-दिवाली पर हुई आतिशबाजी से शहर में खतरनाक हो सकता है पॉल्यूशन का लेवल

-पटाखों से निकले धुएं से सांस रोगियों के स्वास्थ्य को हो सकती है परेशानी

एयर पॉल्यूशन से पहले से ही हाफ रहे स्मार्ट सिटी बनारस की आबोहवा और बिगड़ सकती है। दिवाली की रात हुई आतिशबाजी के धुएं से सांस और दमा के मरीजों की मुसीबत बढ़ सकती है। यही नहीं अचानक से तापमान में आई गिरावट से एलर्जी वाले मरीजों का स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। चिकित्सकों की मानें तो शहर की आबोहवा पहले से ही खराब है। ऐसे में मौसम में आई नमी और पटाखों से निकलने वाले धुएं लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। सांस और दमा के मरीजों को सावधान रहने की ज्यादा जरुरत है।

340 तक पहुंच चुका है एक्यूआई

शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार खतरनाक स्तर पर है। दिवाली से पहले ही पॉल्यूशन का लेवल लगातार फ्लैक्चुएट कर करता रहा। दिवाली पर एक्यूआई 346 के पार जा चुका है। जिसके चलते सांस रोगियों का दम घुट रहा है। ऐसे में यदि एक्यूआई का स्तर 400 के पार कर जाता है तो स्थिति गंभीर हो जाएगी। बीते साल दिवाली पर ही एक्यूआई 350 से अधिक था। इसमें पीएम 10-338 और पीएम 2.5 253 था।

धुआं कर सकता है अटैक

सांस एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ एसके पाठक बताते हैं कि दिवाली से पहले ही ठंड ने दस्तक दे दी है। इस बदलते मौसम में सांस के रोगी को सजग रहने की जरुरत है। अगर किसी को धूल, धुएं और तेज गंध से एलर्जी होती है तो उनमें एलर्जी की समस्या बढ़ सकती है। यही नहीं दमा मरीजों के लिए यह समय सबसे खतरनाक है। पटाखों के धुएं, धूल, अस्थमा के अटैक का कारण बन सकता है।

क्या हो सकता है

पीएम यानि पर्टिकुलेट मेटर 10 माइक्रोन से ज्यादा बड़ा होता है तो वह हमारे फेफड़ों के निचले हिस्से तक नहीं पहुंच पाता क्योंकि वो हमारी नाकों के फिल्टर की वजह से ऊपर ही रह जाते हैं, लेकिन पी.एम 2.5 फेफड़ों के निचले हिस्से तक जाते हैं, और ये वहां जाकर सूजन पैदा करते हैं, जहां से गैस एक्सचेंज होती हैं। पटाखों में चारकोल व हैवी मेटल होता हैं, जो न सिर्फ फेफड़ों को, बल्कि दिल, दिमाग व पेट आदि को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

सांप पटाखा फैलाता है अधिक प्रदूषण

पटाखों से निकलने वाले पीएम 2.5 कुछ ज्यादा ही हानिकारक होते हैं। दीवाली पर जलने वाले पटाखों को लेकर चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन (सीआरएफ) और पुणे यूनिवर्सिटी ने दो साल पहले कुछ तथ्य सामने रखे थे, रिसर्च में सामने आया है कि, काले रंग की गोली जैसी टिकिया यानी सांप पटाखा (स्नेक टैबलेट) सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाती है, एक स्नेक टेबलेट सिर्फ 12 सेकंड में जल जाती है, इसका प्रभाव तीन मिनट तक रहता है, इतनी देर में यह पीएम 2.5 के 64,500 एमसीजी/एम3 पैदा करता है, यह किसी भी पटाखे से निकले वाले प्रदूषण में सबसे ज्यादा है।

मौसम में बदलाव के कारण रात में शीत गिर रही है और इस दिवाली पर छोड़े जाने वाले पटाखों के धुएं वातावरण में ऊपर तक नहीं जा पाते और यही स्मॉग का कारण बनते हैं। ऐसे में सांस, अस्थमा, हृदय रोगियों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

डॉ। एसके पाठक, ब्रेथ ईजी टीबी, चेस्ट, एलर्जी केयर हॉस्पिटल

शहर की आबोहवा पहले से ही खराब है, इधर मौसम में हो रहे बदलाव और दिवाली पर छोड़े जाने वाले पटाखों के धुएं से हालात और बिगड़ने का अंदेशा है।

धीरज कुमार डबगरवाल, सीनियर रिसर्चर, द क्लाइमेट एजेंडा

ये बरतें सावधानी

-अर्ली मॉर्निग वाक न करें

-अस्थमा व सांस के मरीज धुंए और धूल वाले एरिया में न जाएं

-अस्थमा मरीज इन्हेलर साथ रखें

-बच्चों को देर तक पटाखें जलाने न दें

-बच्चों को सांप वाले पटाखों से दूर रखें

Posted By: Inextlive