Patna: 'हौसला हो बुलंद तो रास्ता निकल ही आता है लक्ष्य पर हो ध्यान तो पत्थर में भी छेद हो जाता है'. इस कहावत की जीती-जागती मिसाल है रीमा कुमारी. पढऩे के लिए दूसरी फैसिलिटीज तो दूर बुक्स तक नहीं थी. बस कुछ अच्छा करने का जुनून था.


हौसले के दम से रीमा स्टेट टॉपरहर दौर झेलते हुए, रीमा ने अपने हौसले को बनाए रखा। नतीजा रहा कि पूरे स्टेट के लाखों स्टूडेंट्स को पछाड़ते हुए रीमा ने बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड की इंटरमीडिएट आर्ट्स की परीक्षा में टॉपर रही। पूरी तरह विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने हौसले के दम से रीमा स्टेट टॉपर बन ही गई। घर पर ही पूरी की पढ़ाई वर्ष 2009 में मैट्रिक करने के बाद रीमा ने आगे की अपनी पढ़ाई को लेकर उम्मीद नहीं थी। जैसे तैसे सेकेंड डिवीजन से मैट्रिक कर पाई थी, आगे बढऩा चाहती थी। लेकिन फैमिली वालों के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसे आगे की पढ़ाई करवाते। रीमा ने डिसाइड किया कि वो घर पर ही रह कर पढ़ाई करेगी। रीमा ने बताया कि कॉलेज से जब उसकी फ्रेंड्स वापस आती थी तो उनसे बुक्स मांग कर मैं खुद पढ़ाई करने लगी।


Civil services है aim

रीमा के पढ़ाई में इंटे्रस्ट को देखकर पिता जवाहर राय ने गांव से निकल कर दिनारा प्रखंड में ट्यूशन करना शुरू किया। ट्यूशन से जो पैसे मिले उससे रीमा का एडमिशन 2011 में कॉलेज में करवाया गया। फिर रीमा दूसरी लड़कियों की तरह कॉलेज जाने लगी। बचपन से ही रीमा को लेडी एसपी और डीएसपी का काम इंस्पायर करता रहा है। इस कारण वो सिविल सर्विसेज में जाना चाहती है। रीमा बताती हैं कि पुलिस यूनिफार्म देखकर अपने आप एक कांफिडेंस आता है। अब टॉपर बन गई तो सिविल सर्विसेज के सपने के लिए एक बार फिर कांफिडेंस मिला है। Just self study पिता के गाइड लाइन और 7 से 8 घंटे की सेल्फ स्टडी पर ही रीमा ने अपना लक्ष्य प्राप्त किया है। रीमा बताती है कि जिस सब्जेक्ट में थोड़ा भी डाउट रहता, उसे लगातार तब तक पढ़ती, जब तक उसे सही से समझ ना ले। इसके अलावा अपनी स्टडी का रुटीन भी रीमा ने खुद ही बनाया। रीमा कुमारीफादर - जवाहर रायमदर - विमला रायप्लस टू में सब्जेक्ट - ज्योग्राफी, होम साइंस, म्यूजिक हॉबी - म्यूजिक

Posted By: Inextlive