MEERUT: हर साल की तरह इस साल भी बीएड एंट्रेंस की परंपरा को निभाया गया. मेरठ में करीब 25 हजार आवदेकों ने बीएड एंट्रेंस दिया. हर साल मेरठ में करीब पांच हजार स्टूडेंटस बीएड करते हैं.


हर साल की तरह इस साल भी बीएड एंट्रेंस की परंपरा को निभाया गया। मेरठ में करीब 25 हजार आवदेकों ने बीएड एंट्रेंस दिया। हर साल मेरठ में करीब पांच हजार स्टूडेंटस बीएड करते हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से हर साल करीब तीस हजार बीएड स्टूडेंट्स पास आउट होते हैं। और पूरे राज्य की बात की जाए तो हर साल एक लाख स्टूडेंट बीएड करते हैं। लेकिन लाखों खर्च करने के बाद भी दस फीसदी (प्राइवेट औैर सरकारी नौकरी मिलाकर) से भी कम बीएड धारकों को नौकरी मिल पाती है। यही वजह है स्टेट में करीब साढ़े सात लाख बीएड बेरोजगार हो गए हैं। बीएड के नाम पर लूट


हर साल बीएड के नाम पर प्रदेश भर में करीब एक लाख सीटों पर एडमिशन होते हैं। हर स्टूडेंट से एवरेज एक लाख रुपए फीस वसूली जाती है। एससी एसटी वालों को भी बख्शा नहीं जाता है। स्टूडेंट्स इतनी मोटी फीस देने के बाद भी जब बीएड करके फील्ड में आते हैं तो उनके हाथ मायूसी ही लगती है। प्राइवेट स्कूलों में प्लेसमेंट कराया जा सकता है लेकिन कोई कॉलेज प्लेसमेंट की सुविधा भी नहीं देता।नो वेकेंसी

बीएड बेरोजगारी सिर्फ सरकार ही नहीं प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की वजह से भी बढ़ रही है। प्राइवेट स्कूल नए शिक्षकों की भर्ती नहीं करते। कम से कम पैसे और कम स्टाफ में काम चलाया जाता है। जो नौकरी कर भी रहे हैं उन्हें पांच-सात हजार से ज्यादा सैलरी नहीं दी जाती।बीएड नौकरी की गारंटी नहीं1. मैैंने एनएएस कालेज से 1993 में बीएड किया था। कई बार नौकरी के लिए ट्राय किया लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली। प्राइवेट स्कूलों में भी इतने पढ़े लिखे लोगों को वो सिर्फ पांच-छह हजार रुपए की सैलरी देते है। ऐसे में बीएड करने का क्या फायदा।रुबी परवीन, जैदी नगर सोसाइटी2. डीएन कॉलेज से दो साल पहले बीएड किया था। टीईटी भी पास की कर चुका हूं। कई बार सरकारी नौकरी के लिए कोशिश की लेकिन अभी तक मामला जमा नहीं है। फिलहाल एसएससी की कोचिंग कर रहा हूं।शिव कुमार3. डीएन कॉलेज से पांच साल पहले बीएड किया था। आज तक नौकरी नहीं मिली है। गुजारा चलाने के लिए चार हजार की नौकरी कर रहा हूं। बीएड करने से पहले सोचा था कि लाइफ बन जाएगी। लेकिन अब लग रहा है कि बीएड करने पर जो पैसा खर्च किया वो भी बेकार हो गया।रवि कुमार, लालकुर्ती

4. मैं एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हूं। स्कूल में बहुत सारे फालतू के काम कराए जाते हैं। हैरासमेंट किया जाता है, सरकारी स्कूलों में नौकरी के लिए ट्राई कर रही हूं। लेकिन अभी तक कहीं बात नहीं बन पाई है। प्राइवेट स्कूल में मुझे पांच साल हो चुके हैं। सैलरी पांच हजार है।पारुल, प्राइवेट स्कूल में टीचरएक नजर में - मेरठ में एक लाख से ज्यादा बीएड बेरोजगार- हर साल पास आउट होते हैं - पांच हजार स्टूडेंट्स- सीसीएसयू के कॉलेजों में हर साल बीएड पास आउट - तीस हजार स्टूडेंट्स- कुल बीएड बेरोजगार स्टेट में - 7.5 लाख से अधिक- प्रदेश में शिक्षकों के कुल पद खाली - 2.68 लाख- स्टेट में हर साल रिटायर होते हैं - 15 हजार से अधिक शिक्षक बीएड का अर्थशास्त्र- एक स्टूडेंट से सरकारी फीस - 51,250- इसके अलावा हर स्टूडेंट से एग्जाम फीस 3960, सिक्योरिटी 6000, टूर फीस सात हजार की वसूली - स्टेट में फीस के नाम पर कुल - 5.63 अरब रुपए वसूले जाते हैंआखिरी भर्ती2008 में भर्ती - 18 हजार2007 में भर्ती - 26 हजारबीएड कभी बेरोजगार नहीं होंगे अगर- क्या बीएड कालेज मिल कर प्लेसमेंट आयोजित नहीं कर सकते?
- ऐसा प्रेक्टिीकली पॉसिबल नहीं होता है। क्योंकि स्कूल वाले कंपनी वालों की तरह थोक में भर्ती नहीं करते हैं।बीएड कर भी लिया तो क्या हो जाएगासिटी में बीएड एंट्रेंस में 24,922 कंडीडेट रजिस्ट्रड थे जिनमें से कुल 23,426 ने पेपर दिया और 1496 ने पेपर छोड़ दिया। कुल मिलाकर पेपर आसान रहा। स्टूडेंट्स और सब्जेक्ट एक्सपट्र्स का कहना है कि इस साल बीते सालों की तुलना में पेपर आसान रहा।लगा रहा जामसिटी के 45 सेंटर्स पर पेपर देने के लिए कई जिलों के कंडीडेट आए। पिछली बार के मुकाबले इस बार आधे से भी कम आवेदक एंट्रेंस में बैठे। सुबह के टाइम तो जाम की प्राब्लम नहीं हुई। लेकिन शाम के समय पेपर छूटने पर सिटी के अधिकतर इलाकों में जाम लग गया। बुढ़ाना गेट, ईव्ज चौराहा, गंगानगर, कंकरखेड़ा में पब्लिक को जाम से दो चार होना पड़ा।

Posted By: Inextlive