पहली बार चुनाव मैदान में उतर रही आम आदमी पार्टी के लिए दिल्‍ली विधानसभा चुनाव लिटमस टेस्‍ट की तरह है. आइए जानते हैं कि करप्‍शन के खिलाफ लड़ाई के बाद उभरी इस पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए पैसा कहां से मिल रहा है.


काम छोड़कर आए लोगदिल्ली विधानसभा चुनाव मैदान में पहली बार उतरने जा रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को प्रवासी भारतीयों का सहारा मिल गया है. आप के 'विधानसभा क्षेत्र गोद लो कार्यक्रम' के प्रति विदेशों में रह रहे भारतीयों ने काफी दिलचस्पी दिखाई है. उन्होंने अब तक दिल्ली के 17 विधानसभा क्षेत्र को गोद लिया है. कई प्रवासी भारतीय अपना काम छोड़कर दिल्ली में डट गए हैं, तो कई विदेश में ही रहकर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. प्रवासी भाईयों का सहारा


विदेश से दिल्ली आने वालों में युवा से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं. विधानसभा क्षेत्र को गोद लेने वाले प्रवासी भारतीय संबंधित क्षेत्र के प्रत्याशी के लिए चुनावी खर्च (14 लाख रुपये) की व्यवस्था करने के साथ चुनाव प्रचार में सहयोग दे रहे हैं. कुछ लोग यहां घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं, तो कुछ लोग फोन व सोशल मीडिया के माध्यम से मोर्चा संभाले हुए हैं. मूलरूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी व पिछले 11 सालों से शिकागो में रह रहे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मुनीश रायजादा अपनी प्रैक्टिस छोड़कर इन दिनों दिल्ली में हैं. वह कनॉट प्लेस स्थित पार्टी कार्यालय में वालंटियर्स संयोजन में योगदान दे रहे हैं. इंग्लैंड-अमेरिका से मिल रहा समर्थन

इसी तरह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के मूल निवासी 77 वर्षीय जयनाथ मिश्रा इंग्लैंड में इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थे. अन्ना आंदोलन से प्रभावित होने के बाद वह आप के समर्थन के लिए दिल्ली आए हुए हैं. घर-घर जाकर पार्टी के लिए जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं. वहीं वाराणसी के  रहने वाले कंप्यूटर इंजीनियर वरुण गुप्ता अमेरिका के सिएटल में कार्यरत हैं. वह करावल नगर विधानसभा में आप प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार अभियान का प्रबंध कर रहे हैं. इसी तरह कई और अप्रवासी भारतीय केजरीवाल का सहयोग कर रहे हैं.

Posted By: Subhesh Sharma