LUCKNOW: अलीगंज में रहने वाले अमित बदला हुआ नाम की शादी सटरडे को आर्य समाज मंदिर में होनी थी. वह अपनी होने वाली दुल्हन और विटनेस के साथ गणेशगंज आर्य समाज मंदिर पहुंचे लेकिन वहां जाकर मालूम हुआ कि इस समय तो आर्य समाज मंदिर में शादियां नहीं हो सकती हैं. हाई कोर्ट के आदेश पर ऐसी कार्रवाई हुई है. केवल गणेशगंज ही नहीं बल्कि राजधानी में आर्य समाज की 40 यूनिटों में शादियों पर प्रतिबंध है. जिसकी वजह से अब शादी करने की तमन्ना रखने वाले कोर्ट की ओर रुख कर रहे हैं.


हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सबूतों की पड़ताल के बिना आर्य समाज को शादी का प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को सख्त निर्देश दिए थे कि ऐसी संस्थाओं की उच्च स्तरीय जांच करवाएं। जांच रिपोर्ट आने तक ये संस्थाएं मैरिज सर्टिफिकेट जारी नहीं कर पाएंगी। यही वजह है कि जो लोग शादी करने के लिए इच्छुक थे वह अब कलेक्ट्रेट में आवेदन पत्र भर रहे हैं। वैसे कोर्ट मैरिज और आर्य समाज मंदिर में इंटर कास्ट के ही मैटर ज्यादा आते हैं। इस रोक के बाद शादी करने वाले यंगस्टर्स में निराशा छा गई है। करीब 40 यूनिटों में इस समय शादी के दो हजार से भी ज्यादा मामले अटक गए हैं।


इंदिरानगर में रहने वाले अशोक गुप्ता का कहना है कि उनके सभी सर्टिफिकेट पूरे हैं। हम दोनों की फैमिली भी पूरी तरह तैयार है। वह तो आर्य समाज मंदिर से इसलिए शादी करना चाहते थे ताकि फिजूल-खर्च से बचा जा सके और वैदिक रीति से शादी भी हो जाए, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद अब उनकी शादी भी नहीं हो सकती है। अब वह मजबूरी में कोर्ट मैरिज करेंगे। नहीं कराते हैं लोग रजिस्ट्रेशन

एडीएम ट्रांसगोमती देवेन्द्र पांडेय का कहना है कि आर्य समाज मंदिर में तो शादी के समय ही मैरिज सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है लेकिन कलेक्ट्रेट में ऐसे कम लोग ही आते हैं जो शादी करने के लिए इच्छुक हैं। ज्यादातर शादी के बाद रजिस्ट्रेशन के ही आते हैं। विशेष विवाह अधिनियम के सेक्शन 5 के तहत शादी के लिए इस साल केवल 276 मामले आए इसमें 163 लोगों की शादियां हुईं। जबकि सेक्शन 15 के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए कुल 83 आवेदनों में 37 मामलों का रजिस्ट्रेशन कराया गया। इंटर कास्ट मैरिज के बारे में कोई रिकार्ड नहीं रहता क्योंकि आवेदन पत्र में ऐसा कोई कॉलम नहीं है जिससे कास्ट का पता चलता है।यह है इंटर रिलीजन मैरिज की सिचुएशन- मुस्लिम वर और हिन्दू वधू के कुल 29 मामले शादी के आए, इसमें आठ शादियां सम्पन्न हुईं। - हिन्दू वर और मुस्लिम वधू की शादी के सात मामलों में दो शादी सम्पन्न हुई।- हिन्दू वर और क्रिश्चियन वधू के तीन मामलों में दो शादियों का रजिस्ट्रेशन किया गया।- क्रिश्चियन वर और हिन्दू वधू के दो में एक शादी सम्पन्न हुई।ग्लोबलाइजेशन का है असर

समाजशास्त्री डीके त्रिपाठी कहते हैं कि ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में अब इंटरकास्ट मैरिज के स्थान पर इंटर रिलीजन मैरिज का चलन बढ़ गया है। अब लड़का या लड़की अपने पैरों पर खड़े होते ही अपनी पसंद की शादी करना चाहते हैं। इसमें न तो वह धर्म की दूरियों को मानते हैं और न ही जाति के बंधनों को। बदल गया है जमानाविशेष विवाह अधिनियम के तहत जिला प्रशासन में जो आंकड़े दर्ज हैं, वे खुद ही गवाही देते हैं कि लव के आगे ना तो धर्म की दीवार आड़े आती है और न ही देशों की सरहदों की। कुछ साल पहले तक जब इंटर रिलीजन मैरिज होती थी तो फैमिली वाले और रिश्तेदार खूब विरोध करते थे। लेकिन हाल ही में सामने आए मामलों ने यह साबित कर दिया है कि अब जमाना बदल गया है। इस मामले के बाद लगाई रोकअम्बेडकरनगर जिले के जहांगीरगंज इलाके के रामरूप ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि इन्द्रेश उर्फ गोलू 19 फरवरी को उसकी 14 साल की नाबालिग बेटी को बहला-फुसला कर भगा ले गया था और राजाजीपुरम के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली थी। लड़की की उम्र का सर्टिफिकेट भी फर्जी लगाया गया था। यह हैं रूल्सविवाह संस्कार के लिए नियमानुसार प्रार्थना पत्रएफीडेविडएडल्ट होने का सर्टिफिकेट अविवाहित होने का शपथ पत्र
साक्षियों का निवास प्रमाण पत्र, फोन नंबर

Posted By: Inextlive