इंग्लैंड के चर्चित फुटबॉल खिलाड़ी डेविड बेकम उन कई सेलिब्रिटी में शामिल हैं जिन्होंने अपनी पत्नी और अपने चार बच्चों के प्रति प्यार जताने के लिए अपने शरीर के कई हिस्सों को स्थायी स्याही से गुदवा टैटू लिया है.

हाल ही में पोलैंड और यूक्रेन में संपन्न हुई यूरो 2012 प्रतियोगिता में कई फुटबॉल खिलाड़ियों को कई तरह के टैटू के साथ देखा गया। शेरिल कोल, एंजेलिना जोली और केली ऑसबॉर्न जैसी महिला सेलिब्रिटी को भी शरीर में टैटू के लिए जाना जाता है। हाल के वर्षों में टैटू की लोकप्रियता में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। एक आकलन ये है कि पाँच में एक ब्रितानी वयस्क ने टैटू बनवा रखा है। लेकिन क्या सभी अपने टैटू से खुश हैं?

स्पाइस गर्ल्स में से एक मेल चिजोम अब चाहती हैं, जो 11 टैटू उनके शरीर पर बने हुए हैं, उनमें से कुछ को हटा दिया जाए। स्पोर्टी स्पाइस के नाम से चर्चित चिशोल्म ने 1990 के दशक में अपने शरीर पर टैटू बनवाया था।

दुखी

वे ये भी चाहती हैं कि उनकी बेटी स्कारलेट अपने शरीर पर एक भी टैटू न बनवाएँ। गुड हाउसकीपिंग मैगजीन के लिए फोटो शूट कराते समय उन्होंने डिजिटल तरीके से अपना टैटू हटवाया।

लेकिन ऐसा लगता है कि मेल चिजोम ही एकमात्र शख्स नहीं हैं, जिन्हें अपने टैटू पर खेद है। पिछले सप्ताह ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ़ डर्माटोलॉजिस्ट के सम्मेलन में ये शोध पेश किया गया कि अपने शरीर पर टैटू बनवाने वाले हर तीन में से एक व्यक्ति अब अपने टैटू से पछता रहा है।

बर्नले अस्पताल के त्वचा विशेषत्रों ने छह महीने में 600 लोगों पर सर्वेक्षण किया। इस शोध में ये भी पता चला कि पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा अपने टैटू पर आपत्ति है।

शोध में ये बात भी सामने आई कि उन लोगों को अपने टैटू पर ज्यादा आपत्ति है, जिन्होंने 16 साल से कम उम्र में टैटू बनवाया था। जिन लोगों ने अपने टैटू पर खेद जताया, उनमें से ज्यादातर लोगों अपने शरीर के ऊपरी हिस्से पर टैटू बनवाया था।

लेकिन शोध में ये सच्चाई भी सामने आई कि जिन लोगों ने अपने टैटू पर खेद जताया, उनमें से आधे से कुछ कम लोग तो इसे हटाने को तैयार है, अगर ऐसा संभव है।

परेशानी

ईस्ट लंकाशायर अस्पताल में त्वचा सलाहकार डॉक्टर कैरोलाइन ओवेन ने अपने एक सहयोगी के साथ ये शोध किया। उनका कहना है, "मैं चाहती हूँ कि सिर्फ पुरुषों या सिर्फ महिलाओं की पार्टियों में जाने वाले लोगों पर ऐसी व्यवस्था लागू हो, जिसके तहत इन पार्टियों में जाकर ज्यादा पीने वाले लोगों को यहाँ से वापस जाकर सोचने का वक्त मिले."

टैटू बनवाने की प्रक्रिया के तहत रंग को त्वचा के गहरे स्तर तक इंजेक्ट किया जाता है। लेजर तकनीक से इसे हटाया तो जा सकता है, लेकिन कुछ रंग या टैटो के आकार हटाने में मुश्किल होते हैं। इससे त्वचा काली पड़ सकती है और दाग बन सकते हैं। लेजर तकनीक के तहत त्वचा से होकर प्रकाश को गुजारा जाता है, जो टैटू की स्याही को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है।

लेकिन इस तकनीक से छह से आठ बार इलाज कराना पड़ता है और इसमें लाखों रुपए का खर्च आता है। डॉक्टर ओवेन का कहना है कि ये महत्वपूर्ण संदेश होना चाहिए कि टैटू को हटाना मुफ्त में उपलब्ध नहीं है। ऐसे टैटू आपने जीवन पर असर डाल सकते हैं और आप दुखी और हताश हो सकते हैं।

Posted By: Inextlive