अटल के birthday पर उनकी एक poem
देश के 10वें पीएम अटल बिहारी बाजपेई का आज बर्थडे है. तीन बार देश के पीएम बने अटल का नाम पालिटिक्स की दुनिया में हमेशा रेस्पेक्ट के साथ लिया जाता है. 87 साल के इस पालिटीशियन को पालिटिक्स के अलावा उनकी पोएट्री के लिये भी जाना जाता है.
किन्तु कोई गौरैया, वहाँ नीड़ नहीं बना सकती, ना कोई थका-मांदा बटोही, उसकी छाँव में पलभर पलक ही झपका सकता है.सच्चाई यह है किकेवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,सबसे अलग-थलग,परिवेश से पृथक,अपनों से कटा-बँटा,शून्य में अकेला खड़ा होना,पहाड़ की महानता नहीं,मजबूरी है.ऊँचाई और गहराई में
आकाश-पाताल की दूरी है.
जो जितना ऊँचा, उतना एकाकी होता है, हर भार को स्वयं ढोता है, चेहरे पर मुस्कानें चिपका, मन ही मन रोता है.ज़रूरी यह है किऊँचाई के साथ विस्तार भी हो,जिससे मनुष्य,ठूँठ सा खड़ा न रहे,औरों से घुले-मिले,किसी को साथ ले,किसी के संग चले. भीड़ में खो जाना, यादों में डूब जाना, स्वयं को भूल जाना, अस्तित्व को अर्थ, जीवन को सुगंध देता है.धरती को बौनों की नहीं,ऊँचे कद के इंसानों की जरूरत है. इतने ऊँचे कि आसमान छू लें,नये नक्षत्रों में प्रतिभा की बीज बो लें, किन्तु इतने ऊँचे भी नहीं, कि पाँव तले दूब ही न जमे, कोई काँटा न चुभे, कोई कली न खिले.न वसंत हो, न पतझड़,हो सिर्फ ऊँचाई का अंधड़,मात्र अकेलेपन का सन्नाटा. मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना, ग़ैरों को गले न लगा सकूँ, इतनी रुखाई कभी मत देना.