समाजवादी पार्टी सपा के महासचिव आजम खान के सामने इस विधानसभा चुनाव में न सिर्फ अपना किला रामपुर शहर सीट बचाने की चुनौती है बल्कि पार्टी का मुस्लिम चेहरा होने के नाते उन पर उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक मुसलमान आबादी वाले रामपुर जिले की अन्य सीटें जीतने का दबाव भी है.

रामपुर शहर विधानसभा सीट पर विपक्षी दलों की ओर से मुस्लिम प्रत्याशी उतारने और नए परिसीमन के कारण आजम की आठवीं बार विधानसभा पहुंचने की राह थोड़ी मुश्किल हो गई है. रामपुर शहर सीट पर आजम खान 1977 से 2007 तक लगातार नौ चुनाव लड़े, जिसमें सात बार उन्हें जीत मिली, जबकि दो बार हार का सामना करना पड़ा.
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में आजम खान ने कांग्रेस के उम्मीदवार अफरोज अली खान को करीब 32 हजार मतों के अंतर से हराया था. अब आठवीं बार विधायक बनने के लिए आजम खान इस चुनाव में एड़ी-चोटी की जोर लगा रहे हैं. रामपुर शहर सीट पर कुल 3.10 लाख मतदाता हैं, जिसमें सवा लाख मुसलमान हैं.

इसके बाद करीब 40 हजार दलित, 30 हजार यादव, 24 हजार वैश्य, 23 हजार ब्राह्मण, 20 हजार क्षत्रिय और 10 हजार कायस्थ हैं. इस चुनाव में अमर सिंह की अध्यक्षता वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक मंच की मुस्लिम उम्मीदवार रेशमा अफरोज और कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार डॉ. तनवीर अहमद से आजम खान को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है.
जिला पंचायत अध्यक्ष एवं लोकप्रिय स्थानीय नेता रेशमा अफरोज और साफ सुथरी छवि के पेशे से चिकित्सक कांग्रेस उम्मीदवार तनवीर के मैदान में उतरने से आजम खान के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती है. वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भारत भूषण गुप्ता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जोगेश्वर दयाल दीक्षित को मैदान में उतारा है.
आजम की परेशानी नए परिसीमन को लेकर भी है। नए परिसीमन में रामपुर शहर में कुछ क्षेत्र कटे तो कुछ नए क्षेत्र शामिल भी हुए। नए परिसीमन के तहत जो नए इलाके क्षेत्र में जुड़े उसमें हिंदू मतदाताओं की संख्या अधिक है। आजम खान के  समर्थकों और स्थानीय सपा नेताओं का हालांकि दावा है कि परिसीमन का आजम पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्होंने क्षेत्र में इतना काम कराया है कि उन्हें हर जाति-धर्म का वोट मिलता है.

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Posted By: Kushal Mishra