-मोटापे से बच्चों में अस्थमा का बढ़ रहा खतरा

-बनारस में बढ़ता पॉल्यूशन भी बढ़ा रहा अस्थमा का ग्राफ

अगर आपके बच्चे में लगातार मोटापा बढ़ रहा है तो सावधान हो जाइए, कही ऐसा न हो कि व अस्थमा का शिकार हो जाए. पिछले दिनों हुए एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि मोटापे से बच्चों में अस्थमा (दमा)का खतरा बढ़ जाता है. शोध के मुताबिक अस्थमा का इलाज कराने वाले बच्चों में मोटे बच्चों की संख्या औसत भार वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा है. 23 से 27 फीसदी अस्थमा के नए मामले मोटापे की वजह से सामने आए हैं. जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित इस शोध के लिए पांच लाख बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट का अध्ययन किया गया था.

बढ़ रही मोटे बच्चों की संख्या

जंक फूड, पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड सेवन से बनारस में मोटे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की रिपोर्ट के मुताबिक बनारस समेत पूरा देश पाचनतंत्र सिंड्रोम की महामारी से गुजर रहा है. इसे आम भाषा में सामान्य वजन मोटापा कहते हैं. इसमें तोंद निकलना, हाई ट्रिग्लिसाइड, लो कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, हाई शूगर आदि. चिकित्सकों के मुताबिक उक्त रोग के घेरे में बच्चे आ रहे हैं जो आगे चलकर युवावस्था में ही दिल के रोग से ग्रसित हो रहे हैं. इसलिए पैरेंट्स को मोटापे से ग्रस्त बच्चों पर खास ध्यान देने की जरुरत है.

एलर्जी है बड़ा खतरा

चिकित्सकों के मुताबिक बच्चों में 90 फीसदी और व्यस्कों में 50 फीसदी मामलों में अस्थमा का कारण एलर्जिक रिएक्शन होता है. इसलिए अस्थमा से पहले एलर्जी की समस्या होती है. कई बार खाद्य पदार्थ भी एलर्जी का कारण हो सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि शरीर इन हानिरहित पदार्थो को अपने लिए हानिकर मान लेता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली/ इम्यून सिस्टम आईजीई वर्ग के एंटीबॉडी बनाने लगती है, साथ ही शरीर में हिस्टामाइन जैसे रसायन भी बनने लगते हैं. इससे नाक में कंजेशन, नाक बहना, आंखों में खुजली और त्वचा पर लाल दाने तथा कुछ लोगों में अस्थमा का कारण बन जाता है.

2.05 फीसदी लोगों की उम्र 15 साल

मेडिकल जर्नल लैन्सेट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार विश्व में अस्थमा के कारण सबसे ज्यादा होने वाली मृत्यु भारत में है, जो कि 26.6 प्रतिशत है. उसी रिपोर्ट में बताया गया हैं कि भारत में सबसे ज्यादा अस्थमा के मरीज उत्तर प्रदेश में है. इसकी सबसे बड़ी वजह यूपी में बढ़ता प्रदूषण है. वहीं इंडियन स्टडी ऑन एपीडेमोलॉजी ऑफ अस्थमा, रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स एंड क्रोनिक ब्रोंकाइटिक के अनुसार भारत में अस्थमा से पीडि़त 1.8 करोड़ लोगों में से 2.05 फीसदी लोगों की उम्र 15 वर्ष से कम है.

मोटापे के शिकार बच्चो में ये बीमारियां भी ले रही जन्म

-हाईपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रोल,

-शरीर में ग्लूकोज सहनशीलता का असंतुलन

-इंसुलिन प्रतिरोधात्मकता

-सांस के विकार

- स्लीप एपनिया

-जोड़ों का दर्द

- मांसपेशियों और हड्डियों के विकार -लीवर में सूजन और दिल की जलन -लगातार तनाव

ऐसे कर सकते हैं बचाव

-प्रदूषण से बचें

-ऐंटीबायॉटिक दवा का उपयोग कम करें

-जंक फूड का प्रयोग कम करें

-प्रेग्नेंसी के दौरान तंबाकू का सेवन न करें

-मोटापे से बचने के लिए हफ्ते में कम से कम एक बार कार्बोहाईड्रेट्स से परहेज करें

-मीठे आहार को कड़वे आहार से मिला कर लें जैसे आलू-मटर की जगह आलू-मेथी लें

-हरी कड़वी चीजें खाएं,

-वनस्पति घी या ट्रांसफैट बिल्कुल न खाएं

-मैदा, चावल और सफेद चीनी से बचें

प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं. अध्ययनों से साफ हो गया है कि वायु प्रदूषण अस्थमा की समस्या को और गंभीर बना रहा है.

डॉ. एसके पाठक, ब्रेथ ईजी, टीबी, चेस्ट एलर्जी केयर सेंटर

यह सही है कि बच्चों में बढ़ रहा मोटापे उन्हें अस्थमा का शिकार बना रहा है. बच्चे मोटापे के साथ बढ़ते पॉल्यूशन की वजह से भी अस्थमा की चपेट में आ रहे है. इसका बचाव जरूरी है.

प्रो. जेके सामरिया, पूर्व हेड डिपार्टमेंट ऑफ रेस्पेरेटरी डिजिज, बीएचयू

फैक्ट फाइल

23 से 27

फीसदी अस्थमा के नए मामले मोटापे की वजह से

90

फीसदी बच्चों में अस्थमा का कारण एलर्जिक रिएक्शन

50 फीसदी व्यस्कों के मामले में अस्थमा का कारण एलर्जी है.

-80 एमएल से ज्याद सॉफ्ट ड्रिंक एक दिन में पीना करता है सेहत को नुकसान

30

प्रतिशत से ज्यादा मीठे वाली मिठाइयां खाने से बचें

Posted By: Vivek Srivastava