- शिक्षानगरी के एक मात्र आयुर्वेदिक अस्पताल है खस्ताहाल

- डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर खतरा मंडरा रहा है

ROORKEE (JNN) : आयुष प्रदेश में आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने की सरकार की कोशिशों पर उनके मातहत ही पानी फेरने में लगे हैं। शिक्षानगरी के एक मात्र आयुर्वेदिक अस्पताल की खस्ताहाल स्थिति 'सिस्टम' की कार्यशैली की चुगली कर रही है। करीब ढाई दशक से यह अस्पताल एक खंडहरनुमा भवन में चल रहा है, जहां इलाज को आने वाले मरीज और तीमारदार ही नहीं डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर खतरा मंडरा रहा है। बरसात में छतें टपकने से यहां कार्यरत कर्मियों को सिर छुपाने के लिये और बारिश में दस्तावेजों को भीगने से बचाने के लिये सुरक्षित स्थान तलाशने पड़ते हैं।

सालों पुरानी बिल्डिंग है

पुरानी तहसील स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय के अतीत पर गौर फरमाएं तो एक मार्च क्98म् से पहले सिविल हॉस्पिटल पुरानी तहसील स्थित एक भवन में संचालित हो रहा था। एक मार्च क्98म् को अस्पताल नये भवन में शिफ्ट हुआ। अविभाजित उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जगदीश नारायण सिन्हा राजकीय संयुक्त चिकित्सालय (सिविल अस्पताल) के उद्घाटन समारोह में पहुंचे।

बिल्डिंग का नहीं है रखरखाव

इस दौरान उन्होंने पुराने अस्पताल के बीमा चिकित्सालय के भाग को छोड़ शेष राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय को देने की घोषणा की। घोषणा उपरांत भवन मार्च क्98म् में आयुर्वेदिक चिकित्सालय को आवंटित हुआ। बकायदा बिल्डिंग की मरम्मत को भ्,800 रुपये भी आवंटित हुए। मरम्मत आदि के बाद ख्ख् अप्रैल क्98म् को सती मोहल्ले में चल रहा आयुर्वेदिक अस्पताल इस भवन में हस्तांतरित हुआ। करीब तीन दशक से अस्पताल इसी भवन में संचालित हो रहा है। समुचित रखरखाव के अभाव में बिल्डिंग अब खंडहर में तब्दील हो गई है।

कभी भी हो सकती है अनहोनी

जर्जर दीवारें, छतों पर उगी झाडि़यां, दीवारों पर काई और उखड़े प्लास्टर, बिजली के झूलते बोर्ड चिकित्सालय की दुर्दशा को बयां करने के लिये काफी है। यहां ईलाज को आने वाले मरीज और तीमारदार ही नहीं डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को हर वक्त अनहोनी का भय सताता रहता है। यही कारण है कि यहां तैनात डाक्टर मरीजों को भर्ती करने से भी कतराते हैं। बरसात में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। छतें टपकने से सिर छुपाने को सुरक्षित स्थान तलाशने पड़ते हैं। दस्तावेजों का रखरखाव भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। हैरानी की बात यह है कि राज्य गठन बाद ख्00क् से अस्पताल की नई बिल्डिंग को पत्राचार हो रहा है लेकिन 'सिस्टम' अब भी पुरानी चाल ही चल रहा है।

अब तक फ्फ् हजार पेशेंट पहुंचे

अस्पताल की ओपीडी पर गौर करें, तो यहां हर रोज औसतन भ्0-म्0 मरीज पहुंचते हैं। वित्तीय वर्ष ख्0क्ब्-ख्0क्भ् में यहां फ्ख्,ख्9फ् मरीज इलाज को पहुंचे। इस साल जनवरी में क्7फ्9, फरवरी में क्ब्8म् और मार्च में क्फ्क्ब् मरीज पहुंचे। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट के एक पद को छोड़ यहां स्वीकृत पदों के अनुरूप स्टाफ की तैनाती है। बताते चलें कि यहां डॉक्टर और फार्मेसिस्ट के दो-दो पद स्वीकृत हैं।

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नये भवन को बजट की दिक्कत नहीं है। लैंड ट्रांसफर का पेच फंसा है। निदेशक आयुर्वेद और यूनानी सेवाएं के निर्देश पर करीब डेढ़ साल पहले भवन का मानचित्र भी भिजवाया जा चुका है। मामला किस स्तर पर फंसा है इसकी जानकारी नहीं है.'

-डॉ। विशाल प्रभाकर, प्रभारी चिकित्साधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज

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प्रकरण की फिलहाल सही जानकारी नहीं है। इस संबंध में जानकारी जुटाकर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

डॉ। अरुण त्रिपाठी, निदेशक, आयुर्वेदिक और यूनानी सेवा

फोटो 9 से क्ख्

Posted By: Inextlive