Varanasi:डीडीयू यूनिवर्सिटी गोरखपुर की ओर से आयोजित स्टेट लेवल कम्बाइंड बीएड की काउंसिलिंग के सेकेण्ड फेज की काउंसिलिंग में पिन पासवर्ड के इंतजार में सैकड़ों कैंडिडेट्स को पूरा दिन गुजर गया. जिन्हें मोबाइल पर पिन नम्बर मिला भी उसमें से काफी का एकाउंट ही नहीं खुला जिससे वह अपने पसंद के कॉलेज की चॉइस लॉक कर सकें. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में बनाए गये दो काउंसिलिंग सेंटर पर पूरे दिन कैंडिडेट्स इस तरह की शिकायतों को लेकर दौड़ते रहे.

ऐसे हुआ पिन का लफड़ा

 

इस बार बीएड आनलाइन काउंसिलिंग में हाईटेक व्यवस्था की गयी है। इसके तहत सक्सेसफुल कैंडिडेट्स को काउंसिलिंग की फीस जमा करके सेंटर पर रिपोर्ट करनी है। रिपोर्ट मिलने के बाद उनके मोबाइल पर एक पिन यानि पासवर्ड मिलना है। इस पासवर्ड के जरिये वो घर बैठे या साइबर कैफे में कहीं भी ऑनलाइन अपना एकाउंट खोलकर अपने पसंद के कॉलेज की चॉइस लॉक कर सकते हैं। चॉइस लॉक के बाद उन्हें काउंसिलिंग सेंटर से डाक्यूमेंट वेरीफिकेशन के बाद एडमिशन की कापी मिलनी थी। मगर हुआ ये कि जहां सैकड़ों को उनके मोबाइल पर एसएमएस से पिन ही नहीं मिला वहीं जिन्हें पिन मिला वो भी टेक्निकल प्राब्लम के चलते एकाउंट नहीं खोल सके। इस तरह टॉप मेरिट वाले भी कॉलेज चूज करने से रह गये. 

 

नया पिन पाना आसान

 

काउंसिलिंग सेंटर के ऑफिशियल्स से बताया कि अब यूपीबीएड डॉट एनआईसी डॉट इन पर नया पिन जनरेट कराने के लिए लिंक दिया गया है। इस पर कैंडिडेट्स रोल नम्बर, रजिस्ट्रेशन नम्बर, डेट ऑफ बर्थ और फीस जमा का डीडी नम्बर देकर नया पिन जनरेट करा सकते हैं। इसके बाद भी प्राब्लम सॉल्व नहीं होती है तो इंफार्मेशन ब्रॉशर पर दिये गए हेल्पलाइन नम्बर पर कॉन्टैक्ट किया जा सकता है. 

 

पिन चेंज करना जरूरी

 

विद्यापीठ में काउंसिलिंग सेंटर के कोआर्डिनेटर डॉ। चतुर्भुज तिवारी ने बताया कि बहुत सारे कैंडिडेट्स को ये पता ही नहीं कि आटोमैटिक जनरेट पिन को एकाउंट खोलने के ठीक पहले चेंज करना है। इससे भी काफी प्राब्लम हो रही है। वहीं दूसरे सेंटर के कोआर्डिनेटर डॉ। अनिल कुमार सिंह ने बताया कि काफी कैंडिडेट्स ऐसे भी हैं जो इंटरनेट यूज के बारे में जानकारी नहीं रखते, उनके साथ ज्यादा दिक्कत आ रही है. 

 

Posted By: Inextlive