- आईआईएम फेस्ट में शामिल हुए कैप्टन राकेश शर्मा

- अंतरिक्ष में काम के लिए देशों को आपस में करना होगा सहयोग

LUCKNOW :

आज हमारी पृथ्वी पर बहुत तेजी से दवाब बढ़ रहा है। यह दबाव हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रदूषण और जमीन पर गंदगी और बढ़ती जनसंख्या के तौर पर देखी जा रही हैं। हमने इसे हर हाल में काबू करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया जा सकता तो वह समय दूर नहीं जब हमारा यह खूबसूरत ग्रह किसी जीव के रहने के लायक नहीं बचेगा। इसके लिए हम सभी को मिलकर इसे बचाना होगा। यह बात भारत के पहले और विश्व के 138 अंतरिक्ष यात्री स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने संडे को इंडियन इंस्टि्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) में आयोजित एनुअल बिजनेस, कल्चरल एंड स्पो‌र्ट्स फेस्ट मेनफेस्ट- वर्चस्व 2015 के तीसरे और अंतिम दिन आईकॉन्स में सेशन में स्टूडेंट्स से कही।

अभी जीवन के लिए दूसरा ग्रह मिलना मुश्किल है

आईआईएम फेस्ट वर्चस्व के आईकॉन्स में शामिल आईआईएम की स्टूडेंट नलिनी कोठारी ने बताया कि राकेश शर्मा ने वर्कशॉप में मौजूद सभी स्टूडेंट्स से अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे आज जिन देशों के पास अंतरिक्ष में जाने की महारत हासिल हैं। वह सभी चांद और मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में लगे हुए हैं। पर अगले कई सालों तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने स्टूडेंट्स से कहा कि मै अंतरिक्ष में गया हूं और अपने अनुभव से यह कहता हूं कि अभी दूसरे ग्रह पर जीवन मिलना काफी मुश्किल है। ऐसे में हर हाल में हमे अपनी पृथ्वी को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए विश्व के जितने भी देश अंतरिक्ष कार्यक्रम में लगे हुए है उन सभी को दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करना होगा। ताकि दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश के लिए सभी का सहयोग लिया जा सके।

खुशी से झूम उठे स्टूडेंट्स

संडे को आईआईएम के फेस्ट में स्टूडेंट्स को राकेश शर्मा को सुनने की बेचैनी साफ नजर आ रही थी। उनके आने से पहले ही सारा हॉल स्टूडेंट्स से फुल हो गया था। स्टूडेंट्स उस शख्सियत को सुनने को बैचन थे, जिसके किस्से वह बचपन से सुनते आ रहे थे। जैसे ही राकेश शर्मा हॉल में एंट्री की, वहां मौजूद स्टूडेंट्स ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। हॉल में मौजूद स्टूडेंट्स आईआईएम के स्टूडेंट्स ऑर्नव मंडल बताया कि उन्होंने अपने जीवन की छोटी-छोटी जानकारियों से सभी को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि वह एक फाइटर पायलेट बनना चाहते थे, लेकिन के महज एक संयोग से उनकों अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका मिला। हॉल में मौजूद स्टूडेंट्स का कहना था कि उन्होंने एक अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए कितनी मेहनत और ट्रेनिंग करनी होती है, इसकी जानकारी सभी को दी। कैसे महीनों जीरो ग्रेवीटी में रहकर ट्रेनिंग किया जाता है।

Posted By: Inextlive