-अकीदत के फूल चढ़ाने के लिए नहीं पहुंचा कोई जनप्रतिनिधि

-उस्ताद के परिजनों में इसका मलाल व दिखा रंजो-गम

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां फाउंडेशन की ओर से गुरुवार को भारत रत्‍‌न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जयंती फातमान स्थित उनके रौजे पर अकीदत के साथ मनाई गई. लेकिन इस मौके पर न तो कोई जनप्रतिनिधि और न ही संगीत घराने की कोई शख्सियत पहुंचा. इसका मलाल व यह रंजो-गम उस्ताद के परिजनों में साफ तौर पर दिखा. परिजनों ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि अब क्या मतलब है, जब खां साहब थे तो सभी आया करते थे, लेकिन उनके न रहने पर अब किसी का आना नहीं होता. फाउंडेशन के प्रवक्ता शकील अहमद जादूगर ने कहा कि कई विधायक और मंत्री जिले में हैं मगर उस्ताद की कब्र पर अकीदत के फूल चढ़ाने के लिए वक्त किसी को नहीं मिला.

परिजनों ने दी श्रद्धांजलि

इस मौके पर उस्ताद की कब्रगाह पर उनके घर के लोगों के अलावा अजय राय, रंजन द्विवेदी, राघवेंद्र चौबे, संजय सिह डॉक्टर आदि ने अकीदत के फूल चढ़ाए. उन्होंने कहा कि खां साहब भारत रत्‍‌न के साथ ही साथ महान संगीतज्ञ भी थे. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां द्वारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस दौरान उस्ताद के बेटे उस्ताद नाजिम हुसैन, अली अब्बास खां, नासिर अब्बास, अब्बास मुर्तजा शम्सी, बेटी जरीना बेगम, अबुल हसन, हादी हसन, अब्बास सिराजी, रजाब अब्बास, प्रमोद वर्मा, अब्बास रिजवी शफक, काबे अली, खां साहब के पौत्र आफाक हैदर आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित की.

लगे प्रतिमा ताकि याद रखे दुनिया

समारोह के संयोजक शकील अहमद जादूगर व आफाक हैदर ने सरकार को वह वादा याद दिलाया जिसमें कहा गया था कि कैंट स्टेशन पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां कि प्रतिमा लगाई जाएगी. उन्होंने कहा कि बिस्मिल्लाह खां ने हमेशा फकीरी कि जिंदगी को जिया, अब वो नहीं है तो उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है. अफसोस इस बात की है कि आज उनकी जयंती पर मुट्ठी भर लोगों ने ही उनकी कब्रगाह पर पहुंच कर फातेहा पढ़ा और अकीदत के फूल चढ़ाए.

Posted By: Vivek Srivastava