इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में...
बारिश का खलल, पर रंग जमा जबरदस्त
संडे को हुई नॉन स्टॉप बारिश के चलते प्रोग्राम थोड़ा लेट हो गया था। लेकिन जहां शायर-कवियों ने माइक संभाला तो फिर ऐसा रंग जमा कि लेट नाइट तक आडियंस इसके सुरूर में डूबे रहे। देश के चुनिंदा फनकारों की इस महफिल में जिंदगी के हर रंग से आडियंस रुबरू हुए। उदय प्रताप ने जवानों की बात की तो सर्वेश अस्थाना ने नेताओं को निशाने पर लिया। इस प्रोग्राम की कुछ खास पेशकश आपके लिए। पद्मभूषण गोपाल दास नीरज 1. अबके सावन में शरारत मेरे साथ हुईमेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई. 2. इतने बदनाम हुए, हम तो इस जमाने में तुमको लग जायेंगी सदियां हमें भुलाने में. 3. मैंने जिंदगी नहीं जी सभी की तरहहर एक पल को जिया इक नई सदी की तरह. डॉ। उदय प्रताप सिंहसरहद की हिफाजत में जिनके सर गयेये कहना गलत है, कि वो लोग मर गये।
जहां जाते हैं हम कोई कहानी छोड़ आते हैंजरा सा प्यार थोड़ी सी जवानी छोड़ आते हैं. कहानी राम की वनवासियों पर फख्र करती हैंउसूलों के लिए जो राजधानी छोड़ जाते हैंडॉ। राहत इन्दौरीतूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करोमल्लाहों का चक्कर छोड़, तैर के दरिया पार करो।
डा। विष्णु सक्सेनावो जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर देगम के मरूस्थल में भी बरसात का रेला कर देयाद वो है ही नहीं, आए तो मेले में अकेला कर देप्रदीप चौबेआपका क्या ख्याल है साहब, हर तरफ गोलमाल है साहब कल का भगुवा चुनाव जीता तो, आज भगवत दयाल है साहबडा। सरिता शर्मारंग कुछ और ही चढ़ा होता, इक नया आचरण गढ़ा होता तुमने गोकुल की गोपियों से अगर, प्रेम का व्याकरण पढ़ा होता. सर्वेश अस्थानादेश में नेताओं की संख्या सर्वाधिक हैइसीलिए उनका पंजा एक प्वाइंट अधिक हैआलोक श्रीवास्तवन जीवन बचा है, न घर की निशानी पहाड़ों पे टूटा, पहाड़ों का पानी समीर शुक्लाटिनक टिनक हर गंगा, टिनक टिनक हर गंगाआम आदमी मर मर जाए, मौज उड़ाए लफंगागजेन्द्र सोलंकीएक इतिहास रोज गढ़ता हैशूरवंशी से देश बढ़ता हैश्लेष गौतम छुआ है कोई ना तो होगा पिता तुम्हारे बादपल पल तुमको याद कर रहा आज इलाहाबादनहीं हो तुम पर कविताएं तो करतीं हैं संवाद