ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के मिसयूज को देखते हुए शासन लगाया सार्वजनिक बिक्री पर बैन

1 जुलाई, 2018 को इस दवाई को बैन किया जाना था

प्राइवेट स्टोर्स संचालकों को 1 सितंबर तक स्टॉक खत्म करने के मिले निर्देश

>Meerut। डिलीवरी के दौरान सबसे अधिक प्रयोग होने वाले ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की खरीद की राह अब आसान नहीं होगी। अभी तक बाजार में खुलेआम बिकने वाले इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए अब डॉक्टर के प्रिस्क्रिपशन की आवश्यकता होगी। यही नहीं यह इंजेक्शन सिर्फ सरकारी व प्राइवेट नर्सिग होम में ही मिल सकेगा।

आक्सीटोसिन पर बैन

दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 27 अप्रैल, 2018 को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की सार्वजनिक बिक्री पर बैन के लिए एक नोटिस जारी हुआ था। जिसके तहत 1 जुलाई, 2018 को इस दवाई को बैन किया जाना था। हालांकि शासन ने सभी प्राइवेट स्टोर्स संचालकों को स्टॉक खत्म करने के अब एक सितंबर तक की मोहलत दे दी है।

एक ही कंपनी करेगी प्रोडक्शन

ऑक्सीटोसिन के निजी क्षेत्र में उत्पादन करने वाली सभी फार्मा कंपनियों पर भी शासन ने रोक लगा दी है। निजी कंपनियां के ऑक्सीटोसिन के उत्पादन संबंधी रॉ मैटेरियल की सप्लाई पर भी रोक लगा दी गई है। अब देशभर में एक ही सरकारी कंपनी कर्नाटका बॉयोटेक फार्मास्टिक्यूल लि। ही इसका उत्पादन करेगी। अभी तक देशभर में करीब 125 प्राइवेट फार्मा कंपनियां ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उत्पादन करती हैं। वहीं प्रदेश में भी करीब छह कंपनियां इसका निमार्ण करती हैं।

रोजाना करीब 5 लाख

मेरठ में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की बिक्री का ग्राफ बेहद बड़ा है। दवा एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल के मुताबिक एक इंजेक्शन की कीमत 16 से 17 रूपये पड़ती है। होलसेल में रोजाना करीब 4 से 5 लाख रूपये की सेल सिर्फ ऑक्सीटोसिन की होती है। पशुओं का दूध निकालने, सब्जियों की आर्टिफिशियल ग्रोथ में इस इंजेक्शन का प्रयोग गलत तरीके से किया जाता है। इससे लड़कियों का जल्दी विकास होना, ब्रेस्ट कैंसर आदि का खतरा बना रहता है।

डिलीवरी में जरूरी

डफरिन अस्पताल की एसआईसी मनीषा के मुताबिक ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन सबसे अधिक डिलीवरी के समय होता है। बिना ऑपरेशन के डिलीवरी, लेबर पेन, मांसपेशियों के खिंचाव को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस इंजेक्शन का प्रयोग काफी सावधानी के साथ किया जाता है।

ये है नया नियम

पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर्स के रजिस्टर्ड अस्पतालों और क्लीनिक्स में मैन्यूफैक्चर्स कंपनी से डायरेक्ट सप्लाई मंगवाई जाएगी।

जनऔषधि केंद्र सीधे शासन से जुड़े हैं इसलिए इन सेंटर्स पर भी ऑक्सीटोसिन बेचने के लिए अनुमति मिलेगी।

किसी भी नाम से ऑक्सीटोसिन को प्राइवेट कैमिस्ट नहीं बेच सकेंगे। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को भी यह इंजेक्शन मंगवाने के लिए कंपनी को वाजिब कारण और पूरा रिकार्ड देना होगा।

ऑक्सीटोसिन की सार्वजनिक बिक्री पर रोक लगा दी गई है। कोई प्राइवेट कैमिस्ट या अस्पताल अगर इसकी बिक्री करता है तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। हालांकि स्टॉक क्लीयर करने के लिए कैमिस्ट्स को एक सितंबर तक का समय दे दिया गया है।

पवन शाक्य, ड्रग इंस्पेक्टर, मेरठ

Posted By: Inextlive