-कीड़े और मांस के टुकड़े खाने के चक्कर में एस्टोटर्फ को उखाड़ कर बर्बाद कर रही चीलें

- चीलों ने एस्ट्रोटर्फ को सात वर्ष में ही कर दिया खराब

- प्लेयर्स का प्रैक्टिस करना हुआ दूभर, देखरेख करने वालों पर किए हमले

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- 2011 में लगाई गई थी एस्ट्रोटर्फ

- 4 करोड़ रुपए आई थी लागत

- 7 वर्ष का वारंटी पीरियड बेकार

- 50 हजार खर्च हुए रिपेयर पर

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-कीड़े और मांस के टुकड़े खाने के चक्कर में एस्टोटर्फ को उखाड़ कर बर्बाद कर रही चीलें

- चीलों ने एस्ट्रोटर्फ को सात वर्ष में ही कर दिया खराब

- प्लेयर्स का प्रैक्टिस करना हुआ दूभर, देखरेख करने वालों पर किए हमले

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- ख्0क्क् में लगाई गई थी एस्ट्रोटर्फ

- ब् करोड़ रुपए आई थी लागत

- 7 वर्ष का वारंटी पीरियड बेकार

- भ्0 हजार खर्च हुए रिपेयर पर

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BAREILLYBAREILLY :

स्पो‌र्ट्स अथॉरिटी अॉफ इंडिया साई के हॉकी स्टेडियम की एस्टोटर्फ पर आसमानी खतरा मंडरा रहा है। हॉकी के युवा 'जादूगर' पैदा करने के लिए यहां जिस एस्टोटर्फ को बिछाया गया था, उस पर आज चीलों का कब्जा है। वे कीड़े मकोड़े और मांस के टुकड़े खाने के लिए एस्टोटर्फ को उखाड़ कर बर्बाद करने में जुटी हैं। इससे जहां प्लेयर्स का खेलना दूभर हो चुका है, वहीं साई के कर्मचारियों को इसकी देखरेख करने में जान तक दांव पर लगानी पड़ रही है।

भारतीय खेल प्राधिकरण ने ख्0क्क् में 'खेलो इंडिया खेलों' के तहत यहां एस्टोटर्फ बिछाया था ताकि यहां से इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर पैदा हो सकें। लेकिन पिछले दो सालों से यहां खिलाड़ी कम, चीलें ज्यादा दिखने लगी हैं। चीलों ने एस्टोटर्फ को अपना डाइनिंग एरिया बना लिया है।

इसलिए आती हैं चीलें

यहां के इंचार्ज मिथलेश राणा और देखरेख करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि चील एस्टोटर्फ को घास समझ यहां आ जाती हैं। फिर इसे उखाड़कर इसकेनीचे से निकलने वाले कीड़े-मकोड़े खाकर उड़ जाती हैं। उनके मुताबिक स्टेडियम के बगल में बना तालाब भी उनके यहां आने के लिए जिम्मेदार हैं। चीलें यहां से मछलियां दबोचकर स्टेडियम के चारों ओर लगी बैरीकेडिंग पर बैठकर इन्हें खाती हैं। इस दौरान मांस के जो टुकड़े एस्टोटर्फ पर गिर जाते हैं, उसे उठाने के चक्कर में भी ये एस्टोटर्फ को उखाड़ देती हैं।

हमला करने से भी नहीं चूकतीं

स्टेडियम के कर्मचारी आकाश कुमार ने बताया कि एस्ट्रोटर्फ को चीलों से बचाने के लिए दो लोग दिन में निगरानी करते हैं। एक बार तो चीलों को भगाने के चक्कर में उनकी जान पर बन आई थी। भगाने से भड़कीं दो चीलों ने उन पर हमला तक कर दिया था। उनसे बचने के लिए उन्होंने उखड़ी हुई टर्फ को घुमाया तो वे टर्फ छीनकर उड़ गई।

चाबी भी ले गई

स्टेडियम के माली अशोक ने बताया कि उन्हें अब चीलों से डर सताने लगा है। एक बार स्टेडियम में ब्0 से भ्0 चीलें बैठी थीं। वे झुंड को भगाने गये तो चीलों ने हमला कर दिया। जान बचाने के लिए उन्होंने चाबी फेंक कर मारी तो वे उसे भी लेकर उड़ गई।

एक वर्ष भी नहीं चलने दी रिपेयर

मिथलेश के मुताबिक, एक वर्ष पहले एस्ट्रोटर्फ बिछाने वाली कंपनी से एक वर्ष पहले इसको रिपेयर करवाना पड़ा था। वारंटी पीरियड में होने के कारण इसके लिए कोई पेमेंट नहीं करना पड़ा, लेकिन एस्टोटर्फ चिपकाने के लिए ग्लू पर भ्0 हजार रुपए खर्च हुए थे। लेकिन इसके बाद चीलों ने फिर से एस्ट्रोटर्फ को कई जगह से उखाड़ दिया है। यह कई जगह से लूज तक हो चुकी है, जिससे प्लेयर्स की प्रैक्टिस भी प्रभावित हो रही है।

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टर्फ को बर्बाद कर रही चीलें

शहर के केवल एक ही स्टेडियम में एस्ट्रोटर्फ लगा है। इसके लिए दो कर्मचारी दिन भर चीलों को उड़ाते हैं। इसके बाद भी चील एस्ट्रोटर्फ को बर्बाद कर रही हैं। अब अफसरों को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत कराऊंगी।

मिथलेश राना, साई स्टेडियम इंचार्ज, हॉकी कोच

Posted By: Inextlive