RANCHI: रांची पुलिस अपने वरीय पुलिस अधिकारियों की जांच कनीय पुलिस अधिकारियों से करवाती है। झारखंड पुलिस के एक आला अफसर ने यह कारनामा कर दिखाया है। जहां सीआईडी एडीजी अजय कुमार सिंह के खिलाफ जांच का जिम्मा एएसपी स्तर के एक पदाधिकारी को दिया है। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है। सवाल है कि आखिर एक एएसपी अपने ही विभाग के वरीय अधिकारी के खिलाफ जांच कैसे कर सकता है। नोडल पदाधिकारी द्वारा निर्देशित आदेश की कॉपी दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट के पास है। जांच करने का निर्देश पांच सितंबर, 2018 को दिया गया है और कहा गया है कि इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए एक्शन लें। अब देखना है कि भला एएसपी किस प्रकार से अपने विभाग के वरीय अधिकारी की जांच करेगा। इस पर संशय बना हुआ है।

क्या है मामला

मिशनरीज ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय की संस्थाओं में बच्चों को बेचने के मामले में निलंबित इंस्पेक्टर उमेश ठाकुर को हटाने व सीआईडी एडीजी अजय कुमार को सस्पेंड कर सीबीआई जांच की मांग एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने की थी। इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को अगस्त, 2018 में पत्र लिखा गया था। मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद भी पहुंचा था। कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच एक ऐसे आरोपी से कराई जा रही है, जिस पर नाबालिग बच्ची से नौकरानी का काम कराने एवं शारीरिक यातना देने का आरोप है। वर्ष 2016 में नाबालिग बच्ची को यातना देने के मामले में हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था तथा उमेश ठाकुर एवं उनकी पत्‍‌नी माधुरी ठाकुर के खिलाफ सरकार को आंख खोल कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। मगर, आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

केंद्रीय संयुक्त सचिव का था आदेश

गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव सहेली घोष राय ने मामले में संज्ञान लेते हुए अपने अधिनस्थ संयुक्त सचिव दिलीप कुमार को उनके आवेदन पर उचित कार्रवाई करने के लिए 30 अगस्त, 2018 को आदेशित किया था। साथ ही महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा स्तुति कक्कर को उचित कार्रवाई के लिए आदेशित किया है। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में आवेदन की गंभीरता को लेते हुए मामला दर्ज कर लिया गया है।

मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी उठा मामला

मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी शिकायतवाद संख्या: 2018-77408 दर्ज कराया गया है। जिसे पुलिस विभाग के नोडल अधिकारी आईजी शंभू ठाकुर के पास कार्रवाई के लिए भेजा गया। मगर आईजी शंभू ठाकुर द्वारा मामले में खुद कार्रवाई करने के बजाय उसे सीआईडी के एएसपी के पास भेज दिया गया।

Posted By: Inextlive