RANCHI : दीपक झा अपने ही दोस्तों की साजिश व शातिरी चाल में फंस गया था। दोस्तों ने दीपक को मदद करने की बजाय गलत राह पर ढकेल दिया। ऐसे में वह धीरे-धीरे कर्ज के बोझ तले दबता गया। जब इससे उबरने का कोई रास्ता नहीं दिखा तो अपने भाई रुपेश के साथ मिलकर पहले पत्नी, माता-पिता व दो बच्चों को मार डाला और फिर फंदे से झूलकर अपनी भी जान दे दी। मौत को गले लगाने के पहले दीपक ने जो 17 पन्ने का सुसाइड नोट छोड़ा है, वे कुछ इसी ओर ही इशारा कर रहे हैं। हालांकि, पूरी छानबीन के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो पाएगा।

कांप रहे होंगे हाथ?

सुसाइड नोट जिस तरीके से लिखा गया है, वह यह बता रहा है कि इसे लिखने के दरम्यान दीपक काफी डरा-सहमा हुआ था। लिखावट ऐसी थी कि मानों वह सुसाइड नोट लिखने में हड़बड़ी कर रहा है। शायद उसके हाथ भी सुसाइड नोट लिखने के वक्त कांप रहे होगें? लिखावट टेढ़े-मेढ़े आकार की है, जिससे यह लगता है कि वह अंतिम पत्र में दोस्तों ने संकट से उबारने के बजाय उसे वित्तीय संकट में डालने का गुनहगार बना दिया था।

किसलय है गुनहगार

सुसाइड नोट के अनुसार, दीपक झा जिस कंपनी में काम करता था, वहीं किसलय नाम का एक युवक भी जॉब करता था। इससे पहले जमशेदपुर में घपले के आरोप में उसे कंपनी से हटा दिया गया था। रांची की कंपनी में काम करने के दौरान किसलय को एक ऐसे कर्मी की तलाश थी, जो घपले में उसे उसका भागीदार बन सके.ऐसे में स्टोर इंचार्ज दीपक को उसने सब्जबाग दिखाकर अपने झांसे में ले लिया। उसे बताया गया कि यदि वह दो लाख जमा करेगा तो उसे पांच लाख मिलेंगें।

क्रेडिट कार्ड बना लिया लोन

इसके बाद किसलय और दीपक ने क्रेडिट कार्ड भी बनवाया। किसलय का क्रेडिट कार्ड आ गया था, लेकिन दीपक झा का नहीं आया था। इससे वह मानसिक अवसाद में भी रहता था। बड़े भाई को मानसिक अवसाद में देखकर रूपेश झा ने उसकी मदद करनी चाही, लेकिन जब उसे पता चला कि उसके भाई ने उसके नाम से भी बैंक में लोन लिया है और ईएमआई भर रहा है। ऐसे में वह किसलय पर आक्रोशित हो गया था। किसलय उससे बदला लेने की ठानी थी। उसने कहा कि इस काम में अजीत, किसलय और वह खुद इस कांड के जिम्मेवार हो गए थे।

कंपनी को ही चूना लगा दिया था किसलय ने

किसलय जिस कंपनी में काम करता था, उसके ही मालिक को चूना लगा दिया था। इसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ था। ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया कि स्टोर से किसलय ने कोडरमा के व्यवसायी उपेंद्र बाधवानी से एक लाख 45 हजार रूपए और गढ़वा के अमृता अग्रवाल से दो लाख 62 हजार, 203 रूपया उठा लिया था और उन दोनों को कंपनी के नाम पर जाली रसीद दे दिया था। इस कांड में उनलोगों ने दीपक झा को भी लपेट लिया था।

Posted By: Inextlive