Patna: काउंटर से रेल रिजर्वेशन या जेनरल टिकट लेना जंग जीतने के बराबर है. वेबसाइट से टिकट लेने में भी प्रॉब्लम होती है. कभी साइट स्लो हो जाता है तो कभी खुलता ही नहीं है. ऐसा ही हुआ आनंदपुरी में रहने वाले रणवीर सत्यम के साथ. रणवीर को टिकट लेना था लेकिन पटना जंक्शन पर भीड़ देखकर उसका हिम्मत जवाब दे गया.


ऑटोमैटिक रेल टिकटिंग मशीन का डिजाइन तैयार जब वेबसाइट ओपन किया तो वह स्लो था। आखिरकार किसी तरह उसने वेबसाइट से टिकट निकाला, लेकिन टिकट के लिए इतना जद्दोजहद करना उसे पच नहीं रहा था। कॉमनमैन की इस प्रॉब्लम को उसने दूर करने की सोची। ढाई महीने तक दिन रात काम कर उसने ऑटोमैटिक रेल टिकटिंग मशीन का डिजाइन तैयार कर लिया।काउंटर को बाय-बाय
एआरटीएम को कहीं भी आसानी से लगाया जा सकता है। इसे बनाने में मात्र 70 से 80 हजार रुपए खर्च आएंगे। रणवीर का कहना है कि मशीन को ऑपरेट करना आसान है। यह एटीएम की तरह काम करेगा। टिकट के लिए इसमें किसी भी बैंक का एटीएम कार्ड डालना होगा। मांगी गई जानकारी दिए जाने के बाद पलक झपकते टिकट आपके हाथ में होगा। एटीएम के माध्यम से टिकट का चार्ज आपके अकाउंट से डिडक्ट हो जाएगा। मशीन से जेनरल और रिजर्वेशन दोनों तरह का टिकट लिया जा सकता है। साथ ही ट्रेन के स्टेटस, प्लेटफार्म पोजिशन, रिजर्वेशन स्टेटस सहित रेलवे से रिलेटेड सारी जानकारी मशीन से प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ-साथ अगर कोई गड़बड़ी है तो कंप्लेन भी की जा सकती है। एटीएम की तरह इस मशीन को लगाकर काउंटर को बाय-बाय कहा जा सकता है।


रणवीर की माली हालत ठीक नहींरणवीर की माली हालत ठीक नहीं है। उसके पापा स्व। शिव शंकर प्रसाद साह नहीं हैं। घर की जिम्मेवारी के साथ उसने किसी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी की। रेग्युलर कोर्स में ज्यादा पैसे लगने के कारण उसने 10वीं ओपन स्कूल से किया। किसी तरह इंटर और ग्रेजुएशन किया और एक बार फिर ओपन यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रहा है। उसने मशीन का डिजाइन तो तैयार कर लिया लेकिन उसे बनाने के लिए रुपए नहीं हैं। इसके लिए उसे 80 हजार रुपए की जरूरत है। रणवीर कहता है कि मशीन का वेट मात्र 20 केजी होगा। नेट के थ्रू इसे कहीं भी कनेक्ट और एस्टैब्लिश किया जा सकता है। कंप्यूटर का कोर्स नहीं कियारणवीर सॉफ्टवेयर डेवलपर है। वेब डिजाइन का काम भी करता है। कर्नाटका स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी से वह एमबीए कर रहा है। वह कहता है कि मैंने किसी तरह का कंप्यूटर कोर्स नहीं किया है। खुद से ही सबकुछ सीखा हूं। इसके लिए मैंने इंटरनेट की हेल्प ली है। रेलवे बोर्ड को भेजी डिजाइन

रणवीर ने डिजाइन की कॉपी रेलवे बोर्ड को भेजी है। साथ ही उसकी कॉपी रेल मिनिस्टर को भी भेजी है। अब उसे इंतजार है बोर्ड के फैसले का, ताकि वह डिजाइन का डेमो दे सके। यदि उसके डिजाइन को पास कर दिया जाता है तो जितनी चाहे मशीन वह बनाकर रेलवे को दे सकता है।ऐसे काम करेगा एआरटीएम- पैसेंजर मशीन में डेस्टिनेशन और टाइप ऑफ टिकट की डिटेल्स डालेंगे।- मशीन एटीएम या क्रेडिट कार्ड डिमांड करेगा।- कार्ड डालने के बाद अकाउंट से जर्नी टिकट के हिसाब से पैसे डिडक्ट हो जाएंगे।- इसके बाद मशीन टिकट और स्टेटमेंट देगा।- मशीन में कैमरा फिट है फर्जीवाड़ा करने पर आदमी को तुरंत पकड़ा जा सकेगा।- 20 किलो की मशीन को कहीं भी लगाया जा सकता है।- नेट के थ्रू काम करेगी मशीन। प्रोफाइलरणवीर सत्यमपिता : स्व। शिव शंकर प्रसाद साहमम्मी : मालती देवीपता : आनंदपुरी10वीं : एनआईओएस।12वीं : उपेन्द्र ट्रेनिंग इंटर कॉलेज मुंगेर।ग्रेजुएशन : भागलपुर यूनिवर्सिटी।एमबीए : कर्नाटक स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी।

Posted By: Inextlive