाब व तालुकेदार इस तरह के असलहे अपनी निजी सुरक्षा के लिये साथ लेकर चलते थे। समय और परिस्थितियां बदलीं और आजादी के साथ ही यह सभी रियासतें भी खत्म हो गईं.
 इन रियासतों के राजा व नवाब भी आम भारतीय की तरह नियम व कानून के नीचे आ गये और उनके यह दुर्लभ असलहे तत्कालीन सरकार ने कलेक्ट्रेट के मालखानों में जमा करा दिये लेकिन इन दुर्लभ असलहों के रखरखाव के लिये कोई विशेष इंतजाम नहीं किये गये। जिसकी वजह से करोड़ों रुपये कीमत के इन एंटीक असलहे अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
अजब-गजब असलहे
राजाओं और नवाबों के जिन असलहों को मालखानों में जमा कराया गया वे अपने आप में अजूबा ही हैं। इन असलहों में शामिल है स्टिक गन जिसमें 12 बोर का कारतूस लगता है। इसके हैण्डरेस्ट के पास छोटा सा ट्रिगर मौजूद होता है और इसमें एक बार में एक कारतूस लोड किया जा सकता है। देखने में मामूली छड़ी मालूम पडऩे वाली यह गन अचानक सामने आ पहुंचे हमलावर को पलक झपकते ही मौत की नींद सुला देने की कूवत रखती है। इसके अलावा अम्ब्रेला गन भी अपने आप में अचरज की ही चीज लगती है.
 इससे फायर करने के लिये सिर्फ छतरी को सामने कर उसे खोलना पड़ता है और सामने खड़ा हमलावर चुटकियों में चित। लेडी पर्स में लगा छोटा सा पिस्टल भी अजूबे सी चीज लगती है। इसके अलावा ढेरों विदेशी बारूदी बंदूकें भी मालखानों की शोभा बढ़ा रहीं हैं। इन बंदूकों में कारतूस नहीं लगता बल्कि इसमें नाल में आगे से बारूद भरा जाता था.
मालखानों में सेफ कस्टडी के तहत रखी रिवाल्वर व पिस्टल की लंबाई तीन इंच से 12 इंच तक है। वहीं, इन असलहों के कारतूस भी इनकी तरह अजब हैं। विभिन्न बोर के  इन कारतूसों की लंबाई आधा इंच से डेढ़ इंच तक है।
60 हजार से ज्यादा असलहे जमा हैं मालखानों में
गृह विभाग की रिपोर्ट को मानें तो इस समय प्रदेश के सभी जिलों के मालखानों में कुल 60 हजार से ज्यादा असलहे जमा हैं। इनमें वे असलहे भी शामिल हैं जो लाइसेंस धारकों की मौत या फिर सरकार के लाइसेंस निरस्त करने के कारण असलहों को जमा करवाया गया.
 इन असलहों को जब्ती की कैटेगरी में रखा जाता है जबकि राजाओं व नवाबों की असलहे सेफ कस्टडी कैटेगरी में रखे गये हैं। इस समय बांदा में एक हजार, लखीमपुर में 800, पीलीभीत में 750 और गोरखपुर, गोण्डा व बहराइच में 800 असलहे वहां के मालखानों में जमा हैं। अगर लखनऊ मालखाने की बात करें तो यहां 146 रिवाल्वर-पिस्टल जमा हैं जिनकी लंबाई तीन इंच से 12 इंच तक बताई जाती है। इसके अलावा 17 स्टिक गन्स, 105 राइफल्स, 109 बारूदी बंदूक और करीब तीन सौ सिंगल व डबल बैरल बंदूकें मालखाने की शोभा बढ़ा रहीं हैं।

Posted By: Inextlive