- सिटी में पटाखे बेचने के लिए है लाइसेंस व्यवस्था

- ऑनलाइन माध्यम के लिए है लाइसेंस का व्यवस्था

- सिटी में बे हिसाब बिक रहे ऑनलाइन पटाखे

- अनजाने खतरे को दावत दे रही हैं ऑनलाइन कंपनियां

DEHRADUN : ऑटोमोबाइल्स से लेकर मोबाइल, कपड़े और तमाम इलेक्टॉनिक गैजेट्स तक सभी ऑनलाइन मार्केट में उपलब्ध हैं। लेकिन हैरत है कि अब पटाखों का बाजार भी ऑनलाइन सजने लगा है। अकेले देहरादून की बात करें तो यहां काफी संख्या में इन पटाखों की बुकिंग और बाजार में कहीं भी डिलिवरी देने का कारोबार जोरो पर है। कुछ लोगों को इसमें भले ही कोई बुराई न दिखती हो, लेकिन यह ऑनलाइन पटाखों का यह कारोबार खतरनाक है। दरअसल, ऑनलाइन पटाखों का यह कारोबार अभी तक किसी नियंत्रण में नहीं है। न इसके लिए कोई लाइसेंस की जरूरत है और न ही इसके लिए कोई नियम या कानून बनाएं गए हैं। इन सब के बीच एक सवाल यह भी कि इन पटाखों के लिए कारोबारियों ने किस जगह को गोदाम बनाया हुआ है। प्रशासन को इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में ऑनलाइन के बढ़ते चलन के बीच शहर के आबाद इलाकों में होम डिलिवरी के लिए बैग में बारूद धड़ल्ले से घूम रहा है।

मंडरा रहा अनजाना खतरा

ऑनलाइन शॉपिंग के दौर में अब पटाखे भी वेबसाइट पर बिकने लगे हैं। साइट पर जाइए, मनपसंद पटाखे चुनिए, बुक कीजिए और घर आने पर पेमेंट कीजिए। मगर इन पटाखों से शहर में पैदा हो रहे अंजाना खतरा किसी की नजर में नहीं आया है। पटाखों को ऑनलाइन बेचने का धंधा अभी नया है। देहरादून में ये बड़े पैमाने पर हो रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग के मुरीद लोगों को यह फैसिलिटी खूब भा रही है, लेकिन इस सब के बीच बुकिंग हुए पटाखे शहर में खुले आम बेरोकटोक बेचे जा रहें हैं, जिस पर प्रशासन का कोई नियंत्रण भी नहीं हैं।

बाजार में पटाखों के लिए परमिशन

बाजार में जिन व्यापारियों को पटाखों को धंधा करना है। उन्हें बाकायदा जिला प्रशासन से परमिशन लेनी होती है। टेंप्रेरी बेस पर पटाखों का धंधा करने वाले व्यापारियों के लिए भी प्रशासन ने लाइसेंस की व्यवस्था रखी हुई है। इसके लिए कुछ फीस भी दी जाती है। इसके अलावा ठेकेदारों को पैसा देकर दुकान के टीन शेड, तखत, तिरपाल आदि के सामान पर भी भारी खर्च होता है। इतनी रकम लगने के बाद व्यापारी पटाखों की दुकान से ही यह रकम निकलते हैं।

ऑनलाइन में ऐसा कोई झंझट नहीं

बाजार के उलट ऑनलाइन बाजार में पटाखों के बेचने के लिए कोई नियम कायदे नहीं हैं। प्रशासन से परमिशन की टेंशन और दुकान सजाने में होने वाले खर्च का भी कोई सवाल नहीं। ऐसे में पटाखे ऑनलाइन बाजार में दुकान पर मिलने वाले पटाखों से कम कीमत के होते हैं। इसी कम कीमत की वजह से खरीदार भी ऑनलाइन बाजार की ओर रुख कर रहे हैं।

अनार से लेकर रॉकेट तक उपलब्ध

इंटरनेट पर वेबसाइट के जरिए अनार, चक्री, रॉकेट, एटम बम, पेंसिल क्रैकर्स, वन साउंड क्रैकर्स, मल्टी साउंड क्रैकर्स, स्पार्कल्स क्रैकर्स आदि डिफरेंट टाइप के पटाखे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके लिए वेबसाइट पर बाकायदा कैटेगरी भी बनाई गई है। ताकि खरीदार को पटाखों के लिए डिफरेंट वैरायटी और प्राइस रेंज में कोई प्रॉब्लम न हो। इन सभी आइट्म्स को खरीदार को बाकायदा होम डिलिवरी के जरिए घर तक पहुंचाया जा रहा है, लेकिन इन सब के बीच सवाल यह है कि इतने स्टॉक को शहर में कहां रखा जा रहा है। नियमों के अनुसार रिहायशी इलाकों में सिर्फ सैंपल का माल ही रखा जा सकता है। इसके अलावा बड़े व्यापारी को क्भ् सौ किलो पटाखे का लाइसेंस शहर की सीमा से बाहर कारोबार करने के लिए दिया जाता है।

शहर में बैग में भर कर घूम रहे बारूद

देहरादून में ऑनलाइन माध्यम से बड़ी संख्या में पटाखों की डिलिवरी हो रही है। इन पटाखों को होम डिलिवरी तक के सफर के लिए शहर के बीचों बीच गुजर कर ही डिलिवरी दी जानी स्वभाविक है, लेकिन इस बीच के रास्ते में बैग में भरे बारूद की न ही किसी को मात्रा पता है और न ही इसके साइड इफेक्ट्स। ऐसे प्रशासन की नाक के नीचे से कई किलो बारूद रोजाना बे-रोकटोक बैग में भर कर निकल रहा है। जो कभी भी एक बड़ी दुर्घटना को भी अंजान दे सकता है।

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स्थानीय कारोबारियों को नुकसान

लाइसेंस के लिए प्रशासन से अनुमति ली, दुकान पर भारी रकम खर्च की। उसके बाद आइटम्स पर भी काफी खर्चा करना पड़ता है, लेकिन ऑनलाइन मार्केट में न कोई नियम फॉलो कर रहा है और न ही कोई लाइसेंस व्यवस्था। ऐसे में नुकसान होना लाजमी है।

-अशोक अग्रवाल, व्यापारी

त्योहार के मौके पर माल ज्यादा रखना पड़ता है। इसके अलावा इन्हें बेचने के लिए तमाम झंझट भी हैं। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए लाइसेंस सिस्टम बनाया गया, लेकिन अगर ऑनलाइन पटाखे बाजार में बिकेंगे तो नुकसान के साथ ही बेहद खतरनाक भी होगा।

-यश, व्यापारी

Posted By: Inextlive