Kanpur:एचबीटीआई कैंपस में पिछले चार साल से चल रहा है बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज भी. फैकल्टी क्राइसिस के चलते पड़ रहा है एजूकेशन की क्वालिटी पर असर. दोनों ही कॉलेजों के स्टूडेंट्स में भी रहती है ‘कोल्ड-वॉर’ जैसी सिचुएशन


थोड़ा सा चेंज आ गया है


कहते हैं कि अतिथि भगवान का रूप है। लेकिन, मॉडर्न टाइम में इसमें थोड़ा सा चेंज आ गया है। अतिथि लिमिटेड टाइम के लिए रहे तभी तक वो भगवान होता है। उसके बाद फिर मेजबान  उसके जाने की प्रार्थना करने लगते हैं। कुछ ऐसा ही एचबीटीआई कैंपस में हो रहा है। बता दें कि चार साल पहले स्टेट गवर्नमेंट ने स्पेशल कंपोनेंट के तहत यूपी में चार इंजीनियरिंग कॉलेज खोले थे। इनमें से एक ‘डॉ। भीमराव अम्बेडकर इंजीनियंिरंग कॉलेज बिजनौर’ को एचबीटीआई कैंपस में करीब 4 साल पहले स्टार्ट किया गया था। इस कॉलेज के करीब 540 स्टूडेंट्स एचबीटीआई कैंपस में पढ़ रहे हैैं। अब हालत ये हो गई है कि फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की क्लास के लिए एचबीटीआई एडमिनिस्ट्रेशन परेशानी में पड़ गया है। यही नहीं, इस बार फस्र्ट ईयर के न्यू ज्वाइनीज को कैंपस में हॉस्टल भी एलॉट न करने की नोटिस भी जारी कर दी गई है। वही एचबीटीआई स्टूडेंट्स और स्टाफ, दोनों ही गुपचुप रूप से ये स्वीकार कर रहे हैं कि एक ही कैंपस में दो कॉलेजों की क्लासेज चलने की वजह से पढ़ाई की गुणवत्ता काफी प्रभावित हो रही है। नया बैच यहां आया तो मुसीबत

अगर इस बार भी बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज के फस्र्ट ईयर (यानि न्यू ज्वाइनीज) की क्लासेज एचबीटीआई कैंपस में लगीं तो फिर संस्थान प्रशासन के लिए बड़ी मुसीबत हो जाएगी। इंस्टीट्यूट सोर्सेज के मुताबिक नए स्टूडेंट्स के लिए न तो क्लास रूम की व्यवस्था है और न ही हॉस्टल का अरेजमेंट है। ऐसे में 180 स्टूडेंट्स को संस्थान प्रशासन कहां एडजस्ट करेगा, ये बहुत बड़ा प्रश्न है। कंट्रोवर्सीज भी कम नहीं इंस्टीट्यूट सोर्सेज के मुताबिक हाल ही में कैंपस में कई तरह के बवाल हुए हैं। सोर्सेज ने जानकारी दी कि इधर कुछ टाइम से जो भी बवाल हुए हैैं वो एचबीटीआई के स्टूडेंट्स के नहीं बल्कि बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज के हैं। इससे एचबीटीआई की साख खराब हो रही है। अभी कुछ माह पहले फस्र्ट ईयर के तीन स्टूडेंट्स ने अपने सीनियर को जमकर पीटा था। हाल ही में बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज के ही एक गर्ल और एक ब्वॉय को आब्जक्शनेबल बिहैवियर के चलते एक साल के लिए कॉलेज से सस्पेंड कर दिया गया। जितनी जल्दी हो शिफ्ट हो जाएं

बता दें कि एचबीटीआई कैंपस में इस टाइम एचबीटीआई के करीब 2 हजार स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त कर रहे हैैं। इंस्टीट्यूट का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उसी तरह का है जैसी नीड थी। बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज की वजह से स्टूडेंट्स को प्रोफेसर से उतना टाइम नहीं मिल पा रहा जितना कि स्टूडेंट्स को मिलना चाहिए। कई हरकोर्टियंस अब यही चाहते हैं कि ये ‘अतिथि’ जितनी जल्दी हो सके अपने कैंपस में शिफ्ट कर दिए जाएं।फैकल्टी पर वर्क लोड ज्यादाएचबीटीआई में वैसे भी फैकल्टी की शॉर्टेज हैै। किसी तरह गेस्ट फैकल्टी को कॉल कर क्लासेज करायी जा रही हैैं। उस पर बिजनौर इंजीनियरिंग कॉलेज की क्लास लेना फैकल्टी मेंबर्स के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। फैकल्टी भी स्वीकार करती है कि दो कॉलेजों की क्लास लेने के कारण बहुत अच्छी परफार्मेंस नहीं दी जा सकती है।शिफ्टिंग के प्रयास जारीएचबीटीआई के डायरेक्टर प्रो। जेएसपी राय ने बताया कि हाल ही में उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेट्री टेक्निकल एजुकेशन व महामाया टेक्निकल यूनीवर्सिटी के वीसी प्रो। एसके काक को लेटर लिखा है कि जितनी जल्दी हो सके डॉ। भीमराव अम्बेडकर इंजीनियरिंग कॉलेज-बिजनौर को एचबीटीआई से हटाकर उसके अपने कैंपस में शिफ्ट कर दिया जाए। उन्होंने उम्मीद जतायी कि तीन से चार में माह में बिजनौर कॉलेज अपने कैंपस में शिफ्ट में हो सकता है।
"हकीकत तो यह है कि जिस तरह का बिहैव बिजनौर के स्टूडेंट्स कर रहे हैैं उससे एचबीटीआई की साख खराब हो रही है। इनका यहां से जाना अच्छा है."       शिवम, स्टूडेंट एचबीटीआई"वो हमेशा आरोप लगाते रहते हैैं कि उनके साथ इंस्टीट्यूट में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जो कि जायज नही हैैं। उनके बिजनौर कैंपस जाने से हमें बहुत राहत मिलेगी."             सत्यम, स्टूडेंट एचबीटीआई"एचबीटीआई के स्टूडेंट्स हमेशा उन्हें कोऑपरेट करते हैैं लेकिन वो हमेशा गलत आरोप लगाते हैैं। बेहतर यही होगा कि उन्हें उनके कैंपस मेंं भेज दिया जाए."              प्रिया, स्टूडेंट एचबीटीआई"सच तो ये है कि हमारी एजुकेशन की क्वालिटी पर असर पड़ा है। फैकल्टी के ऊपर लोड बढ़ गया है जिससे वो उतना अटेंशन हरकोर्टियंस पर नहीं कर पा रहे हैैं जितनी जरुरत है."             अंकिता, स्टूडेंट एचबीटीआई

Posted By: Inextlive